शुक्रवार, 8 मई 2015

हवाई किरायों के मुद्दे पर उलझी सरकार!

रास: चर्चा के बाद सरकार ने दिया समाधान का भरोसा
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
देश में विमानन क्षेत्र को विश्वस्तरीय बनाने की दिशा में बढ़ रही कवायद के बीच उच्च सदन में समूचे सदन ने ही एक सुर में विमानन कंपनियों द्वारा मनमाने ढंग से वसूले जा रहे किरायों पर चिंता जताई। सदन की मांग पर सरकार ने हवाई किरायों पर नियंत्रण करने के लिए विनियामक जैसे तंत्र बनाने का भरोसा दिया।
दरअसल आजादी के बाद से अभी तक केंद्र सरकार विमानन क्षेत्र में अंग्रेजी शासन के कानून को ढोती आ रही है, जिसमें सांसदों ने बदलाव की मांग भी की। सदन में सपा सांसद नरेश अग्रवाल द्वारा देश में विभिन्न हवाई मार्गो पर चलने वाली विभिन्न विमानन कंपनियों के हवाई किरायों में असमानता का सवाल करते हुए मुद्दा उठाया, जिस पर सदन में विभिन्न दलों के 14 सदस्यों ने हिस्सा लिया। इनमें सत्तापक्ष के सांसदों ने भी विपक्षी दलों के सुर में सुर मिलाते हुए मनमाने ढंग से वसूले जा रहे हवाई किरायों पर चिंता जताई और किरायों की असमानता को दूर करने के लिए हवाई किरायों पर नियंत्रण करने के लिए विनियामक आयोग बनाने की वकालत की।
समाधान जटिल, तरीका तलाशा जाएगा
चर्चा का जवाब देते हुए नागर विमानन मंत्री अशोक गजपति राजू ने इस स्थिति को जटिल करार देते हुए कहा कि इसका समाधान हालांकि आसान नहीं है, लेकिन हवाई किरायों पर नियंत्रण पाने के लिए विनियामक जैसे तरीकों की तलाश की जाएगी। उन्होंने तर्क दिया कि हवाई किरायों का निर्धारण सरकार के नियंत्रण में नहीं है, जिसके लिए उन्होंने वायुयान नियमावली 1937 के नियम 135 के उपनियम (1) का जिक्र करते हुए कहा कि इस प्रावधान के मुताबिक विमान कंपनियों का प्रचालन लागत, सेवा की विशिष्ठता, औचित्यपूर्ण लाभ और सामान्यत: प्रचलित टैरिफ सहित सभी संबन्धित कारकों को ध्यान में रखते हुए किराया टैरिफ निर्धारण करने के लिए स्वतंत्र हैं। देश में घरेलू विमानन कंपनियों की किराया नीति विश्वभर में अपनायी जाने वाली परिपाटी की तर्ज पर ही चल रही है। अशोक गजपति राजू ने सदन में यह भी कहा कि नागर विमानन महानिदेशालय द्वारा वर्ष 2010 में किराया निगरानी यूनिट की स्थापना भी की गई है। यह यूनिट विमानन कंपनियों द्वारा घोषित किरायों की रेंज से अधिक किरायों की वसूली न किये जाने की सुनिश्चिता के लिए औचक आधार पर चयन किये गये कुछ मार्गो के हवाई किरायों की निगरानी करती है। फिर भी सरकार सदन की चिंताओं को दूर करने के लिए किरायों में इस असमानता को दूर करने के लिए तरीकें की तलाश करेगी, जिसमें विनियामक जैसे तंत्र की स्थापना की जा सके।
सदन से वाकआउट
नागर विमानन मंत्री के इस जवाब से असंतुष्ट कांग्रेस, एसपी, माकपा, भाकपा, जेडीयू के सदस्यों ने सदन से वॉकआउट किया। उन्होंने कहा कि हवाई किरायों का निर्धारण सरकार द्वारा नहीं किया जाता, क्योंकि ये बाजार ताकतों के पारस्परिक प्रभाव द्वारा निर्धारित होते हैं। कांग्रेस की विप्लव ठाकुर ने कहा कि सरकार तमाम कानूनों में संशोधन करके बदलाव कर रही है तो फिर इस पुराने कानून को क्यों नहीं बदला जा रहा है। भाजपा के विजय गोयल ने सवाल उठाया कि जब देश में रेल, बस और टेक्सी के किराए निर्धारित हैं तो हवाई यात्रा के किरायों का निर्धारण क्यों नहीं किया जा सकता। सदस्यों ने हवाई टिकट निरस्त होने पर धनराशि वापसी की निति पर भी सवाल खड़े किये।
08May-2015

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