गुरुवार, 24 सितंबर 2015

अब हो सकेगी हादसों में घायलों की मदद!

केंद्र सरकार ने जारी किये दिशा निर्देश
मदद करने वालों को तंग नहीं कर सकेगी पुलिस
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश में सड़क सुरक्षा की मेगा योजना के तहत केंद्र सरकार ने दुर्घटनाओं में हो रही मौतों पर अंकुश लगाने की दिशा में मानवीय व सामाजिक दृष्टिकोण अपनाते हुए एक ऐसी अधिसूचना जारी की है, जिसमें सड़क दुर्घटना में घायलों को अस्पताल तक पहुंचाने वाले लोगों में पनपे डर को दूर किया गया है। मसलन मानवीय आधार पर मददगारों को पुलिस की प्रताड़ना का शिकार नहीं होना पड़ेगा।
दरअसल सड़क दुर्घटनाओं के दौरान घायलों को चाहते हुए भी कोई भी व्यक्ति उन्हें अस्पताल ले जाने या उनकी मदद करने से कतराता रहा है, जिसके कारण सड़क दुर्घटनाओं में मरने वालों की संख्या में इजाफा होता देखा गया है। इसका कारण यही था कि ऐसे नेक लोगों को पुलिस पूछताछ के नाम पर प्रताड़ित करने की प्रणाली ज्यादा अपनाती आई है। इसी मानवीय और सामाजिक दृष्टिकोण के मद्देनजर केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने दुर्घटना पीड़ितों को मौके से अस्पताल ले जाने वाले लोगों को प्रताड़ना से बचाने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। इसके लिए राज्य सरकारों, अस्पताल, पुलिस तथा अन्य सभी संबंधित अधिकारियों को इन दिशानिर्देशों का अनुपालन कराने हेतु एक अधिसूचना जारी की गई है। केंद्र सरकार ने यह अधिसूचना सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये निर्देशों के आधार पर जारी की है। सरकार का मकसद है कि दुर्घटना में घायल लोगों की मदद करने से मदद करने वाले लोगों में जागरूता को बढ़ाकर सड़कों पर गंवाई जा रही इंसानोें की जान को बचाया जा सके। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय सभी पंजीकृत सार्वजनिक एवं निजी अस्पतालों को दिशा-निर्देश जारी करेगा, कि सहायता करने वाले व्यक्ति से अस्पताल में घायल व्यक्ति के पंजीकरण और दाखिले या इलाज के लिए किसी प्रकार के शुल्क की मांग नहीं की जाएगी। अधिसूचना में यह भी प्रावधान होगा कि घायल की सहायता करने वाला व्यक्ति उसके पारिवारिक सदस्य अथवा रिश्तेदार है तो भी घायल व्यक्ति को तुरंत इलाज शुरू किया जाएगा, भले ही उनसे बाद में शुल्क जमा कराया जाए।
क्या है दिशा निर्देश
केंद्र द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार कोई भी व्यक्ति सड़क दुर्घटना में घायल व्यक्ति की जान बचाने की खातिर उसे किसी नजदीकी अस्पताल ले जाता है, उसे केवल उसका पता लिखकर तुरंत जाने की अनुमति होगी और अस्पताल पहुंचाने वाले व्यक्ति को को उसके लिए उत्तरदायी नहीं माना जाएगा। वहीं पुलिस अथवा आपातकालीन सेवाओं को सड़क दुर्घटना के बारे में दूरभाष से सूचित करने वाले व्यक्ति को भी किसी प्रकार बाध्य नहीं करने के निर्देश हैं। यदि पीड़ित की सहायता करने वाला व्यक्ति दुर्घटना के बारे में स्वेच्छा से पुलिस की मदद करना चाहता है तो पुलिस जांच के लिए उससे केवल एक ही बार में पूछताछ कर सकेगी। वहीं सरकारी और और सार्वजनिक अस्तपतालों के अलावा सभी निजी अस्पतालों में दुर्घटना की आपातकालीन स्थिति में डाक्टर द्वारा लापरवाही बरतने को व्यावसायिक दुर्व्यवहार की श्रेणी में शामिल किया जा रहा है, जिसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। ऐसे दिशा-निदेर्शों का पालन न करने पर संबंधित अधिकारियों द्वारा उनके विरूद्ध कार्रवाई की जाएगी।
23Sep-2015


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