रविवार, 23 मार्च 2014

बनारस सीट को लेकर असमंजस में कांग्रेस!

कर्ण सिंह हो सकते हैं मोदी के खिलाफ प्रत्याशी
ओ.पी. पाल

लोकसभा चुनाव में धार्मिकनगरी बनारस से चुनाव मैदान में भाजपा की ओर से पीएम उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी के आने से यह संसदीय सीट देश में सबसे हॉट सीट के रूप में देखी जा रही है, जहां मोदी को चुनौती देने के लिए उम्मीदवार तय करने के लिए कांग्रेस अभी तक असमंजस की स्थिति में है।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार कांग्रेस डा. कर्ण सिंह को मोदी को चुनौती देने के लिए बनारस से प्रत्याशी बना सकती है? कांग्रेस के सूत्रों की माने तो कांग्रेस बनारस लोकसभा सीट को बेहद गंभीरता से ले रही है और वहां ऐसे नेता को उम्मीदवार के रूप में लाना चाहती है,जिसकी छवि बेहद सम्मानजनक रूप में देखी जाती हो। ऐसे में कांग्रेस की नजरे राज्यसभा सांसद डा. कर्णसिंह पर है जिनकी नरम हिंदूवादी और बुद्धिजीवी की छवि भाजपा के वोट बैंक पर सेंधमारी कर सकती है। हालांकि ईमानदारी को स्वंभू प्रमाणपत्र लेकर राजनीति के मैदान में उछल-कूद कर रहे आम आदमी पार्टी के प्रमुख अरविंद केजरीवाल पहले ही नरेन्द्र मोदी को बनारस में चुनौती देने का दम भरने का दावा करते आ रहे हैं, जिन्हें 25 मार्च को बनारस में रायशुमारी करने जाना है। डा. कर्ण सिंह पर दावं खेलकर कांग्रेस भाजपा उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी को चित्त करने की फिराक में है, हालांकि कांग्रेस की मोदी को टक्कर देने उम्मीद कर्णसिंह की छवि पर टिकी हुई है, लेकिन लोकसभा चुनाव में मोदी के इस सीट पर आ जाने से बनारस सीट उस सियासी रण का मैदान बन गया है, जहां दिलचस्प मुकाबला होने की उम्मीद है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस ने अभी तक यूपी के इलाहाबाद और बनारस सीट के प्रत्याशी घोषित करने से पहले आप के अरविंद केजरीवाल के रूख को देखने का मन बनाया है, जिसके बाद पार्टी इन सीटों पर अंतिम निर्णय करेगी। इसके बावजूद कांग्रेस यह मानकर चल रही है कि साफ छवि और ख्याति प्राप्त शिक्षण संस्थानों से बेहद जुड़ाव रखने वाले डा. कर्ण सिंह ही ऐसे बेहतर प्रत्याशी हो सकते हैं जिन्हें बनारस में मध्यवर्ग और बुद्घिजीवियों का समर्थन मिल सकता है।
चार सीटें अभी खालीउत्तर प्रदेश की 80 सीटों में से कांग्रेस ने 8 सीटें रालोद और तीन सीटें महान दल के लिए छोड़ी हैँ, शेष 69 सीटों पर कांग्रेस अपने बलबूते पर चुनाव मैदान में है। कांग्रेस अभी तक यूपी में 65 प्रत्याशियों का ऐलान कर चुकी है, लेकिन चार सीटें अभी खाली हैं, जिनमें बनारस व इलाहाबाद भी शामिल हैं। इसके अलावा कांग्रेस ने अभी तक बदायूं व एटा के प्रत्याशी का भी ऐलान नहीं किया है, जहां समाजवादी पार्टी का वर्चस्व है। सूत्रों की माने तो कांग्रेस यूपी में सत्तारूढ समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव व उनकी बहू डिंपल यादव के खिलाफ उम्मीदवार खड़ा करने के मूड़ में नहीं है। कांग्रेस की उलझन लोकसभा चुनाव में कम नहीं है, जिसमें लोकसभा चुनाव में जहां कांग्रेस के कई दिग्गज मोदी का मुकाबला करने का दावा कर रहे हैं, लेकिनकांग्रेस में ही ऐसे नेताओं की भी भरमार है जिन्हें इन चुनावों में कांग्रेस की उम्मीदें तार-तार होती दिख रही है और वे चुनाव लड़ने से कतरा रहे है। कांग्रेस के ऐसे कई दिग्गज तो पार्टी हाईकमान की फटकार के बाद चुनाव मैदान में वापस लौटने के लिए मजबूर हुए हैं।
23March-2014

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