मंगलवार, 5 मई 2015

देश को चाहिए 4928 और न्‍यायाधीश।




कैसे दुरस्त होगी न्याय प्रणाली!
-देशभर में जजों खाली पड़े हैं करीब पांच हजार पद
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
सुप्रीम कोर्ट समेत देशभर के न्यायालयों में करीब पांच हजार जजों के पद रिक्त पड़े हुए हैं। ऐसे में सवाल है कि केंद्र सरकार द्वारा न्याय प्रणाली में सुधार करने के लिए की जा रही कवायद को पंख कैसे लग पाएंगे।
मोदी सरकार की पहल पर दो दिन पहले यहां न्यायायिक सुधार के मुद्दों को लेकर संपन्न हुए न्यायाधीशों और राज्यों के मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की न्याय प्रणाली में सुधार की दिशा में केंद्र सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों का जिक्र हुआ, जिनमें सरकार ने 1700 पेचीदा कानूनों को खत्म करने की कवायद का भी जिक्र किया। सम्मेलन में न्याय की पहुंच गरीबों तक पहुंचाने की दिशा में ट्रिबूनल व्यवस्था के साथ लोक अदालतों जैसी प्रक्रिया में कमी पर चिंता तक जताई गई। उन्होंने अदालती कामकाज में आमूलचूल सुधार की पैरवी करते हुए कहा कि न्यायाधिकरणों के काम करने के तरीके पर नए सिरे से अवलोकन करने तक की दुहाई दी। वहीं न्यायिक कामकाज में पारदर्शिता की जरूरत पर बल देते हुए न्यायपालिका के स्व-मूल्यांकन
के लिए एक अंतर्निहित प्रणाली विकसित करने तक जोर दिया। सरकार जहां न्यायापालिका से विचार विमर्श करके न्याय पालिका में सुधार के प्रयासों को बढ़ावा देने का दम भर रही हैं, वहीं देशभर में सुप्रीम कोर्ट से लेकर निचली अदालतों तक ताजा स्थिति के मुताबिक 4926 जजों व न्यायिक अधिकारियों के रिक्त पदों को भरने की भी चुनौती है। यह चुनौती और गहरी होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता, जिसमें इसी साल सैकड़ो जज सेवानिवृत्ति के मोड़ पर हैं। विधि और न्याय मंत्रालय के ताजा आंकड़ो पर नजर डाले तो एक मार्च 2015 तक उच्चतम न्यायालय में दो न्यायाधीशों के पद रिक्त हैं। सुप्रीम कोर्ट में प्रमुख न्यायाधीश एचएल दत्तू समेत फिलहाल 29 न्यायाधीश कार्यरत हैं, जिनमें दिसंबर महीने में जस्टिस दत्तू और विक्रमजीत सेन सेवानिवृत्त हो जाएंगे। उन्होंने अदालती कामकाज में आमूलचूल सुधार की पैरवी करते हुए कहा कि न्यायाधिकरणों के काम करने के तरीके पर नए सिरे से अवलोकन करने तक की दुहाई दी। वहीं न्यायिक कामकाज में पारदर्शिता की जरूरत पर बल देते हुए न्यायपालिका के स्व-मूल्यांकन के लिए एक अंतर्निहित प्रणाली विकसित करने तक जोर दिया।
उच्च न्यायालय में बड़ी समस्या
देश के 24 राज्यों के उच्च न्यायालयों में भी 346 न्यायाधीशों के पद रिक्त हैं, जिनमें सर्वाधिक इलाहाबाद उच्च न्यायाल में 76 पदों को भरने की दरकार है। इसके अलावा छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में आठ, मध्य प्रदेश और दिल्ली उच्च न्यायालय 19-19 तथा पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायाल में 31 न्यायाधीशों के पद रिक्त हैं। इनके अलावा तेलंगाना और आंध्र प्रदेश में 20, बंबई में 10, कोलकाता में 21, गुवाहाटी में सात, गुजरात में 12, हिमाचल प्रदेश में छह, जम्मू-कश्मीर में सात, झारखंड में 12, कर्नाटक में 26, करेल में सात पद खाली हैं। इसी प्रकार से मद्रास हाईकोर्ट में 18, मणिपुर में एक, ओडिसा में आठ, पटना में 11, राजस्थान में21, सिक्किम में एक तथा उत्तराखंड में पांच जजों के पद खाली हैं।
जिला और अधीनस्थ न्यायालयों की स्थिति
मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक देशभर में जिला एवं अधीनस्थ न्यायालयों में अनुमोदित 20,214 जजों की अपेक्षा 15,634 जज ही कार्यरत हैं यानि 4580 न्यायाधीशों की नियुक्ति अभी तक लटकी हुई है। निचली अदालत में सर्वाधिक जजों के 747 पद गुजरात की अदालतों में रिक्त पड़े हुए हैं, जिसके बाद 643 रिक्त पदोें के साथ बिहार दूसरे और 336 जजों के रिक्त पदों के साथ उत्तर प्रदेश तीसरे पायदान पर है। छत्तीसगढ़ में जिला व अधीनस्थ अदालतों के लिए 354 पदों में से 302 ही कार्यरत है यानि राज्य में 52 जजों के पद भरने की दरकार बाकी है। मध्य प्रदेश में अनुमोदित 1460 जजों के मुकाबले 1243 जज ही कार्य कर रहे है, जहां अभी 217 पदों पर जजों की नियुक्ति का इंतजार है। इसी प्रकार हरियाणा राज्य में भी 159 जजों के पद रिक्त पड़े हुए हैं, जहां अनुमोदित 644 की अपेक्षा 485 जज ही नियुक्त हैं। जबकि दिल्ली की अदालतों में भी 317 पद खाली पड़े हुए हैं, जहां 476 न्यायाधीश कार्यरत हैं जबकि 793 जजों की नियुक्ति अनुमोदित है। चंडीगढ़ ही एक ऐसा क्षेत्र है जहां निचली अदालतों में अनुमोदित सभी 30 न्यायाधीश कार्यरत हैं।
----------
तेजी से होगी जजों की नियुक्ति
‘‘ सरकार न्यायपालिका की स्वतंत्रता की पक्षधर है। सरकार देशभर की अदालतों में जजों के रिक्त पदों को तेजी से भरने के लिए ठोस कदम उठा रही है। इसलिए सरकार के संविधान संशोधन विधेयक में उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों में जजों की नियुक्ति के लिए सरकार ने छह सदस्यीय इकाई के रूप में राष्टÑीय न्यायिक नियुक्ति आयोग के गठन का प्रावधान किया गया है। देश में जजों की कमी को पूरा करने के लिए इस व्यवस्था का उद्देश्य उच्च न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति में निष्पक्षता और पारदर्शिता लाना है। जहां तक जिला और अधीनस्थ न्यायालों में न्याधीशों व न्यायिक अधिकारियों की भर्ती का सवाल है वह राज्य सरकारों और उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार में आता है। उम्मीद है कि सरकार के इन प्रयासों से देश में न्यायिक सुधार के लिए जारी प्रयासों को सफलता मिलेगी।’’
--डीवी सदानंद गौडा, केंद्रीय कानून मंत्री
05May-2015

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें