मंगलवार, 29 सितंबर 2015

अब बेलगाम नहीं दौड़ सकेंगे कॉमर्शियल वाहन!

एक अक्टूबर से स्पीड गवर्नर डिवाइस लगाने के निर्देश
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार ने सड़क हादसों में होने वाली मौतों पर अंकुश लगाने के लिए देशभर में दौड़ने वाले कॉमर्शियल वाहनों में एक अक्टूबर से स्पीड गवर्नर लगाने के निर्देश दिये हैं। इसके लिए केंद्र और राज्य सरकारों ने अधिसूचना जारी करके बिना स्पीड गवर्नर डिवाइसवाहनों के रजिस्ट्रेशन निरस्त करने का निर्णय लिया है।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने मोटर वाहन नियमों में संशोधन करते हुए ट्रक, बस, डंपर, मिनी बसों की गति पर लगाम कसने की दिशा में उनमें स्पीड गवर्नर लगाना अनिवार्य करते हुए पहले ही अधिसूचना जारी कर दी थी, जिसमें एक अक्टूबर से इन संशोधन नियमों के तहत बिना स्पीड गवर्नर डिवाइस वाले कॉमर्शियल वाहनों के सड़कों पर दौडना सख्त मना होगा और उनके रजिस्ट्रेशन को निरस्त भी किया जा सकता है। इसके लिए राज्य सरकारों ने भी अधिसूचना जारी कर दी है। वहीं एक अक्टूबर के उन्हीं वाहनों का कॉमर्शियल श्रेणी में रजिस्ट्रेशन होगा, जिनमें स्पीड गवर्नर डिवाइस लगी होगी और नए वाहनों में स्पीड गवर्नर डिवाइस लगाने की जिम्मेदारी वाहन निमार्ताओं की होगी। जबकि एक अक्टूबर से पहले पंजीकृत वाहनों में उसके स्वामी को स्वयं हीस्पीड गवर्नर लगवाना होगा। नियमों के अनुसार टैंकर, डम्पर, स्कूल बसों, खतरनाक पदार्थ लेकर चलने वाले वाहनों पर तो यह नियम एक अक्टूबर से तत्काल लागू हो जाएगा और अन्य प्रकार के कॉमर्शियल वाहनों को एक अप्रैल 2016 तक स्पीड गवर्नर लगवाने की छूट दी गई है। गौरतलब है कि वर्ष 2012 में भी अदालतें भी कमर्शियल वाहनों में स्पीड गवर्नर अनिवार्य करने के निर्देश देती आ रही है। हालांकि ट्रांसपोर्टरों ने इसका जबर्दस्त विरोध किया था। इस विरोध के मद्देनजर केंद्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर 2014 से लगभग सभी कॉमर्शियल वाहनों को इससे राहत दी, लेकिन अप्रैल 2015 में अचानक केंद्र सरकार ने एक नई अधिसूचना जारी कर बसों और ट्रकों के लिए भी स्पीड गवर्नर जरूरी कर दिया।
इन वाहनों को छूट
मंत्रालय के अनुसार हालांकि जारी दिशा निर्देशों में कॉमर्शियल वाहनों को दो श्रेणियों में बांटा गया है। मसलन दोपहिया, तीन पहिया, कार, पुलिस वाहन, फायर ब्रिगेड और एंबुलैंस को इन नियमों से छूट दी गई है, लेकिन इन वाहनों की अधिकतम गति 80 किलोमीटर प्रतिघंटा से ज्यादा नहीं होगी। इस संबंध में केंद्र सरकार अप्रैल 2015 में ही अधिसूचना जारी कर चुकी है और राज्य सरकारों को भी निर्देश दे चुकी है। दरअसल ट्रक और बसों की तेज गति कारण 28 प्रतिशत से ज्यादा हादसों का कारण सामने आया तो इस पर अदालत और फिर सरकार भी सतर्क हुई। इसी कारण केंद्र सरकार सड़क हादसों में कमी लाने की कवायद में उलझी हुई है।
29Sep-2015



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