रविवार, 25 दिसंबर 2016

अब आईटी ने कसा कागजी दलों पर शिकंजा!

चंदे की रकम की पड़ताल करने की तैयारी
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
केंद्रीय चुनाव आयोग द्वारा कागजों पर चल रहे 255 राजनीतिक दलों को पंजीकरण सूची से अलग करते हुए आयकर विभाग ने भी अपना शिकंजा कसने की तैयारी शुरू कर दी है। ऐसे फर्जी दलों की मुश्किलें बढ़ना शुरू हो गयी है, जिनकों अभी तक पंजीकृत राजनीतिक दलों के रूप में चंदे की रकम जैसे वित्त में आयकर की छूट मिल रही थी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कालेधन के खिलाफ नोटबंदी के फैसले के तहत चलाई गई मुहिम में जिस प्रकार कालेधन को सफेद करने के मामले सामने आएं हैं उनमें ऐसे कागजी दलों द्वारा भी कालेधन को ठिकाने लगाने की आशंका जताई जा रही थी। देश में चुनाव सुधार की कवायद में जुटे चुनाव आयोग ने ऐसी ही आशंका के तहत आयोग में राजनीतिक दलों के रूप में पंजीकृत 255 गैर मान्यता प्राप्त सियासी दलों को अपनी सूची से बेदखल कर दिया है। चुनाव आयोग ने पंजीकृत सूची से अलग की गई इन दलों की सूची वित्तीय जांच के लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) को कार्रवाही के लिए पत्र के साथ भेज दी है। सीबीडीटी के अलावा अभी तक आयकर की छूट का फायदा ले रहे ऐसे दलों के पास जमा धनराशि और चंदे की रकम की पड़ताल करने के लिए आयकर विभाग ने भी कमर कस ली है, जो कालेधन और चंदे में दर्शायी गई रकम की जांच करके कानूनी कार्यवाही करेगा। ऐसे में इन फर्जी या कागजी दलों की चौतरफा मुश्किलें बढ़ना शुरू हो गई हैं। इसका कारण चुनाव आयोग द्वारा पंजीकृत सूची से अलग होते ही इन दलों को वित्तीय मामलों में किसी प्रकार की कोई छूट नहीं मिल सकेगी।
चुनावी राज्यों पर असर
चुनाव आयोग द्वारा इन 255 दलोें पर की गई कार्यवाही से आगामी फरवरी-मार्च में उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर व गोवा में होने वाले विधानसभा चुनावों पर असर पड़ना तय है। दरअसल ऐसे दलों के प्रत्याशी चुनाव में हिस्सा नहीं लेते, बल्कि बडेÞ दलों को अपने दल की आड़ में वित्तीय रूप से मदद करते रहे हैं। इसलिए संभावना है कि जहां सरकार की नोटबंदी से इन पांचों राज्यों के चुनाव प्रभावित होने की उम्मीद है, वहीं बाकी कसर चुनाव आयोग ने ऐसे दलों के खिलाफ कदम उठाकर पूरी कर दी है। गौरतलब है कि चुनाव आयोग की कागजी दलों की इस पहली सूची में उत्तर प्रदेश के 41, पंजाब के छह, उत्तराखंड के दो, मणिपुर का एक, गोवा के तीन दल शामिल हैं। जहां तक पंजाब का सवाल हैं से डैमोक्रेटिक बहुजन समाज मोर्चा, लेबर विकास पार्टी, लोक हित पार्टी, पंजाब जनता मोर्चा, पंजाब प्रदेश विकास पार्टी और सर्व हिंद शिरोमणि अकाली दल को पंजीकृत सूची से अलग किया गया है।
दिल्ली में गुमनाम हुए 67 दल
देश में 1931 राजनीतिक दल हैं, जिसमें दिल्ली में ही 245 राजनीतिक दलों के पते पर पंजीकृत हैं। हैरानी की बात है कि दिल्ली में पंजीकृत दलों में से 67 दलों का पता चुनाव आयोग भी लगाने में असमर्थ रहा है। यही नहीं दस फीसदी दलों ने आज तक चुनाव आयोग को अपनी आय-व्यय का ब्यौरा तक नहीं किदया है। सूत्रों के अनुसार दिल्ली चुनाव आयोग भी इस मुहिम में जुट गया है और वह जल्द ही ऐसे संदिग्ज राजनीतिक दलों की सूची तैयार करके केंद्र सरकार को भेजेगा।
कालाधन सफेद करने का जरिया
मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी का भी कहना है कि चुनाव आयोग में पंजीकृत डमी राजनीतिक दल कालाधन को सफेद करने का जरिया हो सकते हैं। जैदी का कहना है कि 20 हजार रूपए तक का चंदा न घोषित करने की छूट के प्रावधान के चलते इन पार्टियों के चुनावों में काले धन का वाहक होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि आयोग को ऐसी रिपोर्ट मिल रही हैं, हालांकि इस बारे में फिलहाल निश्चित तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता।
चंदे की छूट पर रोक लगे: गोविंदाचार्य
विमुद्रीकरण में राजनीतिक दलों को मिल रही बेवजह छूट पर रोक लगाने की मांग लेकर पूर्व भाजपा नेता और राजनीतिक चिंतक केएन गोविंदाचार्य ने चुनाव आयोग के आयुक्तों से मुलाकात करने के बाद एक ज्ञापन सौंपा है। अपने मांगपत्र में उन्होंने बीते 8 नवंबर से नोटबंदी के बाद राजनीतिक दलों के खातों से आर्थिक लेन-देन में वित्त मंत्रालय, आयकर विभाग सहित बैकिंग नियमों की अनदेखी हो रही है। उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग सभी राजनीतिक दलों को मिलने वाले चंदे की छूट पर रोक लगाने की कार्यवाही करें।
25Dec-2016

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें