मंगलवार, 19 मई 2015

विमानन क्षेत्र में बेदम मोदी सरकार का एक साल!

नई नीति समेत कई योजनाओं पर नहीं हो सका निर्णय
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की राजग सरकार एक साल की उपलब्धियों का रिपोर्ट कार्ड पेश करने वाली है। मोदी सरकार के एक साल के कार्यकाल में उपलब्धियों के नाम पर विमानन क्षेत्र के पास खुशी मनाने के लिए कुछ खास नहीं हैं। मसलन दावों के बावजूद नागर विमानन मंत्रालय की नई विमानन नीति समेत ज्यादातर योजनाएं अभी तक अटकी हुई हैं।
मोदी सरकार के एक साल पूरा होने पर वैसे तो रिपोर्ट कार्ड पीएमओ भेजने के फरमान को लेकर कई विभागों के मंत्रियों के हाथ- पांव फूले हुए हैं। इनमें विमानन मंत्रालय के पास उपलब्धियों के नाम पर फिलहाल कुछ पेश करने के लिए खास नहीं है। इसलिए अन्य मंत्रालयों से कहीं ज्यादा विमानन मंत्रालय के अधिकारी तनाव में हैं। केंद्रीय नागर विमानन मंत्री ने गत दस नवंबर 14 को क्षेत्रीय हवाई संपर्क बढ़ाने के लिए छोटी एयरलाइनों को बढ़ावा देने और नई एयरलाइनों के अंतरराष्ट्रीय उड़ानें शुरू करने के लिए 5/20 नियम को खत्म करने जैसे प्रस्ताव को लेकर एक नई विमानन नीति का मसौदा जारी किया था, लेकिन भी तक इस पर भी सरकार अंतिम निर्णय नहीं कर सकी। जबकि नागर विमानन राज्य मंत्री डा. महेश शर्मा ने पिछले दिनों ही कहा था कि 15 मई तक नई नागर विमानन नीति को जारी कर दिया जाएगा। सबसे बड़ी दिलचस्प बात है कि पिछली संप्रग सरकार ने भी नई विमानन नीति में इस नियम को समाप्त करने के संकेत दिए थे। हालांकि नई नीति लाने से पहले संप्रग सरकार को सत्ता से हाथ धोना पड़ा। अब नई सरकार इस नियम को समाप्त करने को कृतसंकल्प है। इस नई नीति में ही विमानन क्षेत्र की कई परियोजनाएं शामिल है, जिसके कारण सभी लटकी हुई हैं।
नई नीति में अटकी परियोजनाएं
राष्ट्रीय विमानन नीति के जिस मसौदे को मंत्रालय छह माह बाद भी अंतिम रूप नहीं दे सका है उसमें मंत्रालय को अभी तक 5/20 रूल को खत्म करने में अब तक कामयाबी नहीं मिली है। वहीं ब्यूरो आॅफ सिविल एविएशन सिक्यूरिटी (बीसीएएस) में तीन साल से लंबित मुख्यिा समेत अन्य स्टाफ की कमी भी ज्यों की त्यों बरकरार है। इसी प्रकार सरकार के दावों के बावजूद एयर इंडिया की आर्थिक सहेत का इलाज भी लाइलाज की तरफ बढ़ता दिख रहा है। एयर इंडिया के पायलटों व क्रू सदस्यों के व्यवहार को लेकर बढ़ती शिकायतें भी मुश्किलें पैदा कर रही हैं। यहां तक कि सरकार द्वारा पुनरुद्धार के लिए जारी पैकेज को भी एयर इंडिया कार्ययोजना का रूप नहीं दे पाई है। सरकार के ठोस उपाय करने की घोषणाओं में नई विमानन नीति, भरतीय विमानन कंपनियों के विदेशी परिचालन पर रोक हटाने, सार्वजनिक क्षेत्र की एएआई व पवन हंस को कंपनी बनाने, वायु नौवहन सेवाओं का सृजन करने और हवाई अड्डों का निजीकरण के अलावा एयर इंडिया की हालत को सुधार करने जैसी घोषणाएं की थी। जिनमें से सरकार किसी को अंतिम रूप नहीं दे पायी है। यही नहीं मंत्रालय की देश में छोटे शहरों में एयर पोर्ट और नॉन मैट्रो की योजना पर भी एयरपोर्ट अथोरिटी अटकी हुई है।
नई विमानन नीति के खास प्रावधान
मोदी सरकार ने नई विमानन नीति में प्रोत्साहनकारी उपाय करने का दावा किया है, जिसके तहत नए हवाई अड्डों की स्थापना में करों से छूट देने के साथ ही छोटे शहरों के लिए उड़ाने भरने वाली एयरलाइनों को एयरपोर्ट शुल्क, पार्किंग शुल्क आदि में राहत देने के प्रावधान भी शामिल है। सरकारी नियंत्रण वाली एयर इंडिया की उड़ानों को घाटे से मुक्त करने और अन्य सुधारात्मक उपाय भी इस नई नीति में शामिल होने का दावा सरकार करती आ रही है। वहीं नई नीति में हेलीकाप्टर व सीप्लेन जैसी पर्यटन को बढ़ावा देने वाली सेवाओं को प्रोत्साहन देने के भी प्रावधान हैं। सरकार ने संप्रग सरकार के छह हवाई अड्डों के निजीकरण के प्रस्ताव मेंं प्रक्रिया को आसान बनाने की स्पष्टता को गति देने जैसे प्रावधानों को इस नीति में शामिल किया है। वहीं विमानों की उड़ान सुरक्षा को लेकर भी कठोर कदम बढ़ाने का प्रयास किया जाना है।
क्या कहते हैं विशेषज्ञ
भारत में एरोस्पेस व रक्षा के भागीदार व प्रमुख अंबर दूबे की माने तो भारती विमानन उद्यो को मोदी सरकार से काफी उम्मीदें थी। लेकिन एक साल बाद भी कुछ खास नहीं हुआ। हालांकि सरकार की मंशा बेहतर करने की है। नागर विमानन मंत्री अशोक गजपति राजू ने पिछले साल 29 मई को पदभार संभालते ही कहा था कि हम खिलाड़ियों को समान अवसर उपलब्ध कराएंगे और विमानन क्षेत्रों को लोगों के अधिकअनुकूल बनाएंगे। सिडनी के विमानन क्षेत्र के शोध संस्थान सेंटर फर एशिया पैसिफिक एविएशन में इंडिया प्रमुख कपिल कौल का कहना है कि विमानन उद्योग नए बदलाव वाली नीति व स्पष्ट रणनीतिक रूपरेखा का इंतजार कर रहा है, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई सकारात्मक नतीजा पेश नहीं किया गया।
19May-2015

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