मंगलवार, 13 दिसंबर 2016

केंद्रीय जल आयोग का जल्द होगा पुनर्गठन!

संसदीय समिति की रिपोर्ट अमल में लाने की सिफारिश
हरिभूमि ब्यूरो.
नई दिल्ली।
केंद्र सरकार जल्द ही केंद्रीय जल आयोग के पुनर्गठन कर सकती है, इसके लिए संसद की स्थायी समिति ने मिहिर शाह समिति की रिपोर्ट का हवाला देते हुए उस पर अमल करते हुए ऐसी सिफारिश की है।
केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय से संबंधित भाजपा सांसद हुकुम सिंह की अध्यक्षता वाली संसद की स्थायी समिति ने हाल ही में संसद में पेश की अपनी रिपोर्ट में केंद्र सरकार से देश में सिंचाई, जल प्रबंधन से संबंधित अध्ययन करने,राष्ट्रीय जल संसाधन का मूल्यांकन एवं अंतरराज्यीय जल विवाद को निपटाने में सहायता के अलावा जल संबन्धी आकलन की तकनीकी गतिविधियों में मदद करने वाले केंद्रीय जल आयोग के पुनर्गठन करने की सिफारिश की है। समिति ने मिहिर शाह समिति की रिपोर्ट का हवाला देते हुए अपनी रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2015-16 के अनुदान की मांगों के तीसरे प्रतिवेदन में कें्रदीय जल आयोग के प्रस्तावित पुनर्गठन में हुए विलंब पर अपना असंतोष जताने का जिक्र भी किया। हालांकि मंत्रालय इसके विलंब को वित्त मंत्रालय की कुछ टिप्पणियों पर असहमति जताने का कारण बताया है। संसदीय ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि सितंबर 2015 में मंत्रालय ने पूर्ववर्ती योजना आयोग के सदस्य रहे डा. मिहिर शाह की अध्यक्षता में गठित की गई एक समिति ने इस विषय का विस्तृत अध्ययन करके अपनी रिपोर्ट में पहले ही सीडब्ल्यूसी के पुनर्गठन के संबंध में अपनी सिफारिशें दी हैं।
आयोग की अहम भूमिका
संसदीय समिति ने केंद्र सरकार से सिफारिश की है कि मिहिर शाह समिति की रिपोर्ट में कही गई बातों पर तेजी से अमल किया जाए ताकि केंद्रीय जल आयोग का पुनर्गठन जल्द से जल्द किया जा सके। समिति ने देश में जल संसाधन के क्षेत्र में एक प्रमुख तकनीकी संगठन के रूप में केंद्रीय जल आयोग के महत्व, व्यापक स्वरूप एवं कार्य को देखते हुए इस बारे में मिहिर शाह समिति की रिपोर्ट पर तेजी से अमल किया जाए ताकि आयोग का पुनर्गठन शीर्घ्र किया जा सके। समिति ने इस संबंध में होने वाली प्रगति के बारे में दो महीने के भीतर सूचित किया जाए। समिति ने आयोग के कार्यो में केंद्रीय सहायता प्राप्त करने का भी अपनी रिपोर्ट में जिक्र किया है, जिसमें चुनिंदा परियोजनाओं की निगरानी करना, डिजाइन सर्वेक्षण करना, जांच और विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करना, पर्यावरणीय एवं सामाजिकए, आर्थिक मुद्दों का अध्ययन करना शामिल है। यही नहीं आयोग देश में सिंचाई, जल प्रबंधन से संबंधित अध्ययन करने के साथ राष्ट्रीय जल संसाधन का मूल्यांकन एवं अंतरराज्यीय जल विवाद को निपटाने में सहायता करता आ रहा है। सीडब्ल्यूसी बांध संबंधी सुरक्षा अध्ययन, जलाशयों के प्रबंधन पर विचार करने के साथ प्रशिक्षण एवं क्षमता निर्माण का संयोजन करता है, वहीं जल क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देता है।
सात दशक पहले हुआ था गठन
संसदीय समिति ने कहा कि केंद्रीय जल आयोग के की स्थापना वर्ष 1945 में इसकी स्थापना के समय की गई थी, जिसने देश में बाढ़ पुवार्नुमान और बाढ़ प्रबंधन में राज्य सरकारों को सहायता की है। आयोग ने देश में अपने अंतर्गत 176 बाढ़ पुवार्नुमान स्टेशन में से 72 नदी उप बेसिन और 10 वृहद नदी बेसिनों पर देशभर में 954 जल मौसम विज्ञान केंद्र स्थापित कराए है। इन स्टेशनों के नेटवर्क के माध्यम से ही जल विज्ञानी आंकड़ों को एकत्र करने के साथ उनका विश्लेषण किया जाता है, वहीं आयेग परियोजनाओं का तकनीकी आर्थिक मूल्यांकन किया जाता है।
13Dec-2016

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें