जनता परिवार में बदजुबानी
देश की राजनीति भी अजब
है, जिसमें दोस्त या दुश्मनी का पैमाना तय करना बेहद मुश्किल है। मसलन
बिहार चुनाव से पहले भाजपा का सफाया करने के इरादे से जनता परिवार के नाम
की दुहाई देकर जो राजनीतिक दल एकजुट होने का दम भर रहे थे, उन्हीं दलों के
बीच बिहार के चुनावी संग्राम में आपस में बदजुबानी तेज होने लगी। हो भी
क्यों न, जब इस जनता परिवार से अलग होकर सपा ने बिहार चुनाव में जनता
परिवार के महागठबंधन का मुकाबला अपने दम पर करने का ऐलान कर दिया हो। ऐसे
में जनता परिवार के बाकी दलों को अपनी सियासी जमीन खिसकने का डर सताना
लाजिमी है। यह डर ऐसे में ज्यादा बढ़ा जब सपा के नेतृत्व में महागठबंधन से
अलग हुए दलों ने तीसरे मोर्चा बनाकर बिहार विधानसभा चुनाव में जंग का ऐलान
कर दिया। इससे महागठबंधन में जदयू-राजद-कांग्रेस का सियासी खेल बिगड़ना तय
माना जा रहा है। शायद यही कारण है कि अपने कुनबे से अलग होकर सियासत करने
वाले दलों के इस मोर्चे को जदयू के प्रमुख शरद यादव ने शिखंडी, जयचंद और
मीर जाफर की जमात करार दे दिया। ऐसे में राजनीतिक गलियारे में यह चर्चा
होना लाजिमी था कि तीसरे मोर्चा के दल यदि महागठबंधन में रहते तो कोई
शिखंडी नहीं था, लेकिन उनसे अलग हुए दलों ने मोर्चा बनाया तो वे अब शिखंड
या जयचंदों की फौज हो गई। जब बिहार चुनाव की सरगर्मी चरम पर है तो राजनीति
गलियारों में इन दिनों असली शिखंडी और जयचंदों की तलाश शुरू हो गई है, लोग
एक-दूसरे से पूछते नजर आते हैं कि भाई यह तो बताओ सचमुच का असली शिखंडी कौन
है?
कमाल का लोकतंत्र
लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता की बात-बात पर दुहाई देने वाली देश की सबसे बूढ़ी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस के अंदर संगठनात्मक स्तर पर कमाल का लोकतंत्र है। पिछले दिनों दिल्ली में हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में सर्वसम्मति से श्रीमती सोनिया गांधी का कांग्रेस अध्यक्ष पद पर कार्यकाल एक वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया। गौरतलब तथ्य है कि जिस कार्यसमिति ने श्रीमती गांधी का कार्यकाल बढ़ाने का प्रस्ताव पास किया गया, तो उसकेे पारित होने पर उन्होंने स्वयं ही अपने आपको मनोनीत किया। दिलचस्प पहलू यह है कि जिस समय सोनिया ने अपने आपको मनोनीत किया तो प्रस्ताव पारित होने पर उनका कार्यकाल समाप्त हो चुका था। राजनीतिक गलियारों में चर्चा की बात की जाए तो है ना कमाल का कांग्रेसी लोकतंत्र।
सलाहकार बनाम अधिकारी
मंत्रालय का चेहरा चमकाने का जिम्म संभाल रहे एक अधिकारी व संबंधित मंत्रालय के मंत्री के मीडिया सलाहकार के रिश्ते कुछ इस कदर हैं कि दोनों ही एक दूसरे को छोटा दिखाने का मौका तलाशते रहते हैं। अधिकारी से जब मंत्री से संबंधित कोई सूचना मागी जाती है तो वो मीडिया सलाहकार द्वारा जानकारी न दिए जाने का हवाला दे अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। इसके उलट जब मंत्री के मीडिया सलाहकार से संपर्क किया जाता है तो उनका कहना होता है कि, मीडिया से जुड़ा सारा काम उनके जिम्मे है। इतना ही नही वह अधिकारी को सुस्त बताने लगते हैं। संयोग से ये झगड़ा मंत्री के कार्यालय तक पहुंच गया। फिर क्या, नंबर बढ़ाने के चक्कर में मीडिया सलाहकार ने अधिकारी के खिलाफ मंत्री का कान भर दिया था। किंतु, अधिकारी ने जब मंत्री से उनके मीडिया सलाहकार का व्यवहार बताया तो बाजी ही पलट गई। सुना जा रहा कि, मीडिया सलाहकार अब बता रहे है कि अधिकारी बहुत कोआपरेटिव हैं।
कमाल का लोकतंत्र
लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता की बात-बात पर दुहाई देने वाली देश की सबसे बूढ़ी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस के अंदर संगठनात्मक स्तर पर कमाल का लोकतंत्र है। पिछले दिनों दिल्ली में हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में सर्वसम्मति से श्रीमती सोनिया गांधी का कांग्रेस अध्यक्ष पद पर कार्यकाल एक वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया। गौरतलब तथ्य है कि जिस कार्यसमिति ने श्रीमती गांधी का कार्यकाल बढ़ाने का प्रस्ताव पास किया गया, तो उसकेे पारित होने पर उन्होंने स्वयं ही अपने आपको मनोनीत किया। दिलचस्प पहलू यह है कि जिस समय सोनिया ने अपने आपको मनोनीत किया तो प्रस्ताव पारित होने पर उनका कार्यकाल समाप्त हो चुका था। राजनीतिक गलियारों में चर्चा की बात की जाए तो है ना कमाल का कांग्रेसी लोकतंत्र।
सलाहकार बनाम अधिकारी
मंत्रालय का चेहरा चमकाने का जिम्म संभाल रहे एक अधिकारी व संबंधित मंत्रालय के मंत्री के मीडिया सलाहकार के रिश्ते कुछ इस कदर हैं कि दोनों ही एक दूसरे को छोटा दिखाने का मौका तलाशते रहते हैं। अधिकारी से जब मंत्री से संबंधित कोई सूचना मागी जाती है तो वो मीडिया सलाहकार द्वारा जानकारी न दिए जाने का हवाला दे अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। इसके उलट जब मंत्री के मीडिया सलाहकार से संपर्क किया जाता है तो उनका कहना होता है कि, मीडिया से जुड़ा सारा काम उनके जिम्मे है। इतना ही नही वह अधिकारी को सुस्त बताने लगते हैं। संयोग से ये झगड़ा मंत्री के कार्यालय तक पहुंच गया। फिर क्या, नंबर बढ़ाने के चक्कर में मीडिया सलाहकार ने अधिकारी के खिलाफ मंत्री का कान भर दिया था। किंतु, अधिकारी ने जब मंत्री से उनके मीडिया सलाहकार का व्यवहार बताया तो बाजी ही पलट गई। सुना जा रहा कि, मीडिया सलाहकार अब बता रहे है कि अधिकारी बहुत कोआपरेटिव हैं।
20Sep-2015
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