सोमवार, 18 मई 2015

नई व्यवस्था के तहत होंगे बिहार के चुनाव!

-चुनाव सुधार की ओर बढ़ा चुनाव आयोग
-आयोग ने सितंबर-अक्टूबर में चुनाव कराने के दिये संकेत
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों में हालांकि सभी राजनीतिक दलों ने अपनी बिसात बिछाना शुरू कर दिया है। सितंबर-अक्टूबर में चुनाव कराने के केंद्रीय निर्वाचन आयोग के संकेत हैं, जिसमें आयोग राज्य के पुरानी सियासी इतिहास के मद्देनजर नई व्यवस्था को लागू करके निष्पक्ष चुनाव कराने की तैयारी में है।
बिहार में मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल 23 नवंबर को खत्म हो रहा है। आयोग इससे पहले नई सरकार का गठन कराने के लिए नए विधानसभा चुनाव कराने की प्रक्रिया को पूरा कराना चाहता है। बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर हालांकि सभी राजनीतिक दलों ने कमर सकते हुए अपनी तैयारियों को पहले से अंजाम देते हुए रणनीतियों का तानाबाना बुनना शुरू कर दिया है। वहीं रविवार को मुख्य चुनाव आयुक्त डा. नसीम जैदी ने इस साल सितंबर-अक्टूबर में बिहार के चुनाव कराने के संकेत देकर सूबे के सियासी पारे को बढ़ा दिया है। चुनाव आयोग के अनुसार बिहार में इस साल प्रस्तावित विधानसभा चुनाव सितंबर-अक्टूबर में कराने पर विचार किया जा रहा है। इसके लिए पहले मौसम की स्थिति, त्यौहारों, परीक्षाओं, छुट्टियों, भारी मानसून, भारी बारिश, बाढ़ को ध्यान में रखना भी जरूरी है। उसी आधार पर चुनाव के चरणों को भी अंतिम रूप दिया जाएगा। जैदी ने यह बताने से इनकार कर दिया कि चुनाव कितने चरण में कराए जाएंगे। सूत्रों के अनुसार चुनाव आयोग बिहार में सियासत की पुराने इतिहास को भी खंगाल रहा है, जिसके कारण आयोग चुनाव आयोग द्वारा चुनाव सुधार की दिशा में तैयार की गई नई व्यवस्था को लागू करने का भी फैसला किया है। मसलन आयोग चुनावी खर्च पर शिकंजा कसते हुए राज्य में निष्पक्ष चुनाव कराने के इरादे से अपनी तैयारी को अंजाम देगा। सूत्रों के अनुसार आयोग बिहार में बाहुबल और धनबल की परंपरा को ध्वस्त करने के लिए इस बार चुनाव में ज्यादा से ज्यादा केंद्रीय सुरक्षा बलों की फौज उतारने पर विचार कर रहा है। हालांकि कुछ कानूनी संशोधन कानून मंत्रालय से अभी आने बाकी हैं। लेकिन आयोग ने अपनी शक्तियों के अंतर्गत व्यय निगरानी प्रणाली शुरू कर दी है।
इस बार दिलचस्प होंगे चुनाव?
बिहार विधानसभा के इस साल होने वाले चुनाव पिछले चुनावों से कहीं अलग ही नजर आएंगे। दरअसल नीतीश की पार्टी जदयू और भाजपा की राहें 17 साल बाद अलग हो जाने के बाद ये पहला विधानसभा चुनाव है। जब जदयू और भाजपा का गठंबधन टूटा तो धुरविरोधी लालू-नीतीश के इतने करीब आ गए और दोनों के बीच सैद्धांतिक रुप से पार्टी के विलय होने पर करार हो चुका है। यानी इस साल चुनाव में जदूयू-राजद के सामने भाजपा होगी। वहीं भाजपा के रथ रोकने के इरादे से दिलचस्प बात यह है कि सत्ताधारी दल जद-यू और राजद जिन्हें एक दूसरे का धुर प्रतिद्वंद्वी माना जाता रहा है, वे गठबंधन के साथ चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर चुके है। पिछले छह साल से जनता परिवार को एकजुट करने के नाम पर एक संयुक्त राजनीतिक दल की राह अभी बाकी है, लेकिन इन दोनों दलों में चुनावी गठजोड़ लगभग पूरा हो चुका है।
क्या है विधानसभा में दलीय स्थिति?
बिहार विधानसभा की 243 सदस्यों में से अभी 11 सीट अभी खाली हैं। सदन में भाजपा के 86 विधायक हैं। जबकि जदयू के 110, राजद के 24, कांग्रेस के 5, लोजपा के तीन, सीपीआई का एक और 6 निर्दलीय विधायक हैं।
18May-2015

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