गुरुवार, 3 सितंबर 2015

तेल की धार तेज करने की तैयारी में सरकार

तेल व गैस के क्षेत्र में निजी क्षेत्र का विस्तार
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश में पहली बार तेल क्षेत्र में रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल लागू करके केंद्र सरकार तेल कंपनियों की आर्थिक सेहत को सुधारने के लिए आगे बढ़ती नजर आ रही है। सरकार ने गैस और तेल में निजी क्षेत्रों का व्यापक विस्तार करने के मकसद से हाइड्रोकार्बन खोजों के विकास हेतु सीमांत क्षेत्र नीति को मंजूरी दी है।
केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अनुसार देश में सरकार ने पहली बार रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल लागू करने का निर्णय लिया है, जिसके तहत तेल और गैस के विकास हेतु ऐसे क्षेत्रों की खोज की जा सकेगी। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में मंजूरी दी गई सीमांत क्षेत्र नीति के तहत अब तेल तथा प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड (ओएनजीसी) तथा आॅयल इंडिया लिमिटेड (ओआईएल) जैसी राष्ट्रीय तेल कंपनियों द्वारा तैयार हाइड्रोकार्बन खोजों के विकास किया जा सकेगा। इस नीति के तहत 69 छोटी व मझोली तेल फील्ड्स के लिए नीलामी में हाइड्रोकार्बन का उत्पादन करने के संबंध में आपरेटरों के लिए एकीकृत लाइसेंसिंग शुरू की जाएगी। नई नीति के तहत ओएनजीसी तथा ओआईएल के अंतर्गत 69 तेल क्षेत्र ऐसे हैं जिनका कभी दोहन या विकास नहीं किया गया। इस नीति के अंतर्गत खनन कंपनियां इन तेल क्षेत्रों के दोहन के लिए बोलियां दाखिल कर सकेंगी। बैठक के बाद पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि सरकार के ‘न्यूनतम सरकार-अधिकतम शासन’ के सिद्धांत के अनुरूप प्रस्तावित अनुबंधों की संरचना में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए गए हैं। इस निर्णय से निवेश के साथ-साथ उच्च घरेलू तेल तथा गैस उत्पादन को प्रोत्साहित किए जाने की उम्मीद है।
ऐसी होगी सीमांत क्षेत्र नीति
सरकार की इस नई व्यवस्था के अंतर्गत सरकार का खर्च लागत से संबंध नहीं रहेगा और रेवेन्यू शेयरिंग मॉडल के तहत उसे तेल, गैस आदि की बिक्री से सकल राजस्व का एक हिस्सा प्राप्त होगा। दूसरे परिवर्तन में सफल बोली लगाने वाले को दिए गए लाइसेंस के अंतर्गत क्षेत्र में पाए जाने वाले सभी हाइड्रोकार्बन शामिल होंगे। मंत्रालय के अनुसार इससे पहले लाइसेंस मात्र एक वस्तु यानि तेल तक सीमित था और अन्य हाइड्रोकार्बन जैसी गैस की खोज व उसके दोहन की अवस्था में अलग लाइसेंस देने की प्रथा थी। इस नीति में यह भी प्रावधान है कि सीमांत क्षेत्रों में सफल बोलीदाता वाले को प्रशासित कीमत की अपेक्षा गैस के मौजूदा बाजार मूल्य पर बेचने की अनुमति भी होगी।
चार मोर्चाे पर होगी तेल नीति
मंत्रालय के अनुसार देश में बढ़ते निवेश की और ज्यादा संभावनाओं के आधार पर तेल मंत्रालय ने चार मोर्चो पर एक नीति तैयार की है। भारत की नई तेल नीति के लक्ष्य में सरकार तेल और गैस संपदा की खरीददारी, बेहतर शर्तों के साथ आयात, पाइपलाइन एवं रिफाइनिंग के क्षेत्र में निवेश बढ़ाने की जुगत में है। इस नीति के तहत सरकार भारतीय तेल क्षेत्र की आर्थिक तंगी को दूर करने का भी प्रयास कर रही है, जिसमें तेल की अपनी आवश्यकता के अवसर बदलने के लिए तेल निर्यातक देशों के साथ समझौते करके भारत अब तेल के लिए अतिरिक्त बैरल की मांग करने की सीमा में विस्तार करने की भी तैयारी में है। सरकार का यह भी प्रयास है कि देश में तेल की कमी को अपनी जरूरत के अनुसार बढ़ाकर इस क्षेत्र में आर्थिक स्थिति को मजबूत किया जा सकता है, जिसमें रोजगार सृजन के मौके स्वत: ही बढ़ने की उम्मीद की जा रही है।
03Sep-2015

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