छत्तीसगढ़ विस की पीएसी का काम बेहतर
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
संसद
या राज्य विधानसभा की लोक लेखा समितियों के सामने समीक्षा के लिए आने वाली
कैग रिपोर्टो की समीक्षा में आने वाली चुनौतियों को दूर करने के लिए संसद
को बदलाव करने की जरूरत है। यह बात छत्तीसगढ़ विधानसभा की लोक लेखा समिति के
अध्यक्ष सत्य नाराण शर्मा ने हरिभूमि से बातचीत के दौरान कही।
यहां
संसदी सौंध में आयोजित संसद और राज्य विधानमंडलों की पीएसी अध्यक्षों के
सम्मेलन में हिस्सा ले रहे छत्तीसगढ़ विधानसभा की लोक लेखा समिति अध्यक्ष
सत्य नारायण शर्मा ने बेबाक कहा कि पीएसी के लिए संसद या विधानसभा के दायरे
में अलग से सचिवालय होना जरूरी है, जहां पर्याप्त संसाधन और स्टॉफ दिया
जाना चाहिए। उनका कहना था कि पीएसी के नियमों में आमूल चूल परिवर्तन करने
के लिए संसद को राज्यों को भी दिशा निर्देश जारी करके ऐसी व्यवस्था कायम
करने की जरूरत है जिससे लोक लेखा समितियों की भूमिका को सार्थक बनाया जा
सके। मसलन पीएसी को सौंपी जाने वाली कैग रिपोर्ट की समीक्षा के लिए लंबित
पड़े मामलों के निपटान के लिए उप समितियों का गठन करने का भी अधिकार दिया
जाना चाहिए। हालांकि मौजूदा केंद्र सरकार ने संसद की पीएसी की सिफारिश पर
नई प्रणाली शुरू करने का ऐलान किया है यह अच्छी बात है। शर्मा ने कहा कि
जैसा कि सम्मेलन में पीएसी के आधारभूत ढांचे को मजबूत बनाने के लिए सरकारों
को बजट का प्रावधान भी रखना चाहिए। उनका मानना है कि पीएसी में विभिन्न
दलों द्वारा भेजे जाने वाले सदस्यों को सक्रिय रखने की हिदायद दी जानी
चाहिए।
छत्तीसगढ़ अव्वल
लोक लेखा समिति के
अध्यक्ष सत्य नारायण शर्मा ने दावा कि शायद देशभर में छत्तीसगढ़ ही ऐसा
राज्य है जहां विधानसभा की लोक लेखा समिति सहजता के साथ चुनौतियों का सामना
करने में सक्षम है। इस बारे में पूछे गये सवाल पर उन्होंने कहा कि उनकी
अध्यक्षता वाली लोक लेखा समिति का कार्य सबसे बेहतर इसलिए कहा जा सकता है
कि उसकी हर बैठक में सदस्यों की संख्या शत प्रतिशत रही है और समिति में
दलगत राजनीति से अलग कैग की रिपोर्ट के महत्वपूर्ण पैरों का चयन करके उन पर
सार्थक चर्चा की जाती है। अन्य चुनौतियों के बारे में शर्मा ने कहा कि
सरकारों की ओर से प्रतिवेदनों में की जाने वाली सिफारिशों पर इतना विलंब
होता आ रहा है कि जिम्मेदार अधिकारी या दोषी व्यक्ति संबन्धित विभाग में
नहीं होता या फिर वह सेवानिवृत्त हो जाता है। इसलिए जरूरी है कि समय सीमा
का निर्धारण करना जरूरी है, ताकि जिम्मेदार व्यक्ति के खिलाफ समुचित
कार्रवाही अमल में लाई जा सके।
समुचित तरीके का व्यय बुद्धिमानी: महाजन
नई दिल्ली।
मितव्ययिता,
दक्षता और प्रभावकारिता के लिए खर्च करने के तरीके में बदलाव करना जरूरी
है। यह राय मंगलवार को आयोजित संसद और विधानमंडलों की लोक लेखा समितियों के
अध्यक्षों के अखिल भारतीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए लोकसभा अध्यक्ष
सुमित्रा महाजन ने दी।उन्होंने कहा कि भारत जैसे लोकतांत्रिक
देश में लोगों के प्रति सरकार की जवाबदेही के सिद्धांत पर संसद के निगरानी
संबंधी कार्य सक्रिय, चुनौतीपूर्ण और सतत् प्रक्रिया वाले हैं। इस सिद्धांत
के महत्व पर जोर देते हुए श्रीमती महाजन ने कहा कि लोक व्यय पर संसद का
नियंत्रण केवल देश का प्रशासन चलाने के लिए आवश्यक वित्त पर मतदान तक ही
सीमित नहीं है, बल्कि यह सुनिश्चित करना भी है कि व्यय बुद्धिमानी से किया
जाए और संसद द्वारा स्वीकृत नीतियों में निर्धारित लक्ष्य भी प्राप्त हो
सकें। उन्होंने इसके लिए तीन 'ए' अर्थात मितव्ययिता, दक्षता और
प्रभावकारिता के लिए कम खर्च, समुचित तरीके से खर्च और बुद्धिमानी से खर्च
करना आवश्यक है। नियंत्रक-महालेखापरीक्षक और लोक लेखा समिति की महत्वपूर्ण
भूमिका पर उन्होंने कहा कि ये दोनों ही तंत्र तीन ‘अ’ अर्थात लेखा, परीक्षा
और जवाबदेही) से जुड़े हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि यदि संभव हो और जहां
भी आवश्यक हो इसमें एक और 'अ' अर्थात मूल्यांकन जोड़ा जाना चाहिए, ताकि नई
अच्छी परिपाटियों और परियोजनाओं को अन्यत्र भी लागू किया जा सके।
चुनौतियों से निपटना जरूरी
सम्मेलन
में संसद की लोक लेखा समिति के अध्यक्ष प्रो. के.वी. थॉमस ने संसदीय
लोकतंत्र में लोक वित्त की जवाबदेही सुनिश्चित करने में लोक लेखा समिति की
महत्वपूर्ण भूमिका को भी उजागर किया और उन्होंने जोर देकर कहा कि संसद और
विधानमंडलों की लोक लेखा समितियों के सामने वित्तीय पारदिर्शता और जवाबदेही
की बढ़ती चुनौतियों का सामना करने के तौर तरीकों से निपटने की जरूरत है।
उन्होंने राज्य और संघ राज्य क्षेत्रों की लोक लेखा समितियों को आत्म
निरीक्षण करने और राज्यों तथा संघ राज्यों में लोक लेखा समिति के कार्यकरण
में सुधार करने के कार्य के लिए प्रोत्साहित किया।
09Sep-2015
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