बुधवार, 6 मई 2015

देशभर की अदालतों में और बढ़ेगा जजों का टोटा!

-जज नियुक्ति व्यवस्था सुप्रीम कोर्ट में लंबित
-इस साल हाई कोर्टो में सेवानिवृत्त होंगे 125 जज
ओ.पी. पाल,
नई दिल्ली
देश में न्यायिक सुधार की जारी कवायद में देशभर में खाली पड़े करीब पांच हजार पदो को भरना दूर की कौड़ी नजर आ रहा है। खासकर उच्च न्यायालयों में जजों की नियुक्तियों के लिए कॉलेजियम प्रणाली के स्थान पर केंद्र सरकार द्वारा गठित राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग का मामला सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं। इसके अलावा इसी साल भारी संख्या में जज सेवानिवृत्ति के मुहाने पर हैं, जिससे अदालतों में जजों का और भी टोटा होने के आसार हैं।
देश में न्यायायिक सुधार के प्रयासों में पहले यूपीए सरकार की कवायद को आगे बढ़ाते हुए मोदी सरकार ने हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम प्रणाली के स्थान पर राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग को अंजाम तक पहुंचाया। इस आयोग की वैधता को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, जो अभी विचाराधीन है। ऐसे में पहले से ही जजों की कमी से जूझ रही अदालतों में नियुक्ति प्रक्रिया रुक जाने का खतरा मंडरा रहा है। जबकि जरूरी यह है कि देश में न्यायिक सुधार के लिए जजों की पर्याप्त संख्या में नियुक्तियां हों ताकि मामलों का निपटान की रμतार बढ़े। विधि मंत्रालयों के आंकड़ो पर नजर ड़ाली जाए तो निचली अदालतों से लेकर शीर्ष अदालतों में तैनात भारी संख्या में जज वर्ष 2015 में सेवानिवृत्त होने वाले हैं और जजों की नियुक्ति की प्रणाली को लेकर स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है। केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक देश के 24 राज्यों 984 जजों के पद अनुमोदित हैं, जिनमें केवल 638 ही कार्यरत है यानि 346 पद अभी भी रिक्त पड़े हुए हैं। इस साल उच्च न्यायालयों के 125 और न्यायाधीश सेवानिवृत्त हो जाएंगे। ऐसे में न्याय की आस लगाए लोगों के लिए यह चिंता का विषय होगा कि यदि जजों की नियुक्तियां न की गई तो न्याय और आम आदमी के बीच दूरी और बढ़ जाएगी।
छत्तीसगढ़ में घटेगी जजों की संख्या
छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में अनुमोदित कुल 18 जजों के स्थान पर फिलहाल छह अतिरिक्त जजों समेत 10 ही जज कार्यरत है। यह हाईकोर्ट मुख्य न्यायाधीश के बगैर कार्यरत हैं, जहां नवीन सिन्हा कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश के रूप में कार्य कर रहे हैं। इनमें भी चार वरिष्ठ न्यायाधीशों में से जस्टिस टंकेश्वर प्रसाद शर्मा 18 जून 2015 को सेवानिवृत्त हो जाएंगे, जबकि अतिरिक्त जजों में महेन्द्र मोहन श्रीवास्तव, गौत्तम भदूरी, पुठीचिरा समाकोली तथा संजय कुमार अग्रवाल की सेवानिवृत्ति भी इसी वर्ष होनी है। इंद्र सिंह उबोवेजा और चन्द्रभूषण बाजपेयी भी अगले साल 26 जनवरी को सेवानिवृत्त हो जाएंगे।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट चार जज होंगे सेवानिवृत्त
मध्य प्रदेश के उच्च न्यायालय में 13 अतिरिक्त जजों समेत कुल 40 जजों के पद अनुमोदित है, जिनमें से आठ अतिरिक्त जजों समेत मुख्य न्यायाधीश के साथ कुल 34 जज ही कार्यरत हैं। यानि पांच अतिरिक्त जजों समेत कुल 19 जजों के पद पहले से ही रिक्त पड़े हुए हैं। इस साल इनमें से एक अतिरिक्त जज रोहित शर्मा के अलावा चार वरिष्ठ न्यायाधीश गुलाब सिंह सोलंकी, तरुण कुमार कौशल और भगवानदास राठी सेवानिवृत्त हो जाएंगे।
पंजाब व हरियाणा की स्थिति
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायाल में कुल 21 अतिरिक्त जजों समेत कुल 85 जजों के पद अनुमोदित हैं, लेकिन यहां नौ अतिरिक्त जजो समेत कुल 54 न्यायाधीश कार्यरत हैं। इस उच्च न्यायालय में पहले ही 19 न्यायाधीशों की सीटें खाली हैं। इस साल छह वरिष्ठ न्यायाधीशों कर्मचन्द पुरी, महेन्द्र सिंह सुल्लर, रविन्द्रप्रकाश नागर, डा. बीबी प्रसून, महावीर सिंह चौहान तथा सुश्री नवीता सिंह सेवानिवृत्त हो जांएगी।
अन्य उच्च न्यायालयों के भी यही हाल
मद्रास उच्च न्यायालय में तैनात सभी आठ अतिरिक्त जजों की इस साल सेवानिवृत्ति होने वाली है। इसके अलावा दिल्ली उच्च न्यायालय के दो, इलाहाबाद हाई कोर्ट के 13, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश के 12, मुंबई के 18, कोलकाता के 16, गुवाहाटी के तीन, गुजरात के पांच, कर्नाटक के नौ, केरल के चार, राजस्थान व पटना के पांच-पांच और सिक्किम के एक न्यायाधीश इस साल रिटायर हो जाएंगे। इसी प्रकार जिला एवं अधीनस्थ अदालतों में कहीं ज्यादा जजों की सेवानिवृत्ति होनी है। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, त्रिपुरा, मेघालय व मणिपुर उच्च न्यायालय ही ऐसे हैं जहां तैनात कोई जज इस साल सेवानिवृत्त की सूची में शामिल नहीं हैं।
---------------
(इनसेट-कोट)
‘‘केंद्र सरकार ने विधि आयोग की सिफारिशों पर देशभर के 24 न्यायालयों में न्यायाधीशों की संख्या को 906 से बढ़ाकर 984 कर दिया है, ताकि लंबित मामलों का निपटान हो सके। जहां तक इस साल जजों के सेवानिवृत्त से खाली जगहों को भरने का सवाल है यह एक सतत प्रक्रिया है। उच्च न्यायालयों में अतिरिक्त और अपर न्यायाधीशों को वरिष्ठता क्रम से प्रोन्नत करने का प्रावधान है और संतुलन बनाए रखने के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से एक से दूसरे उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों को स्थानांतरित करने की प्रक्रिया भी जारी रहती है। इसलिए जजों के सेवानिवृत्त होने से न्यायालयों का कामकाज प्रभावित नहीं माना जाना चाहिए।’’
-डीवी सदानंद गौडा, केंद्रीय विधि मंत्री
06May-2015


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें