रविवार, 13 सितंबर 2015

जीएसटी लागू करने की कवायद में सरकार!

सहमति बनते ही बुलाया जाएगा संसद का शीत सत्र
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार का देश में आगामी एक अप्रैल को जीएसटी लागू करने का इरादा है। गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) विधेयक के मुद्दे पर जहां सरकार ने प्रशासनिक तैयारिया तेज कर दी है, वहीं सरकार के कुछ वरिष्ठ मंत्री विपक्षी दलों के साथ बातचीत करके आम सहमति बनाने में जुटे हैं। ऐसी भी संभावना है कि यदि आम सहमति बन जाती है तो संसद का शीतकालीन सत्र निर्धारत समय से पहले बुलाकर जीएसटी को अंजाम तक पहुंचाया जा सकता है।
संसद के मानसून सत्र के दौरान प्रवर समिति की जांच से गुजकर राज्यसभा में आने के बावजूद जीएसटी विधेयक को भले ही विपक्षी दलों ने रोक दिया हो, लेकिन सरकार आगामी वित्तीय वर्ष में एक अप्रैल को जीएसटी लागू करने के लिए प्रतिबद्धता की बात बार-बार दोहरा रही ही है। शायद इसी इरादे के तहत वित्त मंत्रालय और संबन्धित विभागों में जीएसटी को लेकर प्रशासनिक तैयारियां तेजी से चल रही है। सूत्रों के अनुसार जीएसटी विधेयक लागू करने की परिकल्पना पूर्ववर्ती यूपीए सरकार की है, लेकिन सत्ता बदलने के बाद यूपीए का नेतृत्व कर रही कांग्रेस पार्टी ही इस विधेयक के विरोध में आकर रोड़ा बनी हुई है। इस विधेयक को अंजाम तक पहुंचाने के लिए मोदी सरकार कितनी गंभीर है इसका अंदाजा इसी बात से लगता है कि कुछ वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री लगातार विपक्षी दलों के साथ इस मुद्दे पर बातचीत करने में जुटे हुए हैं। इस बात के संकेत शनिवार को स्वयं संसदीय कार्य मंत्री एम. वेंकैया नायडू ने देते हुए कहा कि कि कांग्रेस के नेताओं से हुई बातचीत से संभावना है कि इस मुद्दे पर सभी राजनीतिक दलों की सहमति बन जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि यदि आम सहमति बन जाती है तो जीएसटी को पारित कराने के लिए समय से पहले ही संसद का शीतकालीन सत्र बुलाया जा सकता है। उनकी उम्मीद का तर्क था कि विपक्षी दलों ने कोयला विधेयक और खनन विधेयक का भी विरोध किया था, लेकिन
जब सरकार ने उनसे बातचीत की तो उन्होंने समर्थन करके इन विधेयकों को पारित कराया। गौरतलब है कि तृणमूल कांग्रेस जीएसटी के समर्थन का पहले ही ऐलान कर चुकी है।
सीबीईसी पर रहेगा जिम्मा
केंद्र सरकार ने नीतिगत मुद्दों और जीएसटी लागू करने का जिम्मा सेंट्रल बोर्ड आॅफ एक्साइज ऐंड कस्टम्स यानि सीबीईसी को सौंपा है, जो दो वर्टिकल बनाने के लिए कानून और प्रक्रियाओं पर प्रशासनिक काम में तेजी से जुटा है। सीबीईसी के सूत्रों के अनुसार जीएसटी के कानून और प्रक्रियाओं पर काम करने के लिए केंद्र के अलावा राज्यों के अधिकारियों के बनाए गये दल इस पर काम करने में जुटे हुए हैं। डायरेक्टरेट आॅफ सर्विस टैक्स के बदले डायरेक्टरेट आॅफ जीएसटी के लिए बनाये जा रहे दो वर्टिकल में से एक परफॉर्मेंस मैनेजमेंट तो दूसरा टैक्सपेयर सर्विसेज का काम देखेगा। ये वर्टिकल इसलिए बनाए जा रहे हैं ताकि नए टैक्स सिस्टम के तहत पॉलिसी बनाने और उसे लागू करने का काम तेजी से हो सके। नए टैक्स सिस्टम की जरूरत के मुताबिक दोनों ही वर्टिकल नियम और प्रक्रिया तय करेंगे। राज्य और केंद्र सरकार के स्तर पर लगाई जाने वाली अप्रत्यक्ष दरों की जगह जीएसटी लेगा।
13Sep-2015

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें