रविवार, 15 मार्च 2015

राग दरबार

गांधी को बापू ही रहने दो
देश में महापुरुषों और देवी देवताओं के प्रति टिप्पणियां करने की श्रृंखला में ही पूर्व न्यायाधीश मार्कंडेय काटजू की महात्मा गांधी और नेता सुभाष चन्द्र बोस के बारे में जो हालिया टिप्पणी की गई है, वह किसी को भी बर्दाश्त नहीं हुई और इनके बारे में जस्टिस काटजू के खयालात से पूरी तरह असहमत संसद के दोनों सदनों को काटजू के खिलाफ ऐसी टिप्पणियां करने के खिलाफ निंदा प्रस्ताव तक पारित करने की नौबत लानी पड़ी। सभी का मानना है कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को हमारे खयालों में बापू ही बने रहने दो। मसलन उन्हें ऐसा पैगंबर मत बनाओ, जिसके प्रतिकूल एक शब्द भी निकलने पर सिर कलम का फतवा आ जाता हो, विरोध प्रदर्शन होने लगते हो और सड़कों पर उतर कर लोग बेकाबू हो जाते हों। हालांकि गांधी और नेता जी सुभाष चंद बोस के बारे में जस्टिस काटजू के खयालात को आम राय व सोशल मीडिया तक पर सुर्खियों में बने रहने का ऐसा सतही फंडा करार दिया जा रहा है, जिस तरह खुद को प्रगतिशील साबित करने को नीली छतरी के नीचे चुंबन की पैरवी होती है, तो सेक्युलर दिखाने के लिए अपने धर्म का उपहास उड़ाने की जरूरत पड़ती है। इसका मतलब यह भी नहीं है कि देश में काटजू की तरह ही गांधी के बारे में सोचने वाले और लोग नहीं हैं। यही तो भारत के संविधान की खूबी है कि वह सहमति और असहमति दोनों तरह के विचारों को अभिव्यक्त करने की छूट देता है। कुछ लोग तो ऐसी टिप्पणियां करने के लिए चर्चित काटजू के खिलाफ संसद में पारित हुए निंदा प्रस्ताव को काटजू के मौलिक अधिकार का हनन मान रहे हैं, लेकिन हास्यास्पद तो यह है कि कुछ ने तो काटजू से वह तमाम सुविधाएं वापस लेने की मांग भी उठाई, जो उन्हें सुप्रीम कोर्ट के एक रिटायर जज होने के नाते हासिल हैं।
रिकार्डिंग की वाल पर केजरी
आम आदमी पार्टी ने अन्य राजनीतिक दलों से अपने सैद्धांतिक चरित्र को दिखाकर दिल्ली में सरकार तो बना ली, लेकिन जिस प्रकार स्वराज का नारा देकर अपने शपथ ग्रहण समारोह में आप प्रमुख एवं मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए जनता को इस बात की छूट देते हुए खुले आम ऐलान किया था कि जहां गड़बड़ हो तुरंत रिकॉर्ड कर लीजिए और हमें भेजिये, हम एक्शन लेंगे। लेकिन इस राजनीति के खेल में किसे पता था कि ऐसा कहने वाले केजरीवाल जल्दी ही खुद एक रिकॉर्डिंग में कैद हो जाएंगे। मसलन केजरीवाल और उसके ही अपनों ने जिस प्रकार के स्टिंग करके आप में घमासान को आसमान तक पहुंचाने का दम भर लिया है उसके लिए सोशल नेटवर्किंग साइटों पर किस तरह के तीखे प्रहार और टिप्पणियां पढ़ने और टैग के ट्रेंड देखने को मिल रहे हैं, उनमें कांग्रेस के विधायकों को तोड़ने की कोशिश वाली रिकॉर्डिंग सामने आने के बाद लोग आप और अरविंद केजरीवाल पर तीखे कटाक्ष करते नजर आ रहे हैं। करीब महीने भर से पार्टी में छिड़े संग्राम पर भी लोग ऐसी टिप्पणी करने से भी कोई परहेज नही कर सके जिसमें बंगलूरू में केजरीवाल के चल रहे इलाज के बारे में दिलचस्प टिप्पणी यह भी देखने को मिली कि इलाज की जरूरत सिर्फ अरविंद केजरीवाल को ही नहीं, बल्कि पूरी पार्टी का इलाज कराने की ज्यादा जरूरत है। ऐसा ही तंज आप के स्टिंग पर भाजपा प्रमुख शाह ने कसते हुए यहां तक उदाहरण दिया कि एक बल्ब बदलने के लिए आम आदमी पार्टी को 100 लोगों की जरूरत पड़ती है यानि एक बल्ब बदलता है और बाकी 99 रिकॉर्डिंग करते हैं। राजनीति के गलियारे में नई राजनीति की बात करने वाली और सोशल मीडिया का जबरदस्त इस्तेमाल करने वाली आप अब खुद इंटरनेट पर जगहंसाई का पात्र बनने के साथ चुटकला बनती नजर आ रही है।
15Mar-2015

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