गुरुवार, 14 मई 2015

भूमि विधेयक पर बनी संयुक्त समिति को मंजूरी!

समिति में जगह न मिलने पर बिफरा वामदल
भोजनावकाश के समय पर भ्रम में रहे माननीय
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
भूमि अधिग्रहण विधेयक को जिस संयुक्त संसदीय समिति के हवाले किया गया है। इस समिति में राज्यसभा से वामदलों को प्रतिनिधित्व न दिये जाने पर आपत्ति उठने के कारण सदन में गहमा-गहमी रही। वहीं समिति में उच्च सदन के सदस्यों के प्रस्ताव को एक विधेयक पर चर्चा के बीच मंजूरी देने पर बिफरे वामदलों ने आसन पर भी सवाल खड़े किये तो सरकार के साथ ही पीठासीन अधिकारी को भी सदन में व्यवस्था पर सफाई देनी पड़ी।
केंद्र सरकार ने लोकसभा में मंगलवार को भूमि अधिग्रहण विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति के हवाले किया है। इसके लिए गठित की गई संयुक्त समिति में प्रतिनिधित्व को लेकर भेदभाव का आरोप लगाते हुए व्यवस्था पर सवाल खड़े किये। उच्च सदन में बुधवार को भोजनावकाश के बाद माकपा के सीताराम येचुरी एवं केएन बालगोपाल ने सवाल उठाने के साथ इस बात पर आपत्ति जताई कि दोनों सदनों की गठित इस संयुक्त समिति में राज्यसभा से वामदल के किसी भी सदस्य को शामिल नहीं किया गया है। येचुरी ने व्यवस्था के प्रश्न पर कहा कि जब वामदलों के किसी सदस्य को समिति में शामिल नहीं करना था, तो पार्टी से प्रस्तावित नाम क्यों लिये गये? समिति में वामदलों का उच्च सदन से कोई प्रतिनिधित्व न होने पर बिफरे वामदल के इन सदस्यों ने दूसरा ऐतराज पीठ पर सवाल उठाते हुए जताया। वामदलों के इन दोनों सदस्यों ने इस बात पर भी एतराज जताया कि संयुक्त समिति के सदस्यों के नामों का प्रस्ताव सरकार ने सदन में जारी कंपनी विधेयक पर चर्चा को बीच में रोककर किया और पीठ ने अनुमति किस नियम के तहत दी। नियमों का हवाला देते हुए माकपा नेताओं का कहना था कि आमतौर पर सदन में जब किसी विधेयक या मुद्दे पर चर्चा हो रही होती है तो उसे बीच में ही रोककर इस तरह के प्रस्ताव नहीं रखे जाते। इस बात को लेकर सदन में गहमा गहमी बढ़तो तो सरकार को ही नहीं, बल्कि पीठ पर आसीन उप सभापति प्रो. पीजे कुरियन को भी स्थिति स्पष्ट करनी पड़ी।
सरकार ने दिया तर्क
वामदलों के सवालों पर सरकार की ओर से तर्क देते हुए संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि संयुक्त समिति में सदस्यों को राजनीतिक दलों की सदस्य संख्या के आधार पर रखने का प्रावधान है और इस मामले में कोई भेदभाव नहीं किया गया। नकवी ने कहा कि इस समिति में माकपा के लोकसभा सदस्य मोहम्मद सलीम एवं अन्नाद्रमुक के एक लोकसभा सदस्य को शामिल किया गया है। इसलिए राज्यसभा से इन दोनों ही दलों के कोई सदस्य नहीं हैं।
पीठ की व्यवस्था
उच्च सदन में कंपनी विधेयक की चर्चा के बीच में संयुक्त समिति के सदस्यों के प्रस्ताव पर वामदलों की आपत्ति वाले मुद्दे पर अपनी व्यवस्था देते हुए कहा कि यह हमेशा बेहतर होता है कि इस तरह के प्रस्तावों को किसी चर्चा को बीच में रोक कर पेश न किया जाये। लेकिन मौजूदा मामले में ऐसा इसलिए किया गया, क्योंकि ग्रामीण विकास मंत्री बीरेन्द्र सिंह ने इस प्रस्ताव के लिए आसन को यह सूचित किया, कि उनकी कुछ अन्य व्यस्तताएं हैं। इसलिए उन्हें सदन में यह प्रस्ताव पहले रखने की अनुमति दी जाये। समिति में राज्यसभा के किसी वाम सदस्य को नहीं रखे जाने पर कुरियन ने कहा कि वह सरकार एवं अन्य दलों की राजनीतिक मजबूरी को समझ सकते हैं, लेकिन किसी ने विरोध भी नहीं किया। यदि किसी समिति में अन्य सदन के उसी दल का सदस्य मौजूद है, इस आधार पर इस सदन के सदस्य को उस समिति में रहने से वंचित नहीं किया जा सकता।
क्या था मामला
दरअसल राज्यसभा में इस सत्र की अंतिम दिन बुधवार को कार्यवाही शुरू होने पर सभापति मो. हामिद अंसारी ने व्यवस्था दी थी कि आज भोजनावकाश नहीं होगा और सदस्य एक बजे से डेढ़ बजे तक कार्यवाही के बीच में ही भोजन के लिए जा सकते हैं। इसके बावजूद उपसभापति पीजे कुरियन ने चर्चा के दौरान कंपनी बिल को डेढ़ बजे तक पारित कराने की बात कहते हुए व्यवस्था दी कि उसके बाद आधे घंटे का भोजनावकाश होगा। जबकि वामदल व अन्य कुछ दलों के सदस्य सभापति की व्यवस्था के तहत एक बजे से डेढ़ बजे के बीच सदन से भोजन के लिए चले गये, जिसके कारण वामदलों का इस दौरान एक भी सदस्य सदन में मौजूद नहीं था और सदन में समिति के सदस्यों के नामों का प्रस्ताव पारित हो गया। इसलिए भी वामदलों के साथ सपा के सदस्यों ने भी पीठ पर सवाल गये किये।
ये है संयुक्त संसदीय समिति
विवादास्पद भूमि अधिग्रहण विधेयक पर गौर करने के लिए लोकसभा में भाजपा के सदस्य एसएस अहलूवालिया की अध्यक्षता में गठित दोनों सदनों की 30 सदस्य संयुक्त समिति में लोकसभा से 20 और राज्यसभा से 10 सदस्य शामिल किये गये हैं। राज्यसभा से कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह, जयराम रमेश व पीएल पुनिया, जदयू प्रमुख शरद यादव और तृणमूल के डेरेक ओ ब्रायन, भाजपा के राम नारायण डूडी व प्रभात झा, सपा के राम गोपाल यादव, राकांपा के शरद पवार तथा बसपा के राजपाल सिंह सैनी शामिल हैं। जबकि लोकसभा से 20 सदस्यों में कांग्रेस के केवी थॉमस व राजीव साटव, शिवसेना के आनंद राव अडसुल, तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी, बीजद के बी महताब, माकपा के मोहम्मद सलीम, लोजपा के चिराग पासवान के अलावा सत्तापक्ष भाजपा के एसएस अहलूवालिया, उदित राज, अनुराग ठाकुर और गणेश सिंह शामिल हैं।
14May-2015

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