गुरुवार, 13 मार्च 2014

स्नातकोत्तर सांसदों ने बढ़ाई लोकसभा की शान

संसद में शर्मसार करने वाली घटनाओं ने भी तोड़े रिकार्ड
ओ.पी. पाल

संसद में 15वीं लोकसभा में जहां शर्मसार करने वाले रिकार्ड कायम हुए, तो वहीं दागी सांसदों की संख्या भी सबसे ज्यादा आंकी गई। इसके बावजूद इस लोकसभा में उच्च शिक्षा प्राप्त सांसदों की संख्या यानि स्नातकोत्तर सांसदों की संख्या का भी रिकार्ड बना है।
सोलहवीं लोकसभा के गठन की तैयारियों के रूप में चुनावी बिगुल बज चुका है और चुनाव आयोग के बेहतर तरीकों से नई लोकसभा के रिकार्ड को साफ सुधरा करने की दिशा में भी कदम उठाए गये हैं। हालांकि भारत के संविधान में चुनाव लड़ने के लिए किसी शैक्षणिक योग्यता का निर्धारण नहीं किया गया है, लेकिन रूझान बताते हैं कि पढ़े-लिखे उम्मीदवार पन्द्रहवीं लोकसभा में सबसे ज्यादा अधिक संख्या में विजयी रहे हैं। 15वीं लोकसभा में संसद सत्रों के दौरान आजाद भारत की सभी पिछले संसद सत्रों के मुकाबले जिस तरह की अप्रिय घटनाओं और हंगामे के रिकार्ड के साथ संसद को शर्मसार किया है, उससे राजनीतिक परिस्थितियां भी बदलती नजर आ रही हैं। चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार 15वीं लोकसभा में 543 सांसदों में रिकार्ड संख्या 256 स्नातकोत्तर निर्वाचित होकर सदन में दाखिल हुए, जो 14वीं लोकसभा की संख्या 157 के मुकाबले 99 सांसद ज्यादा रहे। लोकसभा में करीब 78 प्रतिशत सांसद स्नातक, स्नातकोत्तर या डाक्टरेट डिग्री धारक रहे, जहां पिछली लोकसभा में 112 सांसद मैट्रिक पास भी नहीं थे, 15वीं लोकसभा में उनकी संख्या घटकर 20 पर दर्ज की गई। आजादी के बाद पहली गठित लोकसभा में स्नातक और अधिक शैक्षिक योग्यता वाले सांसद 56 प्रतिशत थे, जो बढ़कर 15वीं लोकसभा में 78 प्रतिशत हो गयी है। इसी प्रकार पहली लोकसभा में बिना मैट्रिक पास सांसदों की संख्या 23 प्रतिशत से घटकर 15वीं लोकसभा में तीन प्रतिशत रह गयी। हालांकि सदन में कई ऐसे सांसद भी हैं, जिन्होंने कभी औपचारिक शिक्षा ग्रहण नहीं की, लेकिन 15वीं लोकसभा में एक भी अशिक्षित सांसद नहीं था। 24 सांसदों के पास तो डॉक्टरेट डिग्री थी। यहां तक कि 15वीं लोकसभा में स्नातक सांसद की संख्या में कमी आई और स्नातकोत्तर तथा उच्च डिग्री धारकों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है।
दागियों का भी रिकार्ड रहा
15वीं लोकसभा में 543 सांसदों में से 162 सांसदों के खिलाफ आपराधिक मामले थे। इन दागियों की फेहरिस्त में 76 सांसद ऐसे थे, जिनके खिलाफ हत्या, हत्या का प्रयास, अपहरण, डकैती जैसे संगीन अपराध लंबित चल रहे हैं। इसी लोकसभा में इन दागियों मेें दो सांसदों को अपनी सदस्यता भी गंवानी पड़ी हैं, जिसमें राजद प्रमुख लालू यादव चारा घोटाले में अदालत से दोषी करार दिया गया, जबकि कांग्रेस के रसीद मसूद को मेडिकल सीटों के आबंटन घोटाले में दोषी करार होने पर अपनी लोकसभा सदस्यता गंवानी पड़ी है।
19 सांसदों ने दिया इस्तीफा
पन्द्रहवीं लोकसभा में निर्वाचित 543 सांसदों में से 21 फरवरी तक किसी न किसी कारण से इस्तीफा देने वाले सांसदों की संख्या 19 रही है। कई सांसद विधानसभा का चुनाव जीतने और कुछ राज्यसभा सदस्य बन जाने के कारण इस्तीफा दे चुके हैं, तो कुछ संसद में हुई घटनाओं के कारण इस्तीफा देने को मजबूर हुए। इसके अलावा कई सांसद दिवंगत भी हुए हैं। इन कारणों से अंतिम समय में लोकसभा में 528 सांसद ही रह गये थे यानि 15 सांसदों के पद रिक्ती के रूप में दर्ज रहे।
13March-2014

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