सामाजिक-आर्थिक और शैक्षिक पिछड़ापन भी होगा शामिल
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र
सरकार अनुसूचित जाति के दायरे में समुदायों को रखने के लिए अपनाये जा रहे
मानकों में बदलाव करने की तैयारी में है, जिनमें सरकार सामाजिक-आर्थिक,
शैक्षणिक पिछड़ापन तथा स्वायत्त धार्मिक परमम्पराओं को भी शामिल करने का
निर्णय ले चुकी है। इसके लिए जारी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के फैसले को जल्द
ही कैबिनेट में मंजूरी मिलने की संभावना है।
मोदी सरकार
अनुसूचित जाति के दायरे में समुदाय को रखने के मानकों में बदलाव करने की
कवायद को तेज कर दिया है, जिसकी प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए एक कैबिनोट
तैयार किया जा रहा है। आदिवासी मामलों के मंत्रालय की माने तो इस
प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा लिये गये फैसले को जल्द ही
केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी मिल सकती है। अनुसूचित जनजाति वर्ग में अन्य
समुदायों को शामिल करने के लिए अभी तक पांच मानकों यानि आदिम विशेषताओं,
विशेष संस्कृति, दूसरो के संपर्क में हाने से हिचक, भौगोलिक अलगाव और
पिछड़ापन का आधार बनाया जाता था। अब सरकार इन मानकों में सामाजिक-आर्थिक और
शैक्षिक पिछड़ापन और स्वायत्त धार्मिक परंपराओं को भी शामिल करने पर निर्णय
ले चुकी है। हालांकि सरकार पहले से बने आदिम विशेषता के मानक में भी बदलाव
करना चाहती है, ताकि अपमानजनक न लगे। वहीं भौगोलिक अलगाव के मानक में भी
संशोधन करके इसमें दूसरे आदिवासी समुदायों खासतौर पर एसटी समुदाय के साथ
संपर्क को शामिल करने का निर्णय लिया गया है। मंत्रालय के सूत्रों ने बताया
कि अभी तक एसटी वर्ग में समुदाय को शामिल करने के राज्यों के प्रस्ताव
कई-कई सालों तक अटके रहते थे, लेकिन अब सरकार ने इस प्रक्रिया को छह माह
में पूरा करने की समयसीमा तय करने का निर्णय लिया है। इस प्रक्रिया पर साल
बाद विचार आदिवासी मामलों के मंत्रालय में सचिव की अध्यक्षता वाली एक सचिवों की समिति निगरानी रखेगी।
ऐसे होगी प्रक्रिया पूरी

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बाक्स
सरकार
के इस निर्णय पर नेशनल दलित मूवमेंट फॉर जस्टिस के महासचिव रमेश नाथन का
कहना है कि यह बहुत कदम चुनौतीपूर्ण है। सरकार मानकों में कोई बदलाव करने
से पहले राज्यों की भी राय लेनी चाहिए। नाथन का कहना है कि इस मामले पर
सचिवों की समिति को ज्यादा अधिकार देने का भी कोई औचित्य नहीं है। उनका
कहना है कि रजिस्ट्रार जनरल आॅफ इंडिया को कुछ अधिकार देने के पीछे यह भी
कारण रहा है कि वह किसी भी समुदाय के दावे की वैधता जांचने के लिए
वैज्ञानिक आंकडों का उपयोग करते रहे हैं।
15Sep-2015
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