बुधवार, 16 सितंबर 2015

नदियों को जोड़ने पर आगे बढ़ी सरकार!

केन-बेतवा से शुरू होगी राष्ट्रीय मॉडल लिंक परियोजना
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहार वाजपेयी की महत्वाकांक्षी नदियों को आपस में जोड़ने की योजना को मोदी सरकार ने दिशा देना शुरू कर दिया है। केंद्र सरकार ने केन-बेतवा नदियों को आपस में जोड़ने की संवैधानिक मंजूरी मिलते ही देश में नदियों को आपस में जोड़ने की मुहिम को मॉडल लिंक परियोजना के रूप में राष्ट्रीय परियोजना को लागू करने का कार्य शुरू करेगी।
केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने  नदियें को आपस में जोडने वाली राज्‍यों की विशेष समिति की बैठक में कहा कि उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के बीच बनी सहमति के बाद केन-बेतवा लिंक परियोजना के लिए विभिन्न मंजूरी प्रक्रिया के अंतिम चरण में हैं और संवैधानिक मंजूरी मिलने के बाद देश में नदियों को आपस में जोड़ने का काम मॉडल लिंक परियोजना के रूप में राष्ट्रीय परियोजना को लागू करने का कार्य शुरू कर दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि देश में जल की वृद्धि और खाद्य सुरक्षा के लिए नदियों को आपस में जोड़ने का कार्यक्रम बहुत महत्वपूर्ण है और जल की कमी वाले, सूखा ग्रस्त और वर्षा पर आधारित क्षेत्रों को पानी उपलब्ध कराने के लिए यह बहुत लाभदायक सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि सरकार संबंधित राज्य सरकारों की सहमति और सहयोग से नदियों को आपस में जोड़ने के कार्यक्रम को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस बैठक में पश्‍चिम बंगाल, हरियाणा, पंजाब, तमिलनाडु, गुजरात, मध्‍य प्रदेश, उत्‍तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, छत्‍तीसगढ़ और असम से विभिन्‍न राज्‍यों के वरिष्‍ठ अधिकारियों ने भी इस बैठक में भाग लिया।
दमनगंगा-पिंजाल पर विवाद
उमा भारती ने बैठक में यह भी जानकारी दी कि पार-तापी-नर्मदा लिंक परियोजना की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट का कार्य राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी ने पूरा करके गत 25 अगस्त को गुजरात और महाराष्ट्र सरकारों को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। उन्होंने कहा कि केन-बेतवा और दमनगंगा-पिंजाल के बाद यह तीसरी लिंक परियोजना है, जिसके लिए डीपीआर पूरी की जा चुकी है। सुश्री भारती ने कहा दमनगंगा-पिंजाल के संबंध में गुजरात और महाराष्ट्र में पानी बंटवारे का मुद्दा और पार-तापी-नर्मदा लिंक परियोजना के बारे में अब प्राथमिकता के आधार पर विचार किए जाने की जरूरत है। इसलिए वह गुजरात और महाराष्ट्र दोनों की सरकारों से जल बंटवारे के मुद्दे को निपटाने का अनुरोध कर रही हैं, ताकि जल्दी से जल्दी इन दोनों परियोजनाओं पर कार्य शुरू किया जा सके। उन्होंने कहा कि उनके मंत्रालय द्वारा नदियों को आपस में जोड़ने के लिए गठित कार्य बलों ने अपना कार्य शुरू कर दिया है, जिससे नदियों को आपस में जोड़ने की परियोजनाओं के बारे में राज्यों में तेजी से सहमति कायम करने में मदद मिलेगी।
महाराष्ट्र का तर्क
दमनगंगा-पिंजाल के विवाद पर महाराष्ट्र के जल संसाधन मंत्री विजय शिवतारे का कहना है कि दमनगंगा-पिंजाल लिंक परियोजना के संदर्भ में उनके राज्य को 90 प्रतिशत विश्वसनीयता के बजाय 75 प्रतिशत विश्वसनीयता के आधार पर जल आवंटित किया जाए और डाइवर्जन करके पानी का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करने के लिए ऐसी जलराशि के डाइवर्जन के अनुकूल ही सुरंगों और जल परिवहन प्रणाली के आकार डिजाइन किए जाने चाहिए। शिवतारे का कहना है कि पानी की कमी वाले वर्ष के दौरान गुजरात और महाराष्ट्र में जल आवंटन के अनुपात में ही जल संकट की हिस्सेदारी होनी चाहिए।
विशेष समिति की बैठक
मंत्री उमा भारती ने नदियों को आपस में जोडने वाली विशेष समिति की बैठक में कहा कि विशेष सचिव के नेतृत्‍व में उनके मंत्रालय के वरिष्‍ठ अधिकारियों के एक दल की अभी हाल में पश्‍चिम बंगाल के मुख्‍य सचिव के साथ कोलकाता में बैठक आयोजित हुई, जिसमें संकोश-महानदी लिंक प्रणाली के प्रस्‍ताव के बारे में विचार-विमर्श हुआ। इस प्रणाली में चार नदी जुड़ाव-संकोश-तीस्‍ता-गंगा, गंगा-दामोदर-सुबर्णरेखा, सुबर्णरेखा-महानदी और फरक्‍का-सुंदरवन शामिल हैं। प्रस्‍तावित जुड़ाव प्रणाली से लगभग 10.5 लाख हेक्‍टेयर भूमि को सिंचाई का लाभ उपलब्‍ध होने के साथ-साथ पश्‍चिम बंगाल को घरेलू/औद्योगिक जल की आपूर्ति भी होगी। राज्‍य सरकार से इस प्रस्‍ताव के बारे में सहमति देने और इसमें सुधार के लिए अपने सुझाव देने का अनुरोध किया गया है। उन्‍होंने एम विश्‍वेश्‍वरैया को उनके जन्‍म दिन के अवसर पर याद किया और उन्‍हें भावभीनी श्रृद्धांजलि देते हुए सुश्री भारती ने कहा कि वे एक दूरदर्शी इंजीनियर और राजनेता थे, जिन्‍होंने आधुनिक भारत के अनेक बांधों और जलाशयों के निर्माण में महत्‍वपूर्ण भूमिका निभाई है। 
झारखंड की डीपीआर ठंडे बस्‍ते में
 झारखंड के जल संसाधन मंत्री  चंद्र प्रकाश चौधरी ने कहा कि एनडब्‍ल्‍यूडीए द्वारा तैयार संख-साउथकोल और साउथकोल-सुबर्णरेखा नदी लिंक परियोजनाओं की व्‍यवहार्यता रिपोर्ट (पीएफआर) इसलिए रूकी पड़ी है क्‍योंकि ओडिशा सरकार को इस रिपोर्ट पर कुछ आपत्‍तियां हैं।  इस पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए केंद्रीय जल संसाधन मंत्री ने उपसमूह की बैठक 10 दिन के अंदर बुलाने का निर्देश दिया। चौधरी ने बराकर-सुबर्णरेखा नदी लिंक का उल्‍लेख करते हुए कहा कि इस परियोजना की डीपीआर ठंडे बस्‍ते में डाल दी गई है, क्‍योंकि दामोदर घाटी नदी विनियमन समिति (डीवीआरआरसी) से मंजूरी नहीं मिली है। 
कावेरी विवाद पर भी पेंच
महानदी और गोदावरी नदियों के फालतू पानी में राज्‍य की हिस्‍सेदारी की बहाली का जिक्र करते हुए कर्नाटक के जल संसाधन मंत्री एम बी पाटिल ने कहा कि कर्नाटक के लगातार प्रयासों के बावजूद न तो जल संसाधन मंत्रालय और न ही एनडब्‍ल्‍यूडीए ने राज्‍य की चिंता की ओर ध्‍यान आकर्षित कराया है। उन्‍होंने कहा कि एनडब्‍ल्‍यूडीए द्वारा तमिलनाडु में पोनइयार (कृष्‍णागिरि)-पलार लिंक की पीएफआर में बंगलुरू शहर की पेयजल आपूर्ति से कृष्‍णागिरि की अपस्‍ट्रीम तक उपलब्‍ध 271 एमसीयूएम (9.57 टीएमसी) की आमद को ध्‍यान में रखा गया है। पाटिल ने कहा कि कावेरी नदी से प्राप्‍त बंगलुरू जल की आपूर्ति होती है। इस आपूर्ति से कर्नाटक द्वारा पुनर्ग्रहण किए जल के उपयोग के अधिकार को ध्‍यान में रखते हुए यह उचित होगा कि जल संतुलन अध्‍ययन में 271 एमसीएयू जल को तमिलनाडु के पक्ष में न माना जाए। उनका मत था कर्नाटक के हितों की अनदेखी करके अपने जल संतुलन अध्‍ययन में एनडब्‍ल्‍यूडीए द्वारा पुनर्ग्रहण जल प्रवाह की गणना करना सही नहीं है। 
16Sep-2015

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