शुक्रवार, 15 मई 2015

सरकार व विपक्ष की तल्खी का सबब बना बजट सत्र !

-विपक्ष की एकजुटता से कई महत्वपूर्ण काम लटके
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
संसद का बजट सत्र के दौरान सरकार और एकजुट विपक्ष की तल्खी का ही नतीजा रहा है कि मोदी सरकार भूमि अधिग्रहण विधेयक को दो प्रयासों के बावजूद संसद में पारित नहीं करा सकी। वहीं सरकार के महत्वाकांक्षी वाले जीएसटी विधेयक जैसे केई महत्वपूर्ण विधेयक लटक गये हैं। बावजूद इसके सरकार इस मौजूदा सत्र मेंं हुए कामकाज को पिछले कुछ सालों से बेहतर मान रही है।
लोकसभा में बजट सत्र और राज्यसभा के 235वें सत्र के अनिश्चितकाल के लिए स्थगित होने से पहले तक कांग्रेस की अगुवाई में विपक्ष की एकजुटता के सामने सरकार विवादित भूमि अधिग्रहण विधेयक और जीएसटी को प्रयासों के बावजूद संसद की स्वीकृति हासिल नहीं कर सकी। इन दोनों बिलों पर सरकार को विपक्ष की एकजुटता के सामने झुकना पड़ा। नतीजन भूमि अधिग्रहण विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति और लोकसभा में पारित कराने के बाद वस्तु एवं सेवा कर में संविधान संशोधन के प्रावधान वाला जीएसटी विधेयक राज्यसभा में प्रवर समिति के हवाले करना पड़ा। सरकार विपक्ष की एकजुटता के कारण सत्ता और विपक्ष के बीच बजट सत्र के दौरान बनी रही तल्खी से पार नहीं पा सकी। सरकार और विपक्ष की तल्खी का सबब साबित हुए बजट सत्र के दौरान लोकसभा में सरकार ने 25 विधेयक पेश किये, इसमें बजट सत्र के पहले चरण में विरोध के बावजूद नौ संशोधनों के सथ भूमि अधिग्रहण विधेयक पारित हो गया था, लेकिन दूसरे चरण में सरकार को यूटर्न लेते हुए इसे जेपीसी को भेजने के लिए मजबूर होना पड़ा। उधर राज्यसभा के 235वें सत्र में 12 विधेयक पारित हुए, जिनमें एक निजी विधेयक भी शामिल रहा। बजट सत्र के पहले चरण के दौरान राज्यसभा के 234वें सत्र में भी 12 विधेयक पारित किये गये थे। चूंकि बजट सत्र के दौरान राज्यसभा के इस सत्र का सत्रावसान हो गया था, इसलिए लोकसभा के बजट सत्र की अपेक्षा राज्यसभा के दो सत्र माने जाएंगे। यदि संसद के बजट सत्र के दौरान राज्यसभा के दोनों सत्रों को मिलाकर देखा जाए तो उच्च सदन में भी 24 विधेयक पारित किये गये हैं। इस तरह से संसद में बजट सत्र के दौरान दोनों सदनों में 24 विधेयक पारित हुए हैं। इसके अलावा इस दौरान दोनों सदनों ने आम बजट व रेल बजट और विभिन्न मंत्रालयों की लेखानुदानों की मांगों को मंजूरी देने के साथ 2015-16 के आम बजट को पारित किया।
सरकार ने ठोकी पीठ
संसद के मौजूदा सत्र में विपक्ष के साथ तनातनी के बावजूद विधायी कार्यो को निपटाने के माममले में सरकार ने अपनी पीठ ठोकी है। संसदीय कार्यमंत्री एम. वेंकैया नायडू ने मौजूदा लोकसभा और राज्यसभा के 235वें सत्र के बेमियादी स्थगन के बाद दावा किया है कि संसद का यह सत्र पिछले कुछ सालों के दौरान सबसे अधिक कामकाज वाला सत्र रहा है, जिसमें लोकसभा ने कामकाज के निर्धारित समय की तुलना में 117 प्रतिशत अधिक और राज्य सभा में 101 प्रतिशत अधिक कामकाज हुआ। जहां तक दोनों सदनों में 24-24 विधेयकों को मिली मंजूरी का सवाल है, उसके बारे में वेंकैया नायडू का कहना है कि भले ही भूमि अधिग्रहण व जीएसटी बिल पारित न हो पाए हों, लेकिन बजट सत्र के दौरान पारित किये गये 24 विधेयकों की तुलना पिछले पांच साल के बजट सत्रों से की जाए तो मौजूदा सत्र में विधायी कार्य का निपटान बेहतर तरीके से हुआ है।
सहमति से पारित हुए विधेयक
इस सत्र के दौरान संसद के दोनों सदनों में तल्खी के बावजूद कुछ महत्वपूर्ण बिलों पर विपक्ष ने सरकार का साथ दिया है। एसे विधेयकों में नागरिकता संशोधन विधेयक, खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक, मोटरयान संशोधन विधेयक, कोयला खनन (विशेष उपबंध) विधेयक, बीमा विधि (संशोधन विधेयक),किशोर न्याय (बालकों की संरक्षण और देखरेख) विधेयक, भारत और बांग्लादेश के बीच कतिपय राज्य क्षेत्रों के अर्जन और अंतरण को प्रभावी करने के लिए संविधान संशोधन विधेयक तथा काला धन (अप्रकटित विदेशी आय और आस्ति) कर अधिरोपण विधेयक तथा व्हिस्ल ब्लोअर विधेयक प्रमुख रहे। राज्यसभा में सत्र के दौरान 36 साल के अंतराल के बाद कोई निजी विधेयक के रूप में ‘विपरीत लिंगी (ट्रांसजेंडर) व्यक्तियों के अधिकारों से संबंधित विधेयक’ भी पारित किया गया, जिसे द्रमुक के तिरूचि शिवा ने पेश किया था।
हंगामे से समय की बर्बादी
लोकसभा में बजट सत्र के दौरान विभिन्न मुद्दों पर हंगामे के कारण 35 बैठकों में 242.54 घंटे समय बर्बादी की भेंट चढ़ा। वहीं 7.04 घंटे का समय की कार्यवाही बाधित रही। जबकि राज्यसभा में इस दौरान हुए दो सत्रों की 33 बैठकों में 37 घंटे से ज्यादा समय की बर्बादी हुई। जबकि वहीं 24 घंटे की बैठक अतिरिक्त चलाई गई और उच्च सदन की कार्यवाही इस दौरान 181 घंटे तक हुई।
15May-2015

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें