शनिवार, 2 मई 2015

अगले सप्ताह फिर गरमाएगा संसद का पारा!

-चार दिन की छुट्टी के बाद कई मुद्दों पर तनातनी की संभावना
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
संसद में चार दिन के अवकाश के बाद पांच मई मंगलवार को जब दोनों सदनों की बैठकें शुरू होंगी, तो संसद में कई मुद्दों पर सरकार और विपक्ष के बीच फिर से तनातनी का माहौल नजर आने की संभावनाएं हैं। हालांकि अभी सरकार भूमि अधिग्रहण विधेयक को संसद में पेश करने की जल्दबाजी में नहीं दिख रही है, लेकिन कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी देश के अलग-अलग कोनों में किसानों के बीच घूमकर संसद में इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की तैयारी कर रहे हैं।
संसद में बजट सत्र के दूसरे चरण में लोकसभा की चार और राज्यसभा की सात बैठके शेष है और सरकार के पास विधायी और सरकारी कामकाज का बोझ ज्यादा है। आज शुक्रवार को अंतर्राष्टÑीय श्रम दिवस और सोमवार को बुद्धपूर्णिमा के अलावा शनिवार व रविवार को साप्ताहिक अवकाश यानि चार दिन की छुट्टी होने के कारण संसद की बैठकें नहीं हो रही हैं। अब पांच अप्रैल यानि मंगलवार को अगले सप्ताह की कार्यवाही शुरू होगी। इस सत्र के इन अंतिम दिनों में सरकार और विपक्ष के बीच तनावपूर्ण माहौल में निश्चित रूप से संसद के माहौल का पारा गर्म रहने की ज्यादा उम्मीद हैं। वैसे भी जिस प्रकार बजट सत्र के पहले चरण में सरकार ने ज्यादा विधेयक और अन्य सरकारी कामकाज को निपटाया था, उस तरह इस चरण में अभी तक कोई महत्वपूर्ण काम नहीं निपटाया जा सका है। सरकार का प्रयास है कि इन अंतिम दिनों में ज्यादा से ज्यादा कामकाज निपटाया जाए, लेकिन विपक्ष सरकार को एकजुटता के साथ चौतरफा किसी ने किसी मुद्दे पर घेरने में लगा हुआ है। लोकसभा में जीएसटी से जुड़े विधेयक को बहुमत होते हुए भी तीन दिन में सरकार अंजाम तक नहीं पहुंचा सकी। हालांकि सरकार को उम्मीद है कि पांच अप्रैल को सरकार इस विधेयक पर लोकसभा की मुहर लगवा लेगी। इसी कारण इस दिन राष्टÑीय जलमार्ग विधेयक तथा राज्यसभा में पारित हुए प्रादेशिक ग्रामीण बैंक (संशोधन)विधेयक तथा भू-संपदा( विनियमन और विकास) विधेयक को पेश करने के लिए कार्यसूची में शामिल किया है। उधर राज्यसभा में सरकार ने रियल एस्टेट में विनियामक बनाने संबन्धी विधेयक को भी सूचीबद्ध कर दिया है।
ये भी हो सकता है गतिरोध का कारण
राज्यसभा में जदयू केसी त्यागी द्वारा 'पुत्रजीवक' दवाई के मामले को उठाने पर शुक्रवार को योगगुरु रामदेव की चेतावनी भरी सफाई को संसदीय भाषा में विशेषाधिकार का हनन करार देने की राजनीति भी हो रही है और लगता है पांच अप्रैल को जैसे ही राज्यसभा की बैठक शुरू होगी तो जदयू सांसद केसी त्यागी और उनके समर्थन में अन्य विपक्षी दल सदन में विशेषाधिकार हनन का नोटिस देकर सरकार की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं। वैसे भी संसद में विपक्ष की एकजुटता ने मोदी सरकार को कई महत्वपूर्ण विधायी कार्यो को निपटाने में रोड़े अटकाए हुए हैं, जिनमें सरकार की प्राथमिकता में सबसे महत्वपूर्ण भूमि अधिग्रहण विधेयक को पारित कराने में एक मुश्किल चुनौती बनी हुई है। हालांकि सरकार संसद में कांग्रेस की अगुवाई में विपक्ष के मूड़ को भांपते हुए इस विधेयक को इस सत्र में पारित कराने की जल्दबाजी में कतई नहीं है। विपक्ष के जबरदस्त विरोध के चलते शायद सरकार अब अंतिम विकल्प के रूप में संयुक्त सत्र बुलाकर भूमि अधिग्रहण विधेयक को अंजाम तक पहुंचाने की रणनीति पर आ चुकी है।
02May-2015

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