मंगलवार, 10 मार्च 2015

भूमि अधिग्रहण विधेयक बना आर-पार की चुनौती!

लोकसभा में संशोधनों के साथ आज फिर पेश होगा बिल
राज्यसभा में खान-खनिज व मोटरयान बिल पर होगी रार
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार के लिए अध्यादेशों को विधेयकों में बदलने की चुनौतियों में भूमि अधिग्रहण विधेयक सिरदर्द बनता जा रहा है। संसद में विपक्ष की लामबंदी के चलते सरकार सोमवार को लोकसभा में कुछ संशोधनों के साथ फिर से भूमि अधिग्रहण विधेयक को पेश करके उस पर चर्चा शुरू करायेगी। वहीं उच्च सदन में सरकार के सामने सोमवार को चर्चा और पारित कराने के लिए खान और खनिज तथा मोटरयान विधेयक को पारित कराने की बड़ी चुनौती होगी, जिस पर विपक्षी दलों का हंगामा होने के आसार बने हुए हैं।
संसद में सरकार के छह अध्यादेशों में भूमि अधिग्रहण विधेयक को पारित करना सरकार के लिए सबसे ज्यादा सिरदर्द बना हुआ है, जिसमें पर विपक्ष की लामबंदी ही नहीं, बल्कि भाजपा के सहयोगी दलों का आंखें तरेरना केंद्र में सरकार की अगुवाई कर रही भाजपा
को चौकन्ना रहने के लिए मजबूर कर चुका है। हालांकि विपक्ष की आपत्तियों और किसान संगठनों से आए सुझाव को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने भूमि अधिग्रहण बिल में कुछ संशोधन किये हैं। यही कारण है कि 24 फरवरी को लोकसभा में पेश किये जा चुके भूमि अधिग्रहण विधेयक जिस पर चर्चा लंबित है को सोमवार को फिर से संशोधनों के साथ पेश करके उस पर चर्चा कराएगी और माना जा रहा है कि चर्चा के दौरान स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आश्वासन के तहत चर्चा के दौरान आने वाले विपक्षी दलों के संशोधन सुझावों को मंजूर करके उसे पारित भी कराएगी। जाहिर सी बात है कि लोकसभा में विपक्षी लामबंदी में विरोध के बावजूद भी यह विधेयक निश्चित रूप से पारित करा लिया जाएगा, लेकिन सरकार के सामने इस विधेयक को राज्यसभा में पारित कराने की चुनौती है, जिसके लिए सरकार किसी भी अवरोध के बिना इस विधेयक को पारित कराना चाहती है, भले ही उसे संसद का संयुक्त सत्र बुलाने के विकल्प को भी अपनाना पड़े। मसलन सरकार विपक्ष की लामबंदी के सामने झुकने को कतई तैयार नहीं है। हालांकि सरकार चर्चा के दौरान विपक्ष की ओर से आने वाले तर्कसंगत संशोधनों को स्वीकार कर सकती है।
उच्च सदन में चुनौती
सोमवार को संसद के बजट सत्र की तीसरे सप्ताह की कार्यवाही शुरू होगी तो लोकसभा में सरकार की कार्यसूची में विधायी कार्यो में सिर्फ भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनसर्थापन में निष्पक्ष मुआवजा और पारदर्शिता अधिकार अधिनियम-2013 में संशोधन से संबंधित छठे अध्यादेश के स्थान पर विधेयक ही शामिल है। जाहिर सी बात है कि सोमवार को लोकसभा में सरकार भूमि अधिग्रहण विधेयक को पारित कराने की प्राथमिकता पर ही फोकस करेगी। जबकि राज्यसभा में विधायी कार्यो में सरकार ने सोमवार को अपनी कार्यसूची में लोकसभा में पारित हो चुके खान और खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक-2015 तथा मोटर यान (संशोधन)विधेयक-2015 को ही शामिल किया है। उच्च सदन में दोनों बिलों को विचार और पारित कराने का प्रस्ताव किया जाएगा। ये दोनों विधेयक भी अध्यादेश का स्थान लेंगे। सरकार को उम्मीद है जिस प्रकार से राज्यसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक को ध्वनिमत से पारित करया जा चुका है उसी प्रकार सोमवार को इन विधेयकों को भी सदन की मंजूरी मिल जाएगी। हालांकि सूत्रों की माने तो विपक्षी दल सरकार को इन विधेयकों पर भी घेरने के लिए पूरी तरह से लामबंदी कर चुके हैं। लिहाजा सदन में हंगामे की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
विपक्ष के सहयोग की दरकार
राज्यसभा में महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने के लिए संख्या बल की कमी को देखते हुए सरकार की ओर से निरंतर संसदीय कार्यमंत्री एम. वेंकैया नायडू विपक्ष से सहयोग देने की अपील करते आ रहे हैं। नायडू का कहना है कि कांग्रेस और अन्य दलों को को देश के विकास एवं जनता के हितों को देखते हुए ऐसे विधायी कार्यो का समर्थन करना चाहिए। उन्होंने यहां तक कहा कि अध्यादेशों को विधेयकों के रूप में पारित कराने में भी सरकार को विपक्षी दलों के सहयोग की जरूरत है। नायडू ने खासकर भूमि अधिग्रहण विधेयक को किसान समर्थक बताते हुए विपक्षी दलों के नेताओं से बातचीत की है और विधेयक में शामिल प्रावधानों से विस्तार से जानकारी दी है कि जिसके पारित होने से देश के कृषि क्षेत्र और किसानों को लाभ होगा और सिंचाई योजना, बांधों के निर्माण समेत विभिन्न कार्यो को बल मिलेगा। देश को विकसित करने की दिशा में उन्होंने यहां तक तर्क दिये हैं कि जमीन का अधिग्रहण किये बिना बांध, हवाई अड्डों, नयी रेल लाइनों आदि का निर्माण कैसे किया जा सकता है?
कांग्रेस का मर्म
कांग्रेसनीत यूपीए सरकार द्वारा लागू भूमि अधिग्रहण विधेयक में मोदी सरकार के संशोधन बर्दाश्त नहीं हो रहे हैं। शायद यही कारण है कि सरकार के विपक्ष के सुझाव मानने और किसान संगठनों से बातचीत के आधार पर इस विधेयक में संशोधन करने का भरोसा भी कांग्रेस को कतई रास नहीं आ रहा है। कांग्रेस ने अब अपने अनुसांगिक संगठन युवक कांग्रेस को इस विधेयक के खिलाफ आंदोलन करने का जिम्मा सौंप दिया है, जिसमें राष्ट्रीय युवक कांग्रेस के अध्यक्ष अमरिन्दर सिंह राजा के नेतृत्व में 13 मार्च को दिल्ली के जंतर-मंतर पर बड़ा आंदोलन होगा, जिसमें कई कार्यक्रमों के तहत सरकार को घेरने का निर्णय लिया है।
09Mar-2015


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें