बुधवार, 13 मई 2015

गडकरी के नाम पर उच्च सदन की कार्यवाही स्वाहा



राज्यसभा का दृश्य:
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
बजट सत्र के अंतिम दिनों में राज्यसभा का दृश्य ऐसा बना हुआ है, जैसे विपक्ष ने कसम खा ली हो कि सरकार के किसी काम को आगे नहीं बढ़ने देना है। मसलन पिछले दो दिन से उच्च सदन में विपक्ष खासकर कांग्रेस पूर्ति मामले पर कैग की रिपोर्ट को मुद्दा बनाकर केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी को घेरे हुए है। गडकरी की दोनों दिन सफाई के बावजूद कांग्रेस इस इरादे को लेकर व्यस्त नजर आई कि इस मामले में किसी तरह उन्हें भ्रष्टाचारी साबित कर दिया जाए। जबकि गडकरी ने विपक्ष पर राजनीति करने का आरोप लगाते हुए चुनौती दी है कि यदि उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले साबित हुए तो मंत्री पद से क्या वे सांसद का पद भी छोड़ने को तैयार हैं।
बजट सत्र के अंतिम तीन दिनों में जब सरकार ज्यादा से ज्यादा काम निपटाने का इरादा लेकर सोमवार को संसद में आई थी, तो शायद कांग्रेस भी सरकार को किसी न किसी मुद्दे पर घेरने की रणनीति से संसद में दिखाई दी। खासकर उच्च सदन में कांग्रेस ने सोमवार को कार्यवाही शुरू होते ही पूर्ति नामक एक कंपनी पर पिछले सप्ताह पेश की गई कैग रिपोर्ट को मुद्दा बनाया। इस कंपनी से जुडेÞ रहे केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के इस्तीफे और कैग रिपोर्ट पर चर्चा कराने की मांग को लेकर मंगलवार को भी कांग्रेस उसी रणनीति पर सदन में पहुंची। मसलन सोमवार की तरह मंगलवार को भी गडकरी के नाम पर उच्च सदन की कार्यवाही बार-बार के स्थगन के कारण स्वाहा हो गई। खास बात है कि कांग्रेस के आरोपों पर सफाई देते हुए सोमवार की तरह विपक्ष की मांग पर मंगलवार को भी केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी को सफाई देनी पड़ी। गडकरी के बयान के बाद सदन में विभिन्न दलों के सदस्यों ने स्पष्टीकरण भी मांगे। सदन में जहां विपक्ष गडकरी के नाम पर सरकार को घेरने की कोशिश में था, वहीं सत्ता पक्ष की ओर से कैग की रिपोर्ट पर कांग्रेस पर राजनीति करने और सदन में कामकाज को बाधित करने का आरोप लगाए गये।
पूरी तैयारी में दिखे गडकरी
गडकरी ने अपने बयान में विपक्ष को यहां तक चुनौती दी कि कैग रिपोर्ट में उनके खिलाफ न तो भ्रष्टाचार के आरोप है और न ही कैग ने उनके खिलाफ अपनी रिपोर्ट में कोई टिप्पणी की है। उन्होंने विपक्ष पर पलटवार करते हुए कहा कि कैग रिपोर्ट में लगे आरोप उनके या उनकी कंपनी के खिलाफ नहीं, बल्कि तत्कालीन यूपीए सरकार और उनके विभाग इरेडा के खिलाफ हैं। इसके बावजूद यदि पीएसी की जांच और कोई भी सदस्य उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप सिद्ध करे तो वह मंत्री पद से ही नहीं सांसद के पद को भी त्यागने को तैयार है। उच्च सदन के परिदृश्य को देखा जाए तो कांग्रेस की अगुवाई में कुछ अन्य विपक्षी दल के इरादे साफ हैं कि किसी तरह इन अंतिम दिनों में सदन की कार्यवाही को बाधित रखा जाए और कैग की रिपोर्ट पर गडकरी के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों को साबित किया जाए। इसी पटकथा में इन दोनों दिनों की कार्यवाही के दौरान सदन में कांग्रेस ज्यादा व्यस्त नजर आई।
असमंजस में दिखी पीठ
उच्च सदन में कई बार के स्थगन के बाद दो बजे की कार्यवाही शुरू हुई तो कांग्रेस और प्रतिपक्ष नेता गुलाम नबी आजाद ने सदन में मौजूद गडकरी से स्पष्टीकरण देने की मांग की तो उप सभापति प्रो.पीजे कुरियन इसलिए असमंजस में नजर आए कि सोमवार को गडकरी अपना स्पष्टीकरण दे चुके हैं तो पीठ से दोबारा स्पष्टीकरण की अनुमति कैसे दी जा सकती है। विपक्ष ने कहा कि जब कल के स्पष्टीकरण को सुना ही न गया हो तो सदन फिर से सुनना चाहता है, लेकिन गडकरी अपनी पूरी तैयारी के साथ दस्तावेज लेकर सदन में आए। सदन में चूंकि कांग्रेस के प्रमोदी तिवारी ने स्पष्टीकरण के लिए नियम 267 के तहत नोटिस दिया था और इस पर सरकार भी तैयार थी। सदन में पूरे सदन की सहमति के बाद पीठ को फिर से गडकरी को स्पष्टीकरण देने की अनुमति दी गई।
सीमा लांघ गये तिवारी
गडकरी के बयान के बाद स्पष्टीकरण मांगते हुए कांग्रेस के प्रमोदी तिवारी कैग रिपोर्ट से अलग पूर्ति मामले पर सवाल उठाने लगे तो पीठासीन अधिकारी ने उन्हें नियमों की याद दिलाई और कहा कि सदन में वे कैग रिपोर्ट से अलग मामले का जिक्र नहीं कर सकते और उपसभापति ने तिवारी के इससे अलग किसी भी शब्द को कार्यवाही में शामिल न करने के निर्देश भी दिये। सदन के इस माहौल में सत्ता और विपक्ष के बीच जमकर नारेबाजी और हंगामा भी हुआ।
लोकसभा तक पहुंची आंच
मंगलवार को गडकरी के खिलाफ कांग्रेस ने लोकसभा में भी सरकार को घेरने का प्रयास किया। कांग्रेस के दीपेन्द्र हुड्डा ने यह मामला शून्यकाल में उठाया। राज्यसभा की तरह ही पूर्ति के मामले में कैग रिपोर्ट को लेकर लोकसभा में भी कार्यस्थगन का नोटिस दिया, जिसे लोकसभा स्पीकर ने खारिज कर दिया। इस निर्णय से भड़के विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने तो लोकसभा अध्यक्ष पर सत्ता का दुरुपयोग करने जैसा आरोप भी मंढ दिया। इस मुद्दे पर कांग्रेस तथा वाम दलों के सदस्यों ने सदन से वाकआउट किया। लोकसभा में कांग्रेसी सदस्यों ने कैग रिपोर्ट में नितिन गडकरी के परिवार से जुड़ी कंपनी को दिए गए ऋण में कथित अनियमितताओं का आरोप लगाते हुए केंद्रीय मंत्री के इस्तीफे की मांग की।
13May-2015


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