शुक्रवार, 13 मार्च 2015

यान-हरण निवारण विधेयक पर गंभीर सरकार!

बजट सत्र में ही पारित कराएगी सरकार
संसदीय समिति ने सरकार को सौंपी रिपोर्ट
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
विमानन क्षेत्र में आतंकवाद या वायुयान का अपहरण अथवा इस विमानन क्षेत्र के खिलाफ अपराध करने वालों को सख्त से सख्त सजा दिलाने वाले यान-हरण निवारण विधेयक को पारित कराने के लिए सरकार पूरी तरह से गंभीर है। सरकार इस विधेयक को इसी सत्र में पारित कराने की तैयारी में है, जिसका रास्ता संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंपकर साफ कर दिया है।
दुनियाभर में विमान अपहरण और आतंकवादियों द्वारा उड़ते विमानों को अपना निशाना बनाने की आपराधिक गतिविधियों से निपटने के लिए हालांकि बीजिंग प्रोटोकॉल बना हुआ है, लेकिन भारत सरकार ने वायुयान के विधि विरुद्ध अधिग्रहण हेतु प्रोटोकॉल को और अधिक प्रभावी बनाने की दिशा में यान-हरण निवारण विधेयक-2014 को शीतकालीन सत्र के दौरान 17 दिसंबर को राज्यसभा में पेश किया था, जिसे सदस्यों की मांग पर 29 दिसंबर को राज्यसभा की विभाग संबन्धित परिवहन, पर्यटन और संस्कृति संबन्धी संसदीय स्थायी समिति को तीन माह की समयावधि में जांच-पड़ताल पूरी करके सरकार को रिपोर्ट देने के लिए सौंपा गया था। राज्यसभा सदस्य डा. केडी सिंह की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट संसद के दोनों सदनों में पेश कर दी है। इस रिपोर्ट के आने के बाद सरकार को जल्द से जल्द यानि मौजूदा बजट सत्र में ही इस विधेयक को पारित कराने का रास्ता मिल गया है। संसदीय समिति ने मोदी सरकार द्वारा इस विधेयक में किये गये ज्यादातर संशोधनों और कड़े प्रावधान का समर्थन करते हुए कई महत्वपूर्ण सिफारिशें भी की हैं। इस विधेयक में वायुयान के खिलाफ अपराध करने वालों के लिए मृत्यु दंड का प्रावधान तथा कानून के अधिकार क्षेत्र का विस्तार करने वाले प्रावधान को भी उचित ठहरा रही है।
अन्य देशों का भी समर्थन
विमानन क्षेत्र के खिलाफ आतंकवाद व अपराध से निपटने के लिए बीजिंग प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर करने वाले 32 देशों ने भी इस विधेयक को आतंकवाद विरोधी अंतर्राष्ट्रीय कानूनी ढांचे को अनुपूरक बनाने की कवायद का समर्थन किया है। इस बात का जिक्र समिति ने अपनी रिपोर्ट में करते हुए कहा कि इस विधेयक को बिजिंग प्रोटोकोल के उपबंधों को कार्यान्वित करने के लिए लाया जा रहा है। सरकार से इस विधेयक में समिति की ओर से यह सिफारिश की गई है कि अनुरूपी सजा के साथ फोन पर झूठी सूचना देने वालों को शामिल करने े लिए विधेयक में एक नया उपबंध किया जाए। इस सिफारिश को इसलिए जरूरी बताया गया है कि फोन पर झूठी सूचनाएं मिलने से आतंक और दहशत फैलाने की घटनाएं बढ़ी हैं और हवाई यात्रियों को गंभीर परेशानियों का सामना करना पड़ा है। इसलिए सरकार से इस विधेयक में सभी तरह के दोषियों को दंडित करने का प्रावधान शामिल करने पर बल दिया गया है।
सुरक्षाकर्मियों की सुरक्षा
संसदीय समिति ने इस विधेयक में बंधक व्यक्ति या सुरक्षाकर्मी शब्द को परिभाषित करने की भी इसलिए सिफारिश की है कि आतंकी या अपराधी उड़ान भरने की तैयारी करते विमान के साथ जमीन पर विमानन कर्मी या सुरक्ष कर्मी के साथ भी हिंसा कर सकता है। इसलिए ऐसी हिंसा में भी सजा का प्रावधान किया जाना जरूरी है, जो प्रस्तावित विधेयक में नहीं है। समिति ने केंद्र सरकार से अपेक्षा की है किे इस विधेयक को और अधिक व्यापक बनाने की दृष्टि समिति की सिफारिशों और समुक्तियों को विधेयक में समुचित रूप से शामिल करके ठोस कानून बनाया जाए।
मुआवजे की वकालत
विधेयक की जांच पड़ताल के दौरान संसदीय समिति ने पाया कि विधेयक में वायुयान हरण के पीड़ितों या उनके आश्रितों को मुआवजा देने के मुद्दे को स्थान नहीं दिया है, जबकि इससे पहले यान-हरण निवारण (संशोधन) विधेयक-2010 के संबन्ध में भी समिति ने ऐसी सिफारिश की थी, कि नागर विमानन मंत्रालय को पीड़ितों या उनके आश्रितों को मुआवजा देने के लिए विधेयक में आवश्यक प्रावधान करने पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
13Mar-2015

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