सोमवार, 2 मार्च 2015

..अब अध्यादेशों पर अटकी सरकार की सांसे!

संसद के तीन दिन में सरकार की अग्नि परीक्षा
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
संसद के बजट सत्र में आम बजट, आर्थिक सर्वे और रेल बजट के बाद अब केंद्र की मोदी सरकार के लिए दूसरे सप्ताह के तीनों दिन किसी अग्नि परीक्षा से कम नहीं होंगे। मसलन मोदी सरकार के लिए अब संसद में कल सोमवार से सभी अध्यादेशों को विधेयकों के रूप में पेश करके उन्हें पारित कराने की बड़ी चुनौती होगी।
केंद्र सरकार ने संसद के बजट सत्र के दूसरे सप्ताह की शुरूआत यानि कल सोमवार को ही उन छह अध्यादेशों पर विचार करने और उन्हें विधेयकों के रूप में कार्यसूची में शामिल कर लिया है, जो सरकार के लिए विपक्षी दलों की लामबंदी के कारण चुनौती बने हुए हैं। जबकि भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनसर््थापन में निष्पक्ष मुआवजा और पारदर्शिता अधिकार अधिनियम-2013 में संशोधन से संबंधित छठे अध्यादेश के स्थान पर विधेयक को पिछले सप्ताह ही लोकसभा में पेश कर चुकी है, जिसके साथ ही लोकसभा में लम्बित नागरिकता (संशोधन) विधेयक को संबद्ध अध्यादेश का स्थान लेने वाला नया विधेयक पेश करने से पहले वापस लिया जा चुका है। जहां तक भूमि अधिग्रहण कानून पर गतिरोध का सवाल है उसके लिए हालांकि स्वयं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने गत शुक्रवार को राष्टÑपति अभिभाषण के धन्यवाद प्रस्ताव की चर्चा के जबाब में अपने बयान में ऐसे संकेत दे दिये थे कि यदि भूमि अधिग्रहण अध्यादेश किसान विरोधी है तो सरकार उसे बदल देगी। फिर भी सरकार के लिए अगले तीन दिन संसद में विधायी कामकाज खासकर अध्यादेशों पर आगे बढ़ने की कार्यवाही एक चुनौतीपूर्ण कही जा सकती है। हालांकि पहले सप्ताह में मोदी सरकार ने बजट सत्र के पहले सप्ताह में आम बजट, आर्थिक सर्वे और रेल बजट पेश करके देश के विकास और आम आदमी के हितों का संदेश देकर एक रास्ता तय कर लिया है, लेकिन सोमवार से जब संसद के दानों सदनों की बैठकें फिर शुरू होंगी तो सरकार के सामने अध्यादेशों को विधेयकों के रूप में संसद में पेश करके उन्हें पारित कराने के कठिन मार्ग को सरल बनाने की रणनीति के साथ संसद में आना होगा। गौरतलब है कि संविधान के प्रावधानों के अनुसार सभी 6 अध्यादेशों के स्थान पर 05 अप्रैल, 2015 तक संसदीय अधिनियम बनाने की आवश्यकता है।
अध्यादेशों पर आज होगा विचार
संसद के बजट सत्र के पहले दिन से ही हालांकि दोनों सदनों की कार्यसूची में हर दिन सभी छह अध्यादेश कार्यसूची में शामिल रहे हैं, लेकिन विपक्ष के विरोध और हंगामे के कारण उन पर विचार नहीं हो पाया। आम बजट व रेल बजट पेश करना भी पहले से ही तय था, जिसके बाद अब सोमवार यानी दो मार्च से प्रारंभ होने वाले दूसरे सप्ताह में संसद के दोनों सदन महत्वपूर्ण विधायी कार्य निपटाने के लिए शीतकालीन सत्र के बाद जारी किये नागरिकता (संशोधन) विधेयक, और खनन एवं खनिज (विकास एवं नियमन) संशोधन विधेयक, मोटर वाहन (संशोधन) विधेयक और कोयला खदान (विशेष प्रावधान) विधेयक के अलावा दो अन्य विधेयकों को विचार करने के लिए सूचीबद्ध किया है, जिन पर सरकार को कठिन दौर से गुजरना होगा। उच्च सदन से पहले इन अध्यादेशों के स्थान पर विधेयकों को लाने के लिए पहले सोमवार को लोकसभा में प्रस्तुत किया जाएगा। हालांकि लोकसभा मे बहुमत के कारण सरकार के सामने कोई ज्यादा परेशानी नहीं आएगी, लेकिन राज्यसभा में विपक्षी दलों के बहुमत को इन अध्यादेशों के पक्ष में लाने के लिए सरकार को अग्नि परीक्षा के दौर से गुजरना पड़ सकता है। लोकसभा में सरकार मंगलवार यानि तीन मार्च को बीमा कानून (संशोधन) अध्यादेश के स्थान पर विधेयक करेगी। पहले 6 अध्यादेशों का स्थान लेने वाले विधेयक लोकसभा में पेश होंगे। लोकसभा की सोमवार के विधायी कार्यो की सूची में आंध्र प्रदेश, पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक-2015 भी शामिल है, जबकि सरकार ने पिछले सप्ताह राज्यसभा में पारित हो चुके संविधान (अनुसूचित जातियां) आदेश (संशोधन) विधेयक लोकसभा में विचारार्थ प्रस्तुत करने और पारित कराने पर विचार किया है। इसके अलावा दोनों सदनों की कार्य सलाहकार समितियों ने भी दूसरे सप्ताह के लिए सरकार द्वारा प्रस्तावित विधायी कार्य पर विचार किया है और विभिन्न विधेयकों हेतु समय निर्धारित किया गया है।
उच्च सदन में यह चुनौती
संसद के बजट सत्र के दूसरे सप्ताह के दौरान राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव आगे बहस होगी। इसके बाद सदन में कंपनी (संशोधन) विधेयक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (संशोधन) विधेयक पर भी विचार और उन्हें पारित किया जाएगा। राज्यसभा द्वारा नागरिकता और खनन एवं खनिजों से संबंधित दो अध्यादेशों का स्थान लेने वाले विधेयको पर भी विचार किए जाने की संभावना है, बशर्ते ये विधेयक लोकसभा पारित होते हैं। सरकार दिल्ली उच्च न्यायालय (संशोधन) विधेयक, 2014 भी पारित कराना चाहती है।
02Mar-2015

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