गुरुवार, 19 मार्च 2015

अध्यादेशों को लेकर असमंजस में सरकार!

रात दस बजे तक चली राज्यसभा की कार्यवाही
दो दिन और बढ़ सकता है संसद का बजट सत्र
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
भूमि अधिग्रहण समेत बाकी बचे तीनों अध्यादेशों को विधेयकों के रूप में पारित कराने के आड़े आ रही विपक्ष की एकजुटता के मद्देनजर असमंजस की स्थिति में है। सरकार के पास राज्यसभा में इन तीन विधेयकों के अलावा अन्य कामकाज लंबित है जिसे देखते हुए बुधवार को उच्च सदन की कार्यवाही रात्रि दस बजे तक चलाई गई। इसलिए अध्यादेशों वाले तीनों विधेयकोें को पारित कराने के लिए सरकार मौजूदा बजट सत्र के पहले चरण को दो दिन और बढ़ाने पर भी विचार कर रही है।
केंद्र सरकार के लिए लोकसभा में पारित हो चुके अध्यादेश वाले सभी छह विधेयकों में से राज्यसभा की मुहर लगने से बचे तीन महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराने के लिए सत्र की अवधि बढ़ाने पर विचार कर रही है यानि 20 मार्च को समाप्त हो रहे बजट सत्र के पहले चरण की बैठकों को 23 व 24 मार्च तक आयोजित करा सकती है। ऐसा इसलिए माना जा रहा है कि संसदीय मामलों की कैबिनेट की बुधवार को हुई बैठक में ऐसे निर्णय पर गंभीरता से विचार किया गया है। सूत्रों के अनुसार विपक्ष की लांबबंदी के बावजूद सरकार को उच्च सदन में खासकर कोयला और खनिज विधेयकों के पारित होने की पूरी उम्मीद जगी है, जिन पर प्रवर समिति ने बुधवार को संसद में अपनी सिफारिशों के साथ रिपोर्ट पेश कर दी है। इसका कारण है कि राज्यसभा में पारित होने के बाद इन विधेयकों को फिर से लोकसभा भेजकर पारित कराना होगा, जो सरकार के लिए इसलिए भी जरूरी है कि अध्यादेशों की मियाद पांच अप्रैल को समाप्त हो जाएगी। संसदीय मामलों की कैबिनेट में हालांकि बजट सत्र को पहले चरण में सत्रावसान कराने पर कोई विचार नहीं किया गया है। हालांकि भूमि अधिग्रहण विधेयक पर सरकार विपक्ष के विरोध के सामने ज्यादा मशक्कत करने के मूड में नहीं है। सूत्रों की माने तो ऐसे में सरकार भी मान चुकी है कि लोकसभा से पारित भूमि अधिग्रहण विधेयक के उच्च सदन में पारित होने की संभावनएं क्षीण हो रही है। ऐसी स्थिति में भूमि पर इस आध्यादेश को पुन: लागू करने के लिए सरकार दो दिन की अवधि बढ़ाकर बजट सत्र का सत्रावसन करने पर भी निर्णय कर सकती है।
भूमि अधिग्रहण पर विकल्प
सरकार की ओर से ऐसे संकेत भी मिल रहे हैं कि सरकार किसी भी सूरत में इसी सत्र में भूमि अधिग्रहण बिल को पास कराना चाहती है। इसलिए सरकार संसद के बजट सत्र को दो दिनों के लिए बढ़ाने की भी कोशिश में लगी है। संसदीय मामलों की कैबिनेट समिति में भी हुई बैठक के बारे में सूत्रों का कहना है कि यदि ज्यादा जरूरी समझा गया तो संसद का बजट सत्र दो दिनों के लिए बढ़ाकर सरकार या तो इस सत्र का सत्रावसान करा सकती है अन्यथा भूमि अधिग्रहण बिल पर विपक्ष ने एकता के सामने सरकार राज्यों को इस बात के लिए स्वतंत्रता दे सकती है कि यदि वह चाहें तो अपने राज्य में पुराने विधेयक के प्रावधानों पर अमल कर सकते हैं।
19mar-2015

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