शुक्रवार, 13 मार्च 2015

बीमा क्षेत्र में एफडीआई को संसद से मंजूरी


आखिर राज्यसभा में पास हुआ बीमा विधेयक
ओ.पी. पाल
. नई दिल्ली।
मोदी सरकार धीरे-धीरे अध्यादेशों को विधेयकों में बदलने में अपनी रणनीति में सफल होती नजर आ रही है। राज्यसभा में नागरिकता (संशोधन) विधेयक और मोटरयान विधेयक के बाद सबसे महत्वूपूर्ण बीमा विधेयक भी ध्वनिमत से पारित हो गया है, जिसमें बीमा क्षेत्र में 49 प्रतिशत विदेशी निवेश यानि एफडीआई का प्रावधान शामिल है।
मोदी सरकार ने आर्थिक सुधारों को दिशा देने के लिए बीमा क्षेत्र में 49 प्रतिशत एफडीआई को मंजूरी देते हुए बीमा विधि संशोधन विधेयक-2015 को लोकसभा में पारित कराने के बाद गुरुवार को राज्यसभा में भी पारित करा लिया है। इस विधेयक में कांग्रेस और कुछ अन्य विपक्षी दल बीमा क्षेत्र में एफडीआई का लगातार विरोध कर रहे थे, जिसके कारण शीतकालीन सत्र के बाद सरकार ने इसे अध्यादेश के जरिए लागू कर दिया था। संसद के बजट सत्र में सरकार के सामने अध्यादेश को विधेयक के रूप में पारित कराने की चुनौती थी, जिसके कारण सरकार लगातार विपक्षी दलों से देश में आर्थिक सुधारों को अमलीजामा पहनाने का हवाला देकर निरंतर बातचीत करने की रणनीति अपना रही थी। बीमा विधेयक को संसद के दोनों सदनों की मंजूरी मिलने के बाद अब केवल राष्टÑपति की मुहर लगना बाकी है और यह विधेयक लागू हो जाएगा। इससे पहले अध्यादेशों के खिलाफ विपक्षी लामबंदी के चलते सरकार के सामने चुनौती थी, लेकिन धीरे धीरे सरकार की रणनीति रंग लाती गई और राज्यसभा में अल्पमत में होते हुए भी तीन अध्यादेशों को अभी तक कानूनों का रूप देने में सफल रही।
तृणमूल, बसपा, द्रमुक और जदयू का वाकआउट
उच्च सदन ने इसी के साथ इस संबंध में सरकार द्वारा लाये गये अध्यादेश को निरस्त करने संबंधी विपक्ष के संकल्पों को ध्वनिमत से खारिज कर दिया। विधेयक पर तीन वाम सदस्यों द्वारा लाये गये संशोधनों को 10 के मुकाबले 84 मतों से खारिज कर दिया गया। विधेयक पारित होने से पहले तृणमूल, बसपा, द्रमुक और जदयू के सदस्यों ने इसके विरोध में सदन से वाकआउट किया।
कांग्रेस को मनाने में कामयाबी
मोदी सरकार के सामने अध्यादेशों को विधेयकों में बदलने के लिए उन्हें राज्यसभा में पारित कराने के लिए आखिर कांग्रेस को भी मना लिया, जिसका परिणाम है कि सरकार गुरुवार को राज्यसभा में सबसे ज्यादा विवादों में रहे बीमा विधेयक को भी पारित कराने में सफल रही। दरअसल सरकार ने एक दिन पहले बुधवार को खान व खनिज तथा कोयला विधेयक को कांग्रेस व अन्य विपक्षी दलों की मांग पर राज्यसभा की प्रवर समिति को सौंप दिया था, जिससे विपक्ष के तेवर अध्यादेशों के प्रति नरम हुए। यहीं से सरकार को अध्यादेशों को विधेयकों में बदलने के लिए उम्मीद नजर आने लगी। गुरुवार को बीमा विधेयक पर सभी की नजरे टिकी थी, लेकिन कांग्रेस पार्टी के राज्यसभा में बीमा बिल को समर्थन देने के भरोसे पर सरकार आगे बढ़ सकी।
विधेयक में यह हैं प्रावधान
इस विधेयक में मोदी सरकार ने बीमा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा बढ़ाकर 26 से 49 प्रतिशत का प्रावधान किया है। सरकार का मानना है कि इस प्रावधान से बीमा क्षेत्र को मजबूती मिलेगी और आर्थिक सुधारों पर ज्यादा काम किया जा सकेगा।बीमा बिल के जरिये सरकार यह संदेश देना चाहती है कि वह बीमा- रक्षा समेत तमाम सेक्टरों में विदेशी निवेश को प्रोत्साहित करना चाहती है।विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने कहा कि इस विधेयक में किये गये प्रावधान देश में बीमा क्षेत्र के प्रसार के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि मौजूदा विधेयक में 1938 के बीमा कानून, समान्य बीमा कारोबार (राष्ट्रीयकरण) कानून 1972 तथा बीमा नियमन एवं विकास प्राधिकरण कानून 1999 में संशोधन का प्रावधान है। सिन्हा ने कहा कि इस विधेयक के जरिये बीमा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा को 26 से बढ़ाकर 49 प्रतिशत किया जायेगा। उन्होंने कहा कि हमारे बीमा क्षेत्र का प्रसार बहुत कम है। उन्होंने कहा कि सरकार चाहती है कि भारतीय जीवन बीमा निगम जैसी भारतीय कंपनियां विराट कोहली एवं सचिन तेंदुलकर की तरह विश्वस्तरीय हों। सिन्हा ने इस विधेयक को पेश करने से पहले इसी संबंध में पूर्व में लाये गये एक विधेयक को वापस लिया। उस विधेयक को प्रवर समिति में भेज दिया गया था। गौरतलब है कि संसद के शीतकालीन सत्र में बीमा बिल पहले ही प्रवर समिति के रास्ते से गुजर चुका है, इसलिए भी सरकार को उच्च सदन में विपक्षी दलों का ज्यादा विरोध नहीं करना पडुा। इससे पहले कल दो विधेयकों को प्रवर समिति को भेजकर सरकार ने विपक्षी दलों के तेवर नरम कर दिये थे, जिसका नतीजा सरकार को बीमा विधेयक की मंजूरी के रूप में मिल सका।
13Mar-2015

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