मंगलवार, 17 मार्च 2015

गंगा समेत सभी नदियों पर बनेगा सख्त कानून

गंगा किनारे 764 औद्योगिक ईकाईयों पर गिरेगी गाज
ओ.पी. पाल.
नई दिल्ली।
मोदी सरकार के गंगा मिशन में सरकार का हर हालत में गंगा व अन्य नदियों की धारा को निर्मल और अविरल बनाने का इरादा है, जिसके लिए सरकार तेजी के साथ कानूनी दावं-पेंच का सहारा लेने में भी पीछे नहीं है। इसलिए सरकार ने गंगा व अन्य नदियों के जल को प्रदूषण रहित बनाने के लिए सख्त कानून बनाने की कवायद में जुटी हुई है। इस कानून के जरिए गंगा के किनारे 764 औद्योगिक ईकाईयों पर गाज गिरना तय माना जा रहा है।
केंद्रीय जल संसाधन एवं गंगा सरंक्षण मंत्री उमा भारती ने अपने इरादे जाहिर करते हुए इस मिशन को अंजाम तक पहुंचाने का संकल्प किया है। वैसे तो केंद्र में सत्ता संभालते ही इस विभाग में केंद्रीय मंत्री उमा भारती ने गंगा व अन्य नदियों को स्वच्छ बनाने के मिशन पर काम करना शुरू कर दिया था, जिसके तैयार खाके पर योजनाओं को आगे बढ़ाने की प्रक्रिया भी जारी है। केंद्र सरकार ने इस दिशा में सुधारात्मक कदम बढ़ाते हुए लिये गये निर्णयों पर नियमों व कानूनों को सख्त करने पर बल दिया है। वहीं नदियों के जल की निर्मलता को बनाए रखने के साथ जलधाराओं की अविरलता पर भी तेजी से विचार किया जा रहा है। इसके लिए जल संसाधन मंत्रालय में सचिव की अध्यक्षता में गठित विभिन्न विभागों के अधिकारियों की समिति ने भी सरकार को समग्रता के साथ गंगा और उसकी सहायत नदियों के समाधान के फार्मूले सौंप दिये हैं, जिसमें प्रदूषण की चुनौती से निपटने के लिए कड़वे फैसले लेने की मंशा सरकार बना चुकी है। नदियों को गंदगी और प्रदूषण से मुक्त करने के लिए पर्यावरण मंत्रालय के पूर्व सचिव की अध्यक्षता वाली समिति ने पर्यावरण और प्रदूषण से संबन्धित अभी तक के सभी कानूनों को प्रभावी और सख्त बनाने पर विचार किया है, जो सरकार को जल्द ही अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
नमामि गंगे पर गंभीर सरकार
केंद्रीय जल संसाधन मंत्री उमा भारती का कहना है कि सरकार ने पिछले साल सितंबर में ही गंगा की निर्मलता को सुनिश्चित करने के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ मिलकर गंगा के किनारे सभी चिन्हित 764 औद्योगिक ईकाइ्रयों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया था, जिसमें इन इकाईयों को समयबद्धता के साथ कारखानों से निकलने वाले प्रदूषित जल को नदियों में जाने से रोकने के निर्देश दिये गये हैं जिनके लिए उन्हें ईकाई के निकट ही संयंत्र स्थापित करने को कहा गया है। इसके लिए कानून की दृष्टि से सरकार ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी एक कार्ययोजना बना रहा है और 31 मार्च तक इन सभी औद्योगिक ईकाईयों पर लागू की गई मॉनिटरिंग प्रणाली की समीक्षा होगी, जिसमें यह आकलन होगा कि वे निर्देशों का पालन कर रही हैं या नहीं। सख्त कानूनों के तहत सरकार ऐसी औद्योगिक ईकाईयों को बंद कराने की कार्यवाही करेगी, जो कानून व नियमों का पालन नहीं कर पाई हैं। ऐसा एक बयान सोमवार को उमा भारती ने उच्च सदन में भी दिया है कि गंगा और सहायक नदियों को निर्मल व उनकी जलधारा को अविरल बनाने के लिए सरकार कठोर से कठोर कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है। उमा भारती का कहना है कि सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश को ध्यान में रखते हुए भी एक कमेटी गठित की थी और कोर्ट भी सरकार की योजना से सहमति जता रहा है। उनका कहना है कि नमामि गंगे मिशन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उस कटिबद्धता को सरकार पूरी करके दम लेगी, जिसमें गंगा को अविरल और निर्मलता की स्थायी राह पर लाकर खड़ा कर देना है।
काली और रामगंगा का असर
केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार दरअसल गंगा के किनारे स्थापित औद्योगिक ईकाईयों का प्रदूषित जल या कचरा काली नदी और रामगंगा को प्रदूषित कर रहा है, जिसका पानी सीधे गंगा और अन्य नदियों को प्रदूषित कर रहा है। इस मिशन में गठित समितियों के अध्ययन के बाद सरकार ने औद्योगिक ईकाईयों की बैठक में सख्त निर्णय लेकर उन्हें दिशानिर्देश जारी किये हैं। ऐसी ईकाईयों पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की कार्ययोजना के आधार पर सीधे निगरानी हो रही है।
17Mar-2015

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