शनिवार, 21 मार्च 2015

आखिर कोयला और खनन विधेयक को मिली मंजूरी

संसद से पारित दोनों विधेयक अध्यादेशों का स्थान लेंगे
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
उच्च सदन में प्रवर समिति से गुजकर कर आने के बावजूद कोयला खान और खान और खनिज संशोधन विधेयकों के विरोध में एकजुट विपक्ष को अपने रणनीतिक फार्मूले के जरिए तोड़ने में सफल रही, जिसका नतीजा रहा कि इन दोनों विधेयकों को राज्यसभा की मंजूरी मिल गई। यही नहीं इन दोनों विधेयकों को शुक्रवार को ही लोकसभा में पेश किया गया, जिसमें खान-खनिज बिल के संशोधनों को मंजूरी दे दी गई, जबकि कोयला खान विधेयक बिना किसी संशोधन में राज्यसभा में पारित हुआ है तो उसे लोकसभा ने मान लिया। मसलन अब ये दोनों विधेयक अध्यादेशों की जगह लेने के लिए केवल राष्टÑपति की मुहर से दूर हैं।
उच्च सदन में शुक्रवार को कोयला खान (विशेष उपबंध) विधेयक-2015 को बिना किसी संशोधनों के मंजूरी दे दी गई, हालांकि कुछ दलों ने इस विधेयक को फिर से प्रवर समिति गठित करके इसकी पुन: जांच कराने की मांग उठाई, जिसके लिए पी. राजीव ने चर्चा के दौरान संशोधन भी पेश किया था, जो नामंजूर हो गया। कोयला खान विधेयक को पारित होने से पहले इस पर एक घंटे से ज्यादा समय तक चर्चा भी कराई गई, जिसकी शुरूआत करते हुए कांग्रेस के दिग्विजय सिंह ने कोयला विधेयक पर खामिया निकालते हुए सरकार पर राज्यों के अधिकार क्षेत्रों को छीनने का भी आरोप लगाया। अन्य दलों के सदस्यों ने भी चर्चा में हिस्सा लिया। चर्चा का जवाब देते हुए कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने सदन को भरोसा दिलाते हुए विपक्षी दलों की आशंकाओं को दूर किया और विधेयक को पारित कराने का प्रस्ताव किया, जिससे कांग्रेस, जदयू और वामदलों के विरोध के बावजूद अन्य विपक्षी दलों का सरकार को समर्थन मिला और इस विधेयक को पारित कर दिया गया। विरोध में जदयू सदस्यों ने विरोध भी किया। राज्यसभा में कोयला खान विधेयक क उसी रूप में मंजूरी दी गई, जिसमें लोकसभा में पारित किया गया था। इसलिए इसे लोकसभा तो ले जाया गया, लेकिन कोई संशोधन न होने के कारण उसे पारित मान लिया गया।
इससे पहले शुक्रवार को राज्यसभा में खनिज-खदान बिल पास किया गया। इस विधेयक पर मतदान कराया गया तो विपक्ष के 69 मतों के मुकाबले 117 मतों से इस विधेयक पर मुहर लगा दी गई। कोयला विधेयक के साथ खान और खनन बिल को भी सदन की प्रवर समिति के पास भेजा गया था, जिसकी रिपोर्ट पेश होने के बाद कुछ सिफारिशों को सरकार ने स्वीकार किया और इस विधेयक को कुछ संशोधनों के साथ पारित कर दिया गया। कांग्रेस और वामदलों की मांग पर इस विधेयक को पारित कराने के लिए जब मत विभाजन कराया गया तो विधेयक के पक्ष में 117 और विपक्ष में 69 मत पड़े। ये दोनों विधेयक अध्यादेशों क ा स्थान लेंगे। शुक्रवार ही इन दोनों विधेयकों को लोकसभा की मंजूरी के लिए भेजा गया, जहां ध्वनिमत से इन्हें पारित कर दिया गया है। अब केवल राष्टÑपति की मुहर लगना बाकी है।
आखिर टूटी  विपक्ष की एकता
राज्यसभा में सरकार इन दोनों बिलों को पारित कराने में आखिर विपक्ष की एकजुटता को तोड़ने में सफल रही। मसलन सुबह जब खनिज और खदान (विकास एवं विनियमन) संशोधन विधेयक 2015 को पास करने के लिए मत विभाजन कराया गया तो बसपा, राकांपा, बीजद, तृणमूल कांग्रेस, झामुमो व अन्नाद्रमुक समेत कई दल इन विधेयकों पर सरकार के समर्थन में खडेÞ नजर आए। इन सभी दलों ने मत विभाजन के समय विधेयक के पक्ष में मतदान भी किया। केवल कांग्रेस और वामदलों ने ही विरोध मेें मतदान किया, जबकि जदयू ने सदन से वाकआउट करके विरोध जताया। नतीजन कांग्रेस और वामदल विपक्ष में अलग-थलग पड़ते नजर आए। गौरतलब है कि कोयला खान तथा खनिज-खदान विधेयकों का लोकसभा से पारित होकर उच्च सदन में आने पर विपक्ष ने एकजुटता का प्रदर्शन करके इन्हें प्रवर समिति को सौंपने के लिए मजबूर किया था, जिनकी रिपोर्ट सदन मेें आने पर भी ये दल बिफरते दिखाई दिये थे, लेकिन इन्हें पारित कराने के लिए प्रतिबद्ध सरकार इस विपक्षी एकता को तोड़ने में सफल रही।
आंध्र प्रदेश पु नर्गठन विधेयक संसद में पास
राज्यसभा में शुक्रवार को गृहराज्य मंत्री किरण रिजि जू द्वारा पेश किये गये आंध्र प्रदेश पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक-2014 को भी पारित कर दिया गया। इस विधेयक को सरकार ने लोकसभा में कुछ संशोधनों के साथ लोकसभा की पहले ही मंजूरी ले ली थी। इस विधेयक को चर्चा की औपचारिकता पूरी करके उच्च सदन ने ध्वनिमत से मंजूरी दे दी है।
21Mar-2015

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