गुरुवार, 22 दिसंबर 2016

रद्द होगी 200 राजनीतिक दलों की मान्यता

एक दशक में इन दलों ने चुनावों में नहीं लिया हिस्सा
हरिभूमि ब्यूरो.
नई दिल्ली।
मोदी सरकार के कालेधन के खिलाफ नोटबंदी की मुहिम के साथ ही चुनाव आयोग ने भी राजनीतिक दलों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। आयोग ने राजनीतिक दलों को मिलने वाली छूट का लाभ ले रहे ऐसे 200 राजनीतिक दलों की मान्यता को रद्द करने का फैसला किया है,जिन्होंने पिछले एक दशक से किसी भी चुनाव में हिस्सा नहीं लिया है।
केंद्रीय चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार ऐसे 200 राजनीतिक दलों की मान्यता को रद्द करने का निर्णय लिया है, जिन्होंने पिछले 10 सालों से जिन राजनीतिक दलों ने चुनाव नहीं लड़ा है। चुनाव आयोग की इस कार्यवाही के पूरा होते ही ये 200 राजनीतिक दल भविष्य में चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। चुनाव आयोग ने संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत अपनी शाक्तियों का इस्तेमाल किया, जिसके तहत वह सभी चुनावों की कार्रवाई के नियंत्रण का अधिकार देता है। चुनाव आयोग में पंजीकृत राजनीतिक दलों में फिलहाल सात राष्ट्रीय दल, 58 प्रादेशिक पार्टियां और 1786 रजिस्टर्ड अपरिचित पार्टियां हैं। हालांकि वर्तमान कानून के तहत चुनाव आयोग के पास राजनैतिक दल को पंजीकृत करने की शक्ति तो है, मगर किसी पार्टी को अपंजीकृत करने का अधिकार नहीं है, जिसे मान्यता दी जा चुकी है।
चंदा मिलने की होगी जांच
सूत्रों के अनुसारा केंद्रीय चुनाव आयोग केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) को पत्र लिखकर ऐसे राजनीतिक दलों की सूचना देगा ताकि वह इन पार्टियों के चंदे की जांच हो सके। चुनाव आयोग के सूत्रों का मानना है कि पिछले दस साल से मान्यता लेने के बावजूद इन 200 दलों ने चुनाव नहीं लड़ा है। ऐसा अंदेशा जताया गया है कि इन दलों ने अपनी अपनी राजनीतिक दलों की आड़ में कालेधन को सफेद किया होगा। ये सभी दल कागजों पर हैं और इन दलों ने वर्ष 2005 से कोई भी चुनाव भी नहीं लड़ा है। गौरतलब है कि राजनीतिक दलों की ओर से अज्ञात चंदा प्राप्त करने पर कोई संवैधानिक या कानूनी पाबंदी नहीं है। जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 29 सी के तहत चंदे की घोषणा की जरूरत के जरिये अज्ञात चंदे पर परोक्ष आंशिक प्रतिबंध है, लेकिन ऐसी घोषणा केवल 20 हजार रुपये से अधिक के चंदे पर अनिवार्य है।
रडार पर अन्य दल
सूत्रों मुताबिक देश में चुनाव सुधार की कवायद में जुटे चुनाव आयोग ने देश में पंजीकृत 1900 पार्टियों में से दस साल से चुनाव न लड़ने वाले 200 दलों को चिन्हित कर मान्यता रद्द करने की शुरूआत की है, लेकिन आयोग के रडार पर ऐसे भी दल हैं जो चुनाव प्रक्रिया के प्रति गंभीर नहीं है और केवल चंदा हासिल कर कालेधन को सफेद करने के इरादे से दलों का गठन कर चुनाव आयोग में पंजीकृत हैं। ऐसे सभी दलों के खिलाफ भी कार्रवाई करने की तैयारी की जा रही है। सूत्रों के अनुसार ऐसे कई राजनीतिक दल हैं जो आय कर रिटर्न ही नहीं भरते हैं और कुछ भरते हैं तो वह इसकी कॉपी चुनाव आयोग को नहीं भेजते हैं। ऐसे सभी दलों की सूची सीबीडीटी को इसलिए भेजी जाएंगी, ताकि वह उनकी वित्तीय मामलों की जांच हो सके, क्योंकि पंजीकृत राजनीतिक दलों की सूची से बाहर होने के बाद वह फायदों से वंचित हो जाएंगे।
चुनाव आयोग की सिफारिश
गौरतलब है कि इससे पहले चुनाव आयोग ने सरकार से सिफारिश की थी कि राजनीति में कालेधन और धनशोधन के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए कानून में संशोधन करे जिससे कि कर में छूट उन्हीं पार्टियों को मिले जो चुनाव में सीटें जीतें और दो हजार रुपये एवं उसके ऊपर दिये जाने वाले गुप्त चंदों पर रोक लगे। आयकर कानून-1961 की धारा 13ए राजनीतिक दलों को मकान सम्पत्ति से आय, स्वैच्छिक योगदान से होने वाली आय, पूंजी लाभ से आय और अन्य स्रोतों से आय पर कर छूट प्रदान करती है।
22Dec-2016

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