नोटबंदी पर गतिरोध तोड़ने में जुटी सरकार
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
राज्यसभा
में प्रधानमंत्री की मौजूदगी में नोटबंदी पर विपक्ष के साथ चल रहे गतिरोध
को सरकार की ओर से तोड़ने के प्रयास किये गये। शायद पीएम मोदी खुद इसी मंशा
से शून्यकाल में उच्च सदन में दाखिल हो गये थे, लेकिन विपक्ष उनकी टिप्पणी
पर माफी की बात पर अडियल रवैये के साथ हंगामा करने से बाज नहीं आया।
प्रधानमंत्री
नरेंद्र मोदी की उच्च सदन में गुरुवार को मौजूदगी के दौरान एक दुर्लभ
नजारा देखने को मिला, जहां विपक्ष के हंगामे के कारण स्थगित हुई सदन की
कार्यवाही के दौरान भी मोदी सदन से नहीं गये, बल्कि विपक्षी दलों के
सदस्यों से अपने अंदाज में बातचीत करते नजर आए। विपक्षी सदस्यों के हंगामे
के कारण शून्यकाल में सदन की कार्यवाही 15 मिनट के लिए स्थगित की गई थी और
इस समय को पीएम ने विपक्षी दलों के नेताओं के साथ बातचीत के जरिए बिताया।
पीएम और विपक्षी सदस्यों के बीच जिस अंदाज में बातचीत होती रही उससे यही
अनुमान लग रहा था कि नोटबंदी पर तकरार बेवजह हो रही है, क्योंकि बातचीत के
दौरान सरकार की ओर से भी इस तकरार को टालने के प्रयास देखे गये। कार्यवाही
शुरू होते ही ऐसे विपक्षी दलों के नेताओं ने नोटबंदी के मुद्दे पर
प्रधानमंत्री की कथित टिप्पणी को लेकर उनसे माफी की मांग करके हंगामा करने
के किसी मौके नहीं गंवाया। सत्ता पक्ष तथा विपक्षी दलों के कई सदस्यों ने
पीएम मोदी के पास जाकर खुद भी गुप्तगु की। इस दौरान विपक्षी दलों के
सदस्यों से बातचीत करते हुए प्रधानमंत्री मोदी की मुस्कान का उसी लहजे में
विपक्षी सदस्यों ने भी जवाब दिया। ऐसे विपक्षी दलों के नेताओं में पीएम से
बातचीत करने वालों में अभिनेत्री और सपा सदस्य जया बच्चन, प्रख्यात बॉक्सर
तथा मनोनीत सदस्य मैरीकोम, सपा के नीरज शेखर, अन्नाद्रमुक सदस्य तथा वाम
दलों के विभिन्न सदस्य भी शामिल थे।
पटरी से उतरा विपक्ष
शून्यकाल
शुरू हुआ तो पीएम की मौजूदगी के बावजूद नोटबंदी पर अधूरी चर्चा को आगे
बढ़ाने के लिए विपक्षी सदस्यों ने कोई रूचि नहीं दिखाई जो पहले से पीएम की
मौजूदगी में चर्चा कराने की मांग करते रहे हैं। बल्कि इसके विपरीत पीएम की
मौजूदगी में विपक्षी दल लोगों की परेशानी को दरकिनार करके उनसे विपक्षी
दलों पर कथित टिप्पणी पर माफी मांगने की मांग को लेकर हंगामा करते दिखे।
जबकि सरकार की ओर से इस अधूरी चर्चा को आगे शुरू करने के लिए विपक्ष को
दलील दी जाती रही। गौरतलब है कि यह चर्चा 16 नवंबर को संसद का शीतकालीन
सत्र शुरू होने पर पहले ही दिन विपक्ष की मांग पर शुरू हुई थी, लेकिन अब तक
यह अधूरी है। विपक्षी सदस्यों की मांग है कि चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री
सदन में रहें, पूरी चर्चा को सुनें और जवाब दें। मसलन जब गुरुवार को मोदी
प्रश्नकाल शुरू होने से कुछ पहले सदन में पहुंच गए, तो सदन के बाहर उनकी ही
एक कथित टिप्पणी पर उनसे माफी की मांग को लेकर विपक्षी सदस्यों ने हंगामा
करने की रणनीति को जारी रखा।
चर्चा में विपक्ष की दिलचस्पी नहीं
राज्यसभा
में इस माहौले के बावजूद हंगामे पर प्रतिक्रिया करते हुए केंद्रीय मंत्री
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि पीएम मोदी के लंच के बाद भी सदन में बैठे रहने के
बावजूद विपक्ष ने नोटबंदी पर चर्चा को आगे बढ़ाने के बजाए हंगामा करने में
ज्यादा विश्वास रखा। इससे जाहिर है कि विपक्ष को चर्चा में दिलचस्पी नहीं
है। उनका कहना था कि पीएम सदन में रहे तो ज्यादातर विपक्षी दलों के नेताओं
ने कार्यवाही स्थगित होने के बावजूद बाहर जाने के बजाए पीएम से बातचीत करने
के मौके को कतई नहीं गंवाया।
02Dec-2016
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