मंगलवार, 10 मार्च 2015

भूमि अधिग्रण विधेयक: कुछ संशोधन शामिल करेगी सरकार

लोस में भूमि अधिग्रण विधेयक पर चर्चा में रही गरमाहट
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
आखिर सोमवार को लोकसभा में विवादित भूमि अधिग्रहण विधेयक पर विपक्ष के विरोध के बावजूद चर्चा शुरू हुई, जिसमें विपक्षी दलों के चर्चा के दौरान आए तर्कसंगत संशोधनों को शामिल करने का भरोसा सरकार ने दिया है।
मोदी सरकार के लिए अध्यादेशों को विधेयकों के रूप में संसद में मंजूर करना बड़ी चुनौती बना हुआ है, जिसमें खासकर भूमि अधिग्रहण विधेयक के खिलाफ विपक्षी दल पूरी तरह से लामबंदी की राह पर सरकार का सिरदर्द बने हुए थे। इस विधेयक में हालांकि सरकार ने किसान संगठनों और राजनीतिक दलों से हुई बातचीत के बाद कुछ संशोधन के साथ इसे सोमवार को लोकसभा में चर्चा और पारित करने के लिए पेश किया। चर्चा के दौरान भी विपक्षी दलों ने सरकार को किसान विरोधी करार देते हुए उसके ऊपर तीखे प्रहार किये। पहले से ही विपक्षी दलों के विरोध का सामना कर रही सरकार ने भरोसा दिलाया कि चर्चा के दौरान विपक्ष द्वारा लाये जाने वाले तर्क संगत संशोधनों को सरकारी संशोधनों के रूप में स्वीकार करने से सरकार को कोई परहेज नहीं होगा। मसलन ऐसे संशोधन जो देश के किसानों के हक में फायदेमंद हों। सोमवार को लोकसभा में जब भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकार और पारदर्शिता अधिकार (संशोधन) विधेयक 2015 पर चर्चा शुरू हुई, तो बीच में सरकार पर तीखे प्रहार होता देख बीच में ही हस्तक्षेप करते हुए संसदीय कार्यमंत्री एम. वेंकैया नायडू ने सरकार के भरोसे को दोहराते हुए कहा कि सरकार ऐसे कुछ संशोधनों को अपनाने के लिए तैयार है जो राज्यों और विभिन्न समुदायों के हित में कारगार साबित होते हों। नायडू ने कहा कि हाइवे, नयी रेल लाइनों, नयी बिजली लाइनों, नये बंदरगाहों और तालाब तथा सिंचाई के विस्तार के लिए भूमि अधिग्रहण बहुत जरुरी है। उन्होंने कहा कि इन चीजों से देश का विकास होगा और आम आदमी को फायदा होगा तथा इसी को ध्यान में रखते हुए राजग सरकार यह विधेयक लायी है। उन्होंने कहा कि संप्रग शासन के समय ही कांग्रेस शासित कुछ राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने ही नहीं बल्कि तत्कालीन केंद्रीय मंत्रियों ने भी उस समय के भूमि अधिग्रहण विधेयक में खामियां बताते हुए उसे विकास के मार्ग में बाधक बताया था। इस संदर्भ में उन्होंने महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चौहान और केंद्र में तत्कालीन वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा की ओर से संबंधित मंत्रियों को लिखी गयी चिट्ठियों का हवाला दिया। लोकसभा में विवाददास्पद भूमि अधिग्रहण बिल पर चर्चा कराने से पहले ही इस मुद्दे पर सरकार और विपक्ष के बीच आर-पार की चुनौती को देखते हुए पहले ही मोदी सरकार के मंत्रियों ने इस बारे में रास्ता निकालने के लिए राजनीतिक पार्टियों से बातचीत भी थी।
विपक्ष के 52 संशोधन
इस विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्ष की ओर से 52 संशोधन आए हैं और सरकार अच्छे सुझावों पर गौर करने का भरोसा दिया है। विपक्ष को भी उम्मीद जगी है कि सरकार उनके सुझावों को ध्यान में रखकर उचित संशोधन करने के लिए कदम आगे बढ़ाएगी। इन संशोधनों को अपनाने के लिए सरकार इस विधेयक को लोकसभा में पारित होने के बाद राज्यसभा में पारित कराने का रास्ता भी बनाने का प्रयास कर रही है।
तल्ख दिखी कांग्रेस
दोपहर बाद जब सोमवार को लोकसभा में सरकार ने भूमि अधिग्रहण को कुछ संशोधनों के साथ पेश किया तो कांग्रेस ने साफ कहदिया कि वह 2013 के भूमि कानून में कोई  बदलाव नहीं चाहती। लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि हम यूपीए सरकार के 2013 में लाए गए भूमि बिल में कोई बदलाव नहीं चाहते हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या उनकी पार्टी सरकार के विभिन्न पक्षों की चिंताओं के मद्देनजर इसमें संशोधन लाने को स्वीकार करेगी, उन्होंने कहा कि जब हम पहले के बिल में कोई संशोधन नहीं चाहते, तो उसे स्वीकार करने का सवाल ही नहीं उठता है।
10Mar-2015

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