रविवार, 27 सितंबर 2015

राग दरबार: ईमानदार पर प्‍याज की आंच

राग दरबार
युगपुरुष की बाजीगिरी का कमाल
यह तो वाकई हुआ कमाल! दिल्ली में ईमानदारी और पारदर्शिता की दुहाई देकर रविंद केजरीवाल जैसे युगपुरुष की सरकार में प्याज घोटाला उजागर हुआ है। मसलन नासिक से सस्ता प्याज खरीद कर केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में आम लोगों को महंगे दामों मेंबेचकर लोगों को राहत देने और आम लोगों को एक किलोग्राम प्याज पर दस रुपये की सब्सिडी देने का भी अहसान करके आम आदमी की सरकार होने का दावा किया। केजरी सरकार और मुख्यमंत्री केजरीवाल की ईमानदारी और पारदर्शिता उस समय घेरे में आ गई, जब एक आरटीआई ने प्याज पर मुनाफाखोरी का खुलासा हो गया। दरअसल इस खुलासे में विरोधियों का दावा है कि सरकार ने नासिक से 24 रुपये किलो के हिसाब से प्याज खरीदी और तीस रुपये किलो बेचते हुए दावा किया कि नासिक से दिल्ली तक परिवहन खर्च के साथ सरकार को यह प्याज 40 रुपये किलो के भाव पड़ी है, इसलिए जनता को प्याज मुहैया कराने के लिए उन्हें दस रुपये प्रति किलो सब्सिडी देते हुए 30 रुपये किलो बेची गई है। प्याज की इस राजनीति में दिल्ली में सस्ते दामों पर लोगों को प्याज बेचने के बाद भी दिल्ली सरकार ने भारी मुनाफा कमा लिया। आरटीआई के खुलासे और दिल्ली सरकार की सफाई के बावजूद यह बड़ा सवाल है कि प्याज में घोटाला हुआ या नहीं? राजनीतिक गलियारों में चर्चा यही है कि यह तो युगपुरुष की बाजीगिरी का ही कमाल है जो ईमानदारी और पारदर्शिता की आड़ में प्याज पर भारी मुनाफा डकार लिया गया।
ऐसे बांटो काम
आमतौर पर आला अधिकारी अपने मातहत अधिकारियों को बहुत ज्यादा ताकत नहीं देते। या यूं कहें कि कुछ ठोस फैसला करने की बात हो तो वैसी फाइलों को नौकरशाही में नंबर-वन अधिकारी ही देखता है, ओके करता है। मगर, केंद्रीय गृह सचिव राजीव महर्षि अब ऐसे फैसले ले रहे हैं जिससे मंत्रालय के नंबर-दो अधिकारी खुद को फाइलों पर फैसला लेने वाला अधिकारी मान सकेंगे। मंत्रालय के खराब पड़े कार सहित कबाड़ को निपटाने का मामला हो या फिर, एलटीसी बिल एप्रूव करने का मसला, हउसकीपिंग स्टाफ रखने का कोई मसौदा हो- ऐसी दो दर्जन से अधिक फाइलें अब महर्षि के पास नहीं जाएंगी। मंत्रालय के वित्त वि•ााग के साथ मिलकर 5 करोड़ रुपए तक के टेंडर का काम अब सचिव, आंतरिक सुरक्षा और सचिव बॉर्डर मैनेजमेंट को दिया गया है। जाहिर है इससे मंत्रालय में काम की गति बढ़ेगी।
गुलदस्ता प्रेमी मंत्रीजी
सियासी जमात की एक खासियत है कि उसे कुछ और मिले न मिले लेकिन ताली और माला मिलती रहे तो बंदा चहकता रहता है। अब हाल ही का एक माजरा है। एक महत्वपूर्ण मंत्रालय में जूनियर मंत्री का ओहदा संभाल रहे एक नेताजी एक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे। कार्यक्रम उनके मंत्रालय का ही था। जनाब तय समये से डेढ़ घंटा विलंब से पहुंचे, अधिकारी और मीडियाकर्मी इंतजार करते रहे। खैर, कार्यक्रम शुरु हुआ। मंत्रालय के सचिव ने मंत्रीजी को गुलदस्ता देकर स्वागत किया। इसके बाद कार्यक्रम के संचालक ने सचिव का स्वागत करने के लिए संयुक्त सचिव को पुकारा। संयुक्त सचिव गुलदस्ता लेकर आगे बढ़े, इतने में मंत्रीजी गुलदस्ता लेने के लिए उठ खड़े हुए। अब संयु्कत सचिव करे तो क्या करे... हड़बड़ा कर मंत्रीजी की ओर बढ़ गए। मंत्रीजी भी मुस्कुराते हुए गुलदस्ता थाम लिए। इस बीच कुछ लोग मुस्कुरा दिए। मंत्रीजी को भी बात समझ में आ गई।अपनी चूक को हंसी में तब्दील करने के लिए मंत्रीजी ने झट से बोला . .क्या करें राजनीति में इसकी आदत से पड़ गई है। माला और गुलदस्ता देख हम लोग खिंचे चले आते हैं। इतना सुनते ही सब ठठाकर हंस पड़े।

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