मंगलवार, 24 मार्च 2015

विदेशों में अब अपनों को तुरंत मिलेगी मदद!

प्रवासी भारतीयों की मुसीबतों पर गंभीर हुई सरकार
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
मोदी सरकार विदेशों में रह रहे भारतीयों के लिए भी सुविधाएं मुहैया कराने के लिए पूरी तरह से गंभीर है और सात समुन्दर पार ऐसे भारततीयों को मुसीबत के समय तुरंत मदद करने की योजना तैयार की है। इसके लिए सरकार ने एक बेबसाईट शुरू करके ऐसी
व्यवस्था की है जिसमें मदद की गुहार करते ही मुसीबत से घिरे भारतीयों को विदेशों में तत्काल सहायता मुहैया कराई जा सकेगी।
मोदी सरकार के प्रवासी भारतीय मामलों के मंत्रालय ने प्रवासी भारतीयों की सुविधाओं में विस्तार करने की कई महत्वपूर्ण योजनाओं में आमूलचूल परिवर्तन भी किया है। केंद्र सरकार ने सात समुंदर पार ऐसे भारतीयों की मुसीबत का साथी बनकर हाल ही में एक ऐसी वेबसाइट पोर्टल ‘मदद’ को भी शुरू किया है, जिसके जरिए मुसीबत से घिरने पर उन्हें तत्काल मदद मिलेगी और उन्हें भारत सरकार से गुहार करते ही कांसुलर सहायता मिल सकेगी। प्रवासी भारतीय मामले के मंत्रालय का दावा है कि ‘मदद’ नामक यह वेबसाईट कोई साधारण वेब साईट नही है, बल्कि इसमे यह सुनिश्चित किया गया है कि इन भारतीयो तक फौरन ही संबन्धित देश में स्थित भारतीय दूतावास कारगर ढंग से उन्हें मदद करे। केंद्र सरकार ने इस वेबसाईट को इस तरह से डिजाइन कराया है जिसमें भारतीयो को एक निश्चित समय सीमा के भीतर मे फौरी राहत मिल सके। यही नहीं इसके अलावा सरकार ने संबन्धित अधिकारियों की जवाबदेही भी तय की है। केंद्र सरकार की योजना के तहत दुनिया में किसी भी देश में यदि कोई भारतीय मुसीबत में फंसता है तो वह इस वेबसाइट के जरिए अपनी जानकारी देगा और जिस तरह की मदद की गुहार करेगा तो वह स्वत: ही संबन्धित विभाग और उस देश में भारतीय दूतावास या संबन्धित अधिकारी तक पहुंच जाएगी। यदि किसी कारण वह अधिकारी इस निर्धारित समय सीमा मे उसका हल नहीं कर पाता है तो यह समस्या अपना 'कलर कोड ' के रंग बदल कर अगले वरिष्ठ अधिकारी तक पहुंच जायेगी और जवाबदेही के तहत उस समस्या का हल तुरंत हो जाएगा।
द्विपक्षीय समझौतों पर जोर
केंद्र सरकार के पिटारे में वैसे तो अरसे से प्रवासी भारतीयों के लिए अनेक योजनाएं हैं, लेकिन इसके बावजूद भी रोजगार के लिए सात समुंदर में भारतीय किसी न किसी कारण से मुसीबत में पड़ते रहे हैं। सरकारी आंकडेÞ के अनुसार दुनियाभर के देशों में ढ़ाई करोड़ से भी ज्यादा भारतीय रहकर अपना कारोबार कर रहे हैं। मंत्रालय के अनुसार ज्यादातर खाड़ी देशों से भारतीय कामगारों की समस्याओं की शिकायतें मिलती रहती है। इनमें प्राय मजदूरी न दिए जाने अथवा देर से दिए जाने, कामकाज और रहने की कठिन परिस्थितियां, कामगारों के अनुबंध में एकपक्षीय बदलाव, नियोक्ता द्वारा पासपोर्ट अपने पास रखना, दलालों द्वारा धोखा देना, शारीरिक और यौन उत्पीड़न इत्यादि प्रमुख हैं। परेशानी मे घिर जाने पर इस बात की जानकारी नहीं होती कि वह मदद की गुजार दूतावास तक कैसे पहुंचाए। ऐसी घटनाएं पहले भी सामने आई हैं कि मुसीबत में घिरे भारतीय कामगार श्रमिक विवाद मे नियोक्ता उनका पासपोर्ट अपने पास रख लेते है और वे वही फंसे रह जाते हैं और वेतन तो दूर उन्हें कानूनी जाल में फंसा कर जेलों में भी ठूंस दिया जाता है। इन समस्याओं से प्रवासियों को संरक्षण देने के लिए श्रमिकों की नियुक्ति के क्षेत्र में द्विपक्षीय सहयोग की योजना का विस्तार करने पर बल दिया गया है। भारत सरकार भारतीय श्रमिकों के संरक्षण और उनकी सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए प्रवासी भारतीय मामले मंत्रालय के जरिए संयुक्त अरब अमीरात, कुवैत, ओमान, बहरीन और मलेशिया जैसे अनेक देशों के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर करती आ रही है, जिसके लिए मौजूदा सरकार ने भी उस नीति को अपनाते हुए ठोस कदम उठाएं हैं और वहीं ऐसी योजनाओं को सुधार के साथ विस्तार करने पर बल दिया है।
24Mar-2015

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें