शुक्रवार, 11 सितंबर 2015

वैकल्पिक र्इंधन को बढ़ावा देगी सरकार!

वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने की योजना
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाने की दिशा में वैकल्पिक र्इंधन को बढ़ावा देने की योजनाओं पर काम कर रही है। देश में वाहनों के उपयोग के लिए बायो-डीजल और एथनॉल मिश्रित ईंधन को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने खाका तैयार किया है।
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के अनुसार केंद्र सरकार ने देश में वाहन निर्माताओं को भी वाहन का निर्माण अंतर्राष्ट्रीय मानकों को लागू करने के दिशा निर्देश भी जारी किये गये हैं। सरकार राष्ट्रीय स्तर पर सम्मेलनों के जरिए सभी हितधारकों को संदेश दे रही है। ऐसे ही यहां आयोजित ‘परिवहन के लिए ग्रीन फ्यूल वाहन’ सम्मेलन में भी केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने वायु प्रदूषण कम करने की दिशा में ग्रीन र्इंधन के इस्तेमाल पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सरकार ने वैकल्पिक वाहन र्इंधन को बढ़ावा देने के लिए कई प्रकार की योजनाओं का खाका भी तैयार कर लिया है। सरकार ने बायो-डीजल, एथनॉल और एथनॉल मिश्रित ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए ठोस कदम उठाने शुरू कर दिये हैं। गडकरी के अनुसार वैकल्पिक ईंधन के क्षेत्र में सरकार का अनुसंधान और आर्थिक व्यवहार्यता के साथ लागत में कमी लाने पर भी जोर रहेगा। गौरतलब है कि सरकार ने पहले ही यूरो-4 उत्सर्जन मानकों को पूरा करने वाले निम्न स्तर के सल्फर युक्त पेट्रोल व डीजल की बिक्री को देश के प्रमुख शहरों में शुरू करा दिया है और इसके लिए अधिसूचना भी जारी की गई है। सरकार का लक्ष्य है कि इस साल के अंत तक देश में एक दर्जन से अधिक राज्यों के 50 से ज्यादा प्रमुख शहरों में सरकार प्रमुख शहरों में वाहनों के प्रदूषण में कमी लाने के लिए यूरो-4 मानक के पेट्रोल व डीजल की आपूर्ति शुरू हो जाएगी। हालांकि यूरो-4 या भारत-4 मानक के पेट्रोल व डीजल की आपूर्ति दिल्ली, मुंबई, चेन्नई, अहमदाबाद और लखनऊ जैसे 26 शहरों में शुरू भी करा दी गई है।
विकल्प में पायलट परियोजना
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने 'मेक इन इंडिया' के तहत वाहनों में इस्तेमाल के लिए लिथियम आयन बैटरी को विकसित करने पर भी काम शुरू कर दिया है। सरकार का दावा है कि देश में इस वैकल्पिक ईंधन के रूप में कम लागत पर लिथियम आयन बैटरियों का निर्माण किया जा सकेगा। हालांकि सरकार इसे पायलट परियोजना के रूप में शुरू करेगी। यह योजना सफल रही तो भविष्य में बसो जैसे वाहनों में लिथियम आयन बैटरी के उपयोग को हरी झंडी दी जाएगी। इस योजना में जहां ग्रीन र्इंधन को प्रोत्साहन मिलेगा, वहीं ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ाने, रोजगार सृजन और वाहनों के ईंधन पर होने वाली लागत को भी कम किया जा सकेगा।
11Sep-2015

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