बुधवार, 11 मार्च 2015

ग्यारह संशोधनों के साथ पारित हुआ भूमि अधिग्रहण विधेयक

लोकसभा में वोटिंग के दौरान हंगामा
पारित 11 संशोधनों में नौ सरकार के शामिल
विपक्ष के ज्यादातर संशोधनों मतविभाजन में गिरे
बीजद व टीआरएस का सदन से वाकआउट
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
मोदी सरकार की विपक्ष की मांगों पर नरमी के बावजूद विपक्ष की और से आए दो ही संशोधनों को मंजूरी मिल सकी। जबकि सरकार द्वारा पेश किये गये नौ संशोधनों समेत 11 संशोधनों की मंजूरी के साथ लोकसभा में भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकार और पारदर्शिता अधिकार (संशोधन) विधेयक 2015 को पारित कर दिया गया है। मत विभाजन के दौरान विपक्ष ने जमकर हंगामा किया और बीजद व टीआर ने सदन से वाकआउट भी किया।
लोकसभा में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री चौधरी बीरेन्द्र सिंह द्वारा पेश किये गये भूमि अर्जन, पुनर्वासन और पुनर्व्यवस्थापन में उचित प्रतिकार और पारदर्शिता अधिकार (संशोधन) विधेयक 2015 पर सोमवार को शुरू हुई चर्चा पूरी होने के बाद मंगलवार को देर शाम वोटिंग कराई गई तो विपक्ष की ओर से सदन में चर्चा के दौरान पेश किये गये करीब पांच दर्जन संशोधन मत विभाजन प्रक्रिया के दौरान गिरते चले गये। सदन में विपक्ष की ओर से आए संशोधनों में केवल तर्क संगत पाए गये दो संशोधनों को ही ध्वनिमत से मंजूरी दी गई, जबकि सरकार की ओर से पेश सभी नौ संशोधनों को भूमि अधिग्रहण का हिस्सा बनाया गया। विधेयक पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने मोदी सरकार पर जमकर हमले बोले और सुझाव के साथ करीब पांच दर्जन से भी ज्यादा संशोधन पेश किये थे। मंगलवार देर शाम को शुरू हुए मत विभाजन के दौरान विपक्षी दलों के ज्यादातर गिरे संशोधनों पर जमकर हंगामा भी किया और केंद्र सरकार को तगड़ा विरोध झेलना पड़ा है। जबकि केंद्र सरकार पहले ही कह चुकी थी कि अगर विपक्ष के संशोधन किसानों के हित में हैं, तो उन्हें स्वीकार करने को सरकार तैयार है। बीजद का मत था कि जहां भी किसानों की जमीनें ली जाएं, उन्हें उस व्यवसाय में हिस्सेदारी भी दी जाए, जिसे सदन में अस्वीकार कर दिया गया। इस पर बीजद ने सदन से वाकआउट कर दिया। इसके साथ ही तेलंगाना राष्टÑ समिति के सदस्यों ने वोटिंग का बहिष्कार करके सदन से जाने का निर्णय लिया। विपक्ष की ओर से तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय द्वारा पेश किया गया संशोधन भी स्वीकार किया गया है।
कांग्रेस की मांग खारिज
सदन में भूमि अधिग्रहण बिल के पारित कराने के लिए प्रस्ताव आने पर सदन में कांग्रेस के नेता मलिकार्जुन खडगे ने मांग उठाई कि इस विधेयक को संसदीय स्थायी समिति को सौंपा जाए, लेकिन कांग्रेस की इस मांग को नामंजूर करते हुए इस विधेयक को 11 संशोधनों के साथ ध्वनिमत से पारित कर दिया गया। रोहतक से कांग्रेस सांसद दीपेन्द्र हुड्डा सरकार को घेरने में सबसे आगे नजर आए,लेकिन उनके द्वारा पेश किया गया संशोधन मत विभाजन के दौरान गिर गया। हुड्डा के संशोधन में अपना पक्ष रखते हुए मांग की थी कि विधेयक किसानों के लिए कभी समान नहीं रहा, जिसका प्रावधान किया जाना चाहिए। जबकि बीजद के भृतहरि मेहताब का कहना था कि कि जहां भी किसानों की जमीनें ली जाएं, उन्हें उस व्यवसाय में हिस्सेदारी भी दी जाए। इस दौरान वोटिंग के दौरान रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि किसानों के लिए समय पर मुआवजे का प्रावधान करने के लिए सरकार का आभार जताया।
सरकार ने पेश किये नौ संशोधन
विपक्ष और सहयोगी दलों की तरफ से भी पड़ रहे दबाव के चलते बिल पर केंद्र सरकार की और से नौ संशोधन करना पड़ा। इनमें सोशल इंफ्रÞास्ट्रक्चर को 'मंजूरी न लेने वाले सेक्टर' से बाहर करने, केवल सरकारी संस्थाओं, निगमों के लिए जमीन का अधिग्रहण, राष्ट्रीय-राजमार्ग, रेलवे लाइन के दोनों तरफ एक-एक किलोमीटर जमीन का अधिग्रहण संभव, किसानों को अपने जिले में शिकायत या अपील का अधिकार देने, औद्योगिक कॉरीडोर के लिए सीमित जमीन का अधिग्रहण होने, बंजर जमीनों का अलग से रिकॉर्ड रखने और विस्थापित परिवार के कम से कम एक सदस्य को नौकरी दिया जाना शामिल है। इस दौरान विपक्ष ने विधेयक में करीब पांच दर्जन संशोधन सुझाए हैं। इनमें भूमि अधिग्रहण की सीमा स्पष्ट करने, इस पर आने वाले प्रोजेक्ट में किसानों को मुआवजे के साथ हिस्सेदारी देने, मुआवजे को लेकर किसी विवाद की सूरत में सुनवाई के लिए एक समिति बनाने जैसे संशोधन शामिल हैं।
राज्यसभा में चुनौती
सरकार को इस बिल पर राज्यसभा में कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ेगा। उच्च सदन में विरोधी दल कांग्रेस अपनी पूरी रणनीति के साथ सरकार को घेरने के लिए अन्य दलों की लामबंदी तैयार कर चुका है। कांग्रेस इसे किसी भी कीमत पर पास नहीं होने देने का दम भर रही है। जाहिर सी बात है थ्क राज्यसभा में कांग्रेस इसे प्रवर समिति को भेजने की मांग पर अडिग होगा।
11Mar-2015

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