सोमवार, 28 सितंबर 2015

तीन माह से चक्रव्यूह में फंसी है मेगा योजना!

वाहन चालकों को सड़क किनारे सहूलियतें देने की तैयारी
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देशभर में राष्ट्रीय राजमार्गो पर सड़क के किनारे वाहन चालकों को केंद्र सरकार ने एक महत्वाकांक्षी योजना तैयार की है, लेकिन तीन माह से नाम की तलाश में यह मेगा योजना अधर में लटकी हुई है।
केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्रालय ने लंबा सफर तय करने वाले वाहनों के चालकों के लिए विश्राम ग्रह और शौचालयों की सुविधा देने की योजना को शुरू किया है। ऐसी योजना के समकक्ष वाहन चालकों के लिए खासकर राष्ट्रीय राजमार्गो पर सड़क के किनारे ऐसी
सहूलियतें मुहैया कराने वाली केंद्र सरकार की एक महत्वकांक्षी योजना पिछले तीन माह से प्रधानमंत्री कार्यालय में मंजूरी के लिए लंबित पड़ी हुई। इस योजना के अधर में लटकने का कारण है कि इस योजना को उपयुक्त नाम न मिलना। सूत्रों के अनुसार केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने इसके लिए जहां एक मुकाबला आयोजित किया और लोगों के मिले सुझाव में करीब 1500 नामों की छंटनी करके जून माह में 50 नाम पीएमओ को भेजे हैं, जहां योजना के नाम को लेकर जारी मंथन के बावजूद अभी तक किसी भी नाम को अंतिम रूप नहीं दिया गया और न ही मंजूरी मिल सकी है। सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी स्वयं चाहते हैं कि चालकों को मिलने वाली सुविधाएं पिज्जा हट और मैक्डॉनल्ड्स जैसे किसी ब्रांड नाम के तहत शुरू की जाये। सरकार की इस योजना के रोडमैप के अनुसार इस प्रकार की सहूलियतें हर 100 किलोमीटर के बाद होगी, जबकि अन डिवाइडेड हाइवेज पर हर 50 किलोमीटर के बाद इसे बनाया जाएगा। गौरतलब है कि इससे पहले वर्ष 2007 में यूपीए शासनकाल में भी नेशनल हाइवेज अथॉरिटी आॅफ इंडिया ने देश की आॅल कंपनीज आरआईएल, एचपीसीएल और एस्सर के साथ मिलकर हर 100 किलोमीटर के बाद वेसाइड एमिनिटीज देने का प्रयास किया था, जो कामयाब नहीं हो सकी।
ये है योजना का रोडमैप
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार इस मेगा योजना में राष्ट्रीय राजमार्गो पर सफर करने वाली कारों, बसो और ट्रकों की पार्किंग, पेट्रोल पंप, विश्राम गृह, पुरुष व महिला शौचालय, रेस्टोरेंट्स, फूड कोर्ट, लो कॉस्ट ढाबा, टेलीफोन बूथ व वाईफाई, रिपेयर शॉप्स, मेडिकल स्टोर तथा रोजमर्रा के सामान की दुकान जैसी सुविधाएं देना शामिल है। सूत्रों के अनुसार यह सभी सुविधाएं स्टैंडर्ड डिजाइन और डाइमेंशन पर होगी। इसके लिए तीन से चार फॉर्मेट होंगे, जो ट्रेफिक से ही कंट्रोल होंगे। सरकार इसे पर्यटन विभाग के साथ मिलकर सार्वजनिक निजी भागीदारी के आधार पर शुरू कराएगी। मंत्रालय के सूत्रों की माने तो इस योजना इस योजना के तैयार किये गये रोडमैप में इस योजना का संचालन राज्य सरकार या फिर फ्रेंचाइजी के जरिए चलाया जाएगा।
28Sep-201

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