सोमवार, 12 दिसंबर 2016

ऐसे नष्‍ट होंगे पुराने नोट -कालेधन के खिलाफ मुहिम

विमुद्रीकरण की वैधता के लिए कानून में होगा संशोधन
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा कालेधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ विमुद्रीकरण के फैसले वाली मुहिम को कारगर करने के लिए अभी और भी कड़े फैसले लेने की तैयार में है। विमुद्रीकरण के तहत 500 व 1000 के पुराने नोटों को अवैध करार करने के लिए केंद्र सरकार जल्द ही आरबीआई कानून में संशोधन करेगी। वहीं सरकार ने डिजीटल लेन-देन को गंभीरता के साथ तेज करने के लिए भी कमर कस ली है।
दरअसल कालेधन और भ्रष्टाचार जैसी समस्या से निपटने के लिए गोपनीयता बनाए रखने के इरादे से केंद्र की मोदी सरकार ने गत आठ दिसंबर को आरबीाआई कानून में संशोधन किए बिना ही रिजर्व बैंक कानून की धारा-26 (2) के तहत कार्रवाई करते हुए 500 और 1000 के पुराने नोट अमान्य कर दिये थे, जिन्हें अवैध करार करने के लिए इस कानून में संशोधन लाना भी जरूरी है। कानून में संशोधन के बाद ही बैंकों में जमा हुए और आयकर विभाग द्वारा ताबड़तोड़ छापों के दौरान पकड़े जा रहे पुराने बड़े नोटों को नष्ट करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। सूत्रों के अनुसार सरकार को मौजूदा वित्तीय वर्ष समाप्त होने से पहले ही आरबीआई कानून में संशोधन करने से ही विमुद्रीकरण की प्रक्रिया के तहत 500 और 1000 के नोट को अवैध करार घोषित किये जा सकेंगे। सरकारी सूत्रों के अनुसार विमुद्रीकरण के लिए कानून संशोधन किये बिना ही पुराने नोटों को अमान्य करना पड़ा है। इस योजना में सरकार आगामी बजट सत्र में कानून संशोधन करके इसका उल्लेख करेगी। इससे पहले ऐसी प्रक्रिया वर्ष 1978 में अपनाने के लिए पहले कानून में संशोधन किया गया था।
अधिसूचना जारी करने का अधिकार
सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार को रिजर्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड की सिफारिश पर रिजर्व बैंक कानून की धारा 26 (2) के तहत भारत के राजपत्र में अधिसूचना के जरिये अधिसूचित में वर्णित तारीख से किसी भी श्रृंखला और मूल्य के बैंक नोटों को कानूनी तौर पर बंद करने का अधिकार है, जिसका मोदी सरकार ने विमुद्रीकरण के फैसले में किया। गौरतलब है कि आठ नवंबर से अब तक बैंकों को 15.5 लाख करोड़ रुपए के बंद नोटों की तुलना में 12 लाख करोड़ रुपए की जमा मिली है। सरकार का अनुमान है कि बैंकिंग प्रणाली में करीब 13 लाख करोड़ रुपए वापस लौटेंगे। रिजर्व बैंक द्वारा 500, 1000 के नोट को बंद करने की वजह से ऊंचा लाभांश रिजर्व बैंक कानून में संशोधन के बिना मान्य नहीं होगा।
ई-पेमेंट पर सरकार की योजना
मोदी सरकार ने विमुद्रीकरण के फैसले के बाद देश की जनता को डिजिटल पेमेंट के लिए आकर्षित करने के लिए कई योजनाएं बनाना शुरू कर दिया है। पिछले सप्ताह वित्त मंत्री ने डिजीटल लेन-देने के लिए छूट के प्रावधान का ऐलान किया था। अब नीति आयोग ने नेशनल पेमेंट कोपोर्रेशन से डिजिटल ट्रांजेक्शन करने वालों के लिए साप्ताहिक और त्रैमासिक स्तर पर ईनामी योजना शुरू करने को कहा है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग डिजीटल पेमेंट करने के लिए आगे आएं। आयोग ने कहा है कि इसके लिए साप्ताहिक स्तर पर लक्की ड्रा निकालने के साथ त्रिमासिक स्तर पर एक करोड़ रुपये तक का बड़ा ईनाम दिया जाए। सरकार पहले ही कह चुकी है कि क्रेडिट कार्ड, डेबिट कार्ड और ई-वॉलेट्स के जरिए भुगतान को प्रोत्साहन दे रही है।
जल्द जारी होगा हेल्पलाइन नंबर
देश में डिजिटल भुगतान को बढावा देने के लिए सरकार देशव्यापी टोलफ्री हेल्पलाइन नंबर 14444 की सेवा शुरू करेगी। इस हेल्पलाइन का मकसद लोगों को नकदीविहीन लेनदेन के प्रति शिक्षित करना तथा जरूरी मदद उपलब्ध कराना है। साμटवेयर सेवा कंपनियों के संगठन नासकाम के अध्यक्ष आर. चंद्रशेखर ने यह जानकारी दी। जबकि आईटी व विधि मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने दावा किया है कि 8 नवंबर को नोटबंदी के ऐलान के बाद से डिजिटल लेन देन में 400 से 1000 प्रतिशत की तेजी आई है।
नकारात्मक संदेश पर चेताया
स्टिट्यूट आॅफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स आॅफ इंडिया (आईसीएआई) ने अपने सभी सदस्यों को चेतावनी दी है कि वह किसी भी मंच पर नोटबंदी के खिलाफ नकारात्मक संदेश जारी न करें। मसलन आईसीएआई की ओर से जारी एक सर्कुलर में अपने सदस्यों को हिदायद दी गई है कि केंद्र सरकार की तरफ से 500 और 1,000 रुपये के नोट अमान्य करने की किसी भी स्तर पर आलोचना न की जाए। आईसीएआई ने सर्कुलर में अपने सभी सदस्यों को सलाह दी है कि वह अपने क्लाइंट्स को सुझाव देते वक्त, किसी भी मंच पर नोटबंदी को लेकर अपनी राय देते या लिखते वक्त बेहद सजग और सावधानी बरते।
कालेधन वालों पर नकेल
नोटबंदी की डेडलाइन 30 दिसंबर को खत्म हो जाएगी। आशा है कि उससे अगले दिन तक आईटी विभाग अपना काम खत्म कर लेगा। सरकार ने बैंकों को निर्देश दिया हुआ है कि जिन जनधन खातों में 50,000 रुपए से ज्यादा, बचत खाते में 2,50,000 रुपए से ज्यादा और चालू खाते में 12.5 लाख रुपए से ऊपर जमा हुए हैं उनकी लिस्ट आईटी विभाग को देनी है। आईटी विभाग ने एक अनुमान के हिसाब से बताया है कि वह हर साल लगभग 3,20,000 केस छानबीन के लिए लेते हैं। यानी चार हजार जो कर्मचारी मौजूद हैं उनमें से प्रति अधिकारी के पास 80 केस आते होंगे। लेकिन 40 लाख केसों को निपटाने का मतलब होगा कि अपने काम का 12.5 गुना और ज्यादा काम करना।
12Dec-2016




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