शनिवार, 21 मार्च 2015

भूमि बिल पर गंभीर सरकार ने नहीं छोड़ा मैदान!

विपक्षी दलों को मनाने में गड़करी बने हनुमान
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
भूमि अधिग्रहण विधेयक के खिलाफ विपक्षी दलों की लामबंदी के बावजूद मोदी सरकार ने इसे संसद की मंजूरी दिलाने की उम्मीदें अभी छोड़ी नहीं है और भूमि बिल का विरोध कर रहे विपक्षी राजनीतिक दलों को मनाने का जिम्मा सरकार ने अब केंद्रीय मंत्री नीतिन गडकरी को सौंप दिया है।
संसद के बजट सत्र में पहले चरण का शुक्रवार को अंतिम दिन है, हालांकि सरकार संसदीय मामलों की कैबिनेट में दो दिन बढ़ाने पर विचार भी कर चुकी हैं, लेकिन ऐसा हुआ तो इसका ऐलान शुक्रवार को ही हो सकता है। सरकार के छह अध्यादेशों में भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ विपक्षी दल पूरी तरह लामबंद होकर एकजुटता का प्रदर्शन कर चुका है। लिहाजा मोदी सरकार के लिए सबसे अहम माने जा रहे भूमि अधिग्रहण बिल को उच्च सदन की मंजूरी दिलाना एक प्रतिष्ठा का ही सवाल नहीं है, बल्किलोकसभा में पारित हो चुके इस बिल पर यदि उच्च सदन की मंजूरी न मिली तो सरकार इस मुद्दे पर फंस सकती है और फिलहाल तो सरकार के इस प्रक्रिया के लिए सभी विकल्पों के रास्ते बंद नजर आ रहे हैं। ऐसे में विपक्षी दलों की लामबंदी तोड़ने की रणनीति ही सरकार के सामने है। मसलन मोदी सरकार भूमि अधिग्रहण विधेयक को लेकर इतनी गंभीर है कि वह हर हालत में किसानों के हितों को सुरक्षित रखने के इरादे से इस बिल पर हो रही सियासत के तिलस्म को तोड़ना चाहती है। लिहाजा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विपक्षी दलों को मनाने और विधेयक के बिंदुओं पर उन्हें संतुष्ट करने की जिम्मेदारी केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नीतिन गडकरी को सौंपी है। इससे पहले गृहमंत्री राजनाथ सिंह अन्य मंत्रियों और पार्टी के सहयोग से किसान संगठनों के सुझाव हासिल कर चुके हैं। सरकार का यह शायद अंतिम प्रयास है जिसमें इस विधेयक को पारित कराने के लिए सरकार विपक्षी दलों से बातचीत करके उनके सुझावों और संशोधनों को भूमि अधिग्रहण विधेयक में शामिल करके इसे अंजाम तक ले जाना चाहती है। गौरतलब है कि भूमि अधिग्रहण विधेयक लोकसभा में पारित हो गया है। राज्यसभा में सत्तापक्ष के अल्पमत में होने के कारण विपक्षी दल बाधक बने हैं,जबकि लोकसभा में मौन रहे।
विकास मे बाधा की सियासत
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने केंद्र सरकार के हनुमान के रूप में अपनी जिम्मेदारी संभालते हुए विपक्षी दलों से बातचीत करके भूमि अधिग्रहण विधेयक पर सरकार का सहयोग करने की अपील करना शुरू कर दिया है। गडकरी का कहना है कि इस विधेयक के पारित होने पर अधिक से अधिक रोजगार सृजन व सिंचाई के साधन विकसित होंगे, वहीं सड़क सम्पर्क, स्कूल और अस्पताल निर्माण तथा कोयला, रेलवे से जुड़े विकास कार्य भी इसके बिना अटक जाएंगे। क्योंकि इस बिल में ग्रामीण आधारभूत संरचना, रक्षा के साथ औद्योगिक कारिडोर बनाने का मुद्दा भी जुड़ा है। उनका आरोप है कि विपक्ष देश के विकास कार्यो में इस बिल पर राजनीति करके बाधक बना हुआ है और वह अपनी जिम्मेदारी से भाग रहा है। जबकि इन विपक्षी दलों में कांग्रेस सरकार को इस मुद्दे पर झुकाने के प्रयास में जुटी है।
विपक्ष खुली बहस करे
भूमि अधिग्रहण बिल पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और गांधीवादी अन्ना हजारे समेत उन सभी राजनीतिक दलों के नेताओं को पत्र लिखकर इस विधेयक को पारित कराने की अपील करते हुए उन्हें खुली बहस करने का भी न्यौता दिया और कहा कि बहस में शामिल होकर वह बताएं कि कौन सा प्रावधान किसानों के हितों को नुकसान करेगा, सरकार उनके तर्कसंगत सुझावों या संशोधनों को विधेयक में शामिल करने के लिए तैयार है। दरअसल कांग्रेस के नेतृत्व में इस विधेयक का विरोध करते हुए विपक्षी दलों के नेताओं ने राष्ट्रपति भवन तक मार्च करके राष्ट्रपति से हस्तक्षेप करने की मांग की। वहीं जंतर-मंतर पर भारतीय किसान यूनियन समेत कई किसान संगठनों का धरना जारी है। सरकार इन आंदोलकारी संगठनों से भी बातचीत करके उनकी आशंकाओं का समाधान करने में जुटी है।
किसानों के विरोध में नहीं भूमि बिल: केंद्र
नई दिल्ली
संसद और संसद के बाहर भूमि अधिग्रहण बिल पर चौतरफा मुश्किल से घिरी केंद्र सरकार ने केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने भूमि अधिग्रहण विधेयक पर किसानों की आशंकाओं को दूर करने का प्रयास करते हुए कहा कि सरकार ऐसा कुछ नहीं करेगी, जो कृषि या किसानों के हितों के खिलफ है। वहीं सरकार विपक्षी के किसी भी सुझाव को मानने के लिए तैयार है। गडकरी ने यह बात यहां आयोजित अखिल भारतीय पंचायत परिषद के ‘समीक्षा अधिवेशन‘ में किसानों को संबोधित करते हुए कही। गडकरी ने विपक्षी दलों पर इस बिल पर राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह किसानों को सरकार के खिलाफ संदेश देकर गुमराह करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों के फायदे में काम कर रही है और ऐसा कोई फैसला नहीं करेगी जिसमें किसानों के हितों को नुकसान पहुंचता हो। सरकार ने इस विधेयक में किसानों के हित में बदलाव करते हुए उनके पुनर्वास और पुर्नस्थापन से लेकर मुआवजे और रोजगार को भी ध्यान में रखा है। इसके बावजूद इस विधेयक का विरोध कर रहे विपक्षी अपना राजनीतक हित साधने में जुटे हुए हैं। जबकि सरकार विपक्षी दलों के सुझावों को स्वीकार करते हुए इसे पारित कराने में सहयोग की अपील भी कर रही है।
20Mar-2015


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