गुरुवार, 10 सितंबर 2015

लोक लेखा समितियों के अधिकारों में होगा इजाफा!

राज्य पीएसी के अध्यक्षों ने सुदृढ़ता का लिया संकल्प
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश में विभिन्न विभागों की आॅडिट रिपोर्ट की समीक्षा करने वाले नियंत्रक और महा लेखा परीक्षक की रिपोर्ट की जांच प्रक्रिया को सार्थक बनाने की दिशा में राज्य विधानमंडलों की लोक लेखा समितियों के अधिकारों के दायरे को बढ़ाने पर संसद की लोक लेखा समिति गौर करेगी। इसके लिए संसद में पीएसी को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए केंद्र सरकार से सिफारिश भी की जाएगी।
संसद और राज्य विधानमंडलों की लोक लेखा समितियों के दो दिन तक चले विचार विमर्श के बाद कैग रिपोर्ट के पैरों की जांच करने वाली पीएसी को ऐसे अधिकार देने की बात सामने आई है, जिसका समर्थन संसद की लोक लेखा समिति ने भी किया है। मसलन पीएसी की जांच के बाद सरकार के समक्ष की जाने वाली सिफारिशों और टिप्पणियों पर समयसीमा में संबन्धित विभागों के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ समुचित कार्रवाही हो सके, इसलिए लिए मानदंड बनाने पर बल दिया गया। संसद की लोक लेखा समिति के अध्यक्ष प्रो. केवी थॉमस और पीएसी की उप समिति के पैनल में लोकसभा सदस्य निशीकांत दूबे, भृर्तहरि महताब और भुवनेश्वर कालिता ने भी पीएसी के अधिकारों और कार्यकरण में बदलाव की बात कही। लोक लेखा समितियों के कार्यकरण को बेहतर बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण मुद्दो पर भी सहमति बनी ,जिसमें समितियों के अधिकारों में इजाफा करना भी शामिल रहा।
नौकरशाहों पर उठाए सवाल
यहां संपन्न हुए दो दिवसीय संसद और राज्य विधानमंडलों की लोक लेखा समितियों के अध्यक्षों के अखिल भारतीय सम्मेलन में ज्यादातर राज्य विधानमंडलों की लोक लेखा समितियों के अध्यक्षों ने समितियों के आधारभूत ढांचे को मजबूत बनाने के लिए जहां अधिकारों के दायरे को बढ़ाने की वकालत की है, वहीं समितियों को संसाधनों से भी मजबूत करने के लिए उसे आधारभूत ढांचे को बढ़ाने पर बल दिया। समितियों के सामने आने वाली चुनौतियों पर ज्यादातर राज्यों का दर्द था कि कैग की रिपोर्ट के महत्वपूर्ण पैरो की जांच के लिए संबन्धित विभाग के अधिकारी संतोषजनक जवाब नहीं देते, बल्कि दोषियों को बचाने के लिए टालमटोल की नीति अपनाकर विलंब करते देखे गये हैं। यही कारण है कि पीएसी अपने काम को समय से निष्पादन करने में पीछे हैं। वहीं पीएसी अध्यक्षों ने सरकारों पर भी सवाल उठाए कि जिन सिफारिशों व टिप्पणियों को सरकार को भेजा जाता है उन पर कार्यवाही करने में इतना विलंब हो जाता है कि दोषियों के खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाही नहीं हो पाती। विचार विमर्श के बाद इस बात पर सहमति बनी कि जांच में सहयोग न करने और समिति को गुमराह करने का प्रयास करने वाले सचिवालय या संबन्धित मंत्रालयों या विभागों के अधिकारियों के खिलाफ भी दंडात्मक कार्रवाही अमल में लाई जाए। सम्मेलन के विचार विमर्श के निष्कर्ष में समितियों के कार्य में पारदर्शिता बनाये रखने के लिए सदन के पटल पर रखी जाने वाली रिपोर्टो को सार्वजनिक करने की पहल होनी चाहिए।
बदलाव से सुदृढ़ होंगी पीएसी: संगमा
नई दिल्ली। लोक लेखा समितियों के कार्यकरण और उनके नियमों में व्यापक बदलाव के बाद ही लंबित मामलों का निष्पादन किया जा सकता है। पीएसी की महत्ता पर बोलते हुए यह राय लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष एवं लोकसभा सांसद पीए संगमा ने दी है।
संगमा बुधवार को यहां संसदीय सौंध में आयोजित संसद और राज्य विधानमंडलों के सम्मेलन के समापन समारोह में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि कहा कि वित्तीय समितियों के रूप में काम करती आ रही लोक लेखा समितियों के सामने इतना काम का बोझ है कि वे समित अधिकारों और संसाधनों में उसका निष्पादन कभी नहीं कर पाएंगी। उन्होंने नियंत्रक एवं महा लेखा परीक्षक के पूर्व अध्यक्ष विनोद राय का हवाला देते हुए कहा कि एक साल में कैग संसद में औसतन 70 प्रतिवेदन सदन के पटल पर रखता है, जबकि लोक लेखा समितियों की बैठके सीमित हैं और समितियों के सदस्य भी सीमित साधनों के कारण सक्रिय नहीं है, तो काम का बोझ तो बढ़ना तय है। इसलिए लोक लेखा समितियों को केंद्र या राज्य सरकारों को गंभीरता से लेना चाहिए, जिसके लिए संसद में सकारात्मक बदलाव का निर्णय सरकार ले सकती हैं, लेकिन देखने में आ रहा है कि सरकार के पास समितियों के सिफारिशें लंबित पड़ी रहती हैं और पीएसी के समक्ष भी जांच के लिए कैग की रिपोर्टो का अंबार लगा हुआ है। इसलिए वित्तीय अपवंचन के दोषियों को बचने का रास्ता मिल जाता है। संगमा का कहना था कि जिस धन का अपव्य हुआ है वह जनता का है और जनता भी यह जानने की इच्छुक रहती है कि संबन्धित विभाग के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ क्या कार्रवाही हुई। ऐसे में पीएसी की जांच रिपोर्ट को भी सार्वजनिक करने की जरूरत है।
सम्मेलन के समापन पर संसद की लोकलेखा समिति के अध्यक्ष प्रो. केवी थॉमस ने कहा कि इस दो दिन के विचार मंथन में जिस प्रकार के सुझाव और तर्क सामने आए हैं उससे लोक लेखा समितियों की भूमिका को और अधिक सक्रिय बनाया जा सकता है। समितियों पर बढ़ते कामकाज को कम करने के लिए आये सुझावों पर केंद्र सरकार को समितियों के लिए बनाए गये नियमों में बदलाव की सिफारिश ही नहीं की जाएगी, बल्कि इसके लिए संसद में प्रस्ताव लाने से भी समिति पीछे नहीं रहेगी। 
सम्मेलन के अंतिम सत्र मेें छत्तीसगढ़ विधानसभा की लोक लेखा समिति के अध्यक्ष सत्यनारायण शर्मा ने कहा कि राज्यों में मुख्य सचिवों को समस्त विभागों को निर्देश जारी करने चाहिए कि आॅडिट कंडिकाओं पर विभाग स्वयं संज्ञान लेकर आवश्यक जानकारी विधानसभा सचिवालय को उपलब्ध कराए। हालांकि छत्तीसगढ विधानसभा की लोक लेखा समिति की पहल पर मुख्य सचिव इस प्रकार के दिशा निर्देश जारी कर चुके हैं, जिसके कारण उनकी समिति बेहतर काम कर पा रही है। इससे पहले मध्य प्रदेश विधानसभा की पीएसी अध्यक्ष महेन्द्र सिंह कालुखेडा तथा हरियाणा विधानसभा की पीएसी अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने भी सम्मेलन में लोक लेखा समितियों की सार्थकता पर महत्वपूर्ण सुझाव दिये हैं।
10Sep-2015

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