रविवार, 13 सितंबर 2015

राग दरबार: खुला डरे हुए लोगों का रहस्‍य।

सबसे डरे हुए व्यक्ति
भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में सबसे डरा हुआ व्यक्ति कौन है? इस रहस्य का पर्दा शायद पहली बार उन्हीं लोगों के सामने सार्वजनिक हो गया, जिन्हें देश का सबसे डरे हुए व्यक्तियों में शुमार माना जा रहा है। इस रहस्य से हटे पर्दे को संसदीय रिकार्ड के हिस्से में दर्ज कर लिया गया है। जब यह रहत्य खुला तो संबन्धित लोग एक बारगी तो हक्के-बक्के नजर आए, लेकिन जब इसकी पृष्ठभूमि के तर्क दिये गये तो सभी ने अपने को डरे हुए व्यक्तियों के रूप में स्वीकार भी किया। करें भी क्यूं ना भला, एक और सरकार का डर तो दूसरी ओर जनता और राष्टÑ के राजस्व को चूना लगा रहे जिम्मेदार लोगों का। मसलन हाल ही में संसदीय सौंध में संसद और राज्य विधानमंडलों की लोक लेखा समितियों के अध्यक्षों का एक सम्मेलन आयोजित हुआ, जिसमें समितियों को सुदृढ़ बनाने पर दो दिन तक मैराथन मंथन हुआ। सम्मेलन में पीएसी अध्यक्षों ने जिन मुद्दों को उठाया वह उन्हीं डरे हुए व्यक्तियों की पुष्टि कर रही थी, जिस रहस्य से पूर्व लोकसभा अध्यक्ष पीए संगमा ने पर्दा उठाते हुए सभी तरह के तर्क दिये। संगमा के तर्को में वजन था, तभी तो लोक लेखा समितियों जैसी वित्तीय जांच समितियों और उनके सदस्यों को सक्रिय करने पर बल दिया गया। वैसे भी भारतीय संविधान में संसद की लोक लेखा समिति सर्वोपरि मानी जाती है, जो भारत नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की आॅडिट रिपोर्ट की भी जांच करके अंतिम निष्कर्ष सरकार को सौंपती है। मसलन इस रहस्य का निष्कर्ष यही रहा कि इन समितियों के अधिकारों के दायरों को बढ़ाने के साथ पीएसी की सार्थकता को बनाने के लिए नियमों में बदलाव किये जाएं। अन्यथा इस डर के रहस्य को लुप्त करना बहुत मुश्किल भरा होगा।
चुनाव का चक्कर
बिहार चुनाव पर सबकी नजरें हैं। प्रचार के लिए दिग्गजों का जमघट लगना तय है लेकिन कुछ ऐसे भी हैं जिनको रैली संबोधित करने का मौका शायद ही मिले। भाजपा के गलियारों में चर्चा है कि लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, यशवंत सिन्हा तथा ‘शॉटगन’ शत्रुघ्न सिन्हा को जनसभा में बोलने का अवसर मिलना मुश्किल है। कांग्रेस के सामने जरा अलग किस्म की परेशानी है। बिहार में पार्टी की हालत का भगवान ही मालिक है। ऊपर से राहुल गांधी चाहते हैं कि कांग्रेस अपने दम पर भी दो-चार रैली करे। कांग्रेस उपाध्यक्ष अपने करीबियों से कहते रहे हैं कि लालू यादव जिस मंच पर रहेंगे वहां वे भाषण देने नहीं जायेंगे। यही वजह है कि कुछ दिन पहले सोनिया गांधी को नीतीश-लालू के साथ मंच पर बैठना पड़ा था। सोनिया चाहती हैं कि राहुल गांधी गठबंधन धर्म निभाने के लिए आगे आयें। चर्चा ये भी है कि अब धीरे-धीरे राहुल गांधी अपने कठोर रूख में नरमी ला रहे हैं और आने वाले दिनों में वे किसी रैली में लालू यादव के साथ हाथ थामे नजर आ सकते हैं। कांग्रेस की दिक्कत ये भी है कि बिहार में सोनिया-राहुल के अलावा कोई बड़ा चेहरा उनके पास नहीं है जो प्रचार में काम आ सके। उधर मुलायम सिंह यादव के बारे में सुनने को आ रहा है कि वे बिहार में गठबंधन टूटने के बाद अपने भाषणों में नीतीश कुमार पर सीधा हमला बोलेंगे लेकिन अपने समधी लालू यादव पर कुछ नहीं बोलेंगे।
ओआरओपी पर आॅनली वर्क के मूड में आरएम
सशस्त्र सेनाआें के लिए हाल में सरकार द्वारा घोषित की गई वन रैंक वन पेंशन (ओआरओपी) के एलान के वक्त रक्षा मंत्री (आरएम) मनोहर पर्रिकर ‘नो टॉक,आॅनली वर्क’ के मूड में नजर आए। बीते पांच सितंबर को रक्षा मंत्रालय के कमरा नंबर 129डी में दोपहर करीब 2 बजकर 59 मिनट पर रक्षा मंत्री रक्षा राज्य मंत्री, तीनों सेनाआें के प्रमुखों और रक्षा सचिव के साथ दाखिल हुए। इसके बाद रक्षा मंत्रालय के मीडिया विभाग के प्रभारी द्वारा जैसे ही मंचस्थ तमाम महानुभावों का परिचय समाप्त हुआ। रक्षा मंत्री ने ओआरओपी को लेकर पूर्व सैनिकों को सरकार की ओर दिए जा रहे आर्थिक पैकेज और अन्य जरूरी तथ्यों का एलान कर दिया। घोषणा के तुरंत बाद मीडिया से एक भी सवाल न लेते हुए उन्होंने पत्रकारों के समूह से एक छोटी सी अनौपचारिक बात की और फिर वे सीधे मंत्रालय में अपने कक्ष की ओर बढ़ गए। मंत्री की इस प्रतिक्रिया से पत्रकारों को तो थोड़ी निराशा जरूर हुई लेकिन इसे आरएम का नो टॉक, आॅनली वर्क मूड कहना गलत नहीं होगा।
मंत्री की संजिदगी
रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय में राज्यमंत्री हंसराज अहीर उन नेताओं में से हैं जो कोई भी बात बिना तथ्यों के नही कहते। जो कहते हैं वो सटीक और स्पष्ट। मंत्रालय से जुड़े कामकाज में वह हर फाइल को पढ़ने के बाद ही आगे बढ़ते हैं। मीडिया से बातचीत के दौरान तो उनकी सजगता इस कदर होती है कि मंत्रालय की हर योजना और उसकी मौजूदा स्थिति पूरी जानकारी और आंकड़ों के साथ पेश करते हैं। उनकी इसी सजगता के कारण ही पूर्ववर्त्ती यूपीए सरकार की कोल घोटाले को लेकर ऐसी भद्द पिटी कि अब तक कांग्रेस उससे उबर नही पाई है। शायद पूर्ववर्त्ती सरकार के मंत्रियों की लापरवाही और उसके नतीजों से सीख लेते हुए अहीर भी फूंक-फूंक कर आगे बढ़ रहे।
13Sep-2015

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