शुक्रवार, 7 मार्च 2014

चुनावी खर्च भी बनाएगा रिकार्ड!

50 हजार करोड़ से भी ज्यादा खर्च का अनुमान    लोकसभा चुनाव पर महंगाई की चोट!
ओ.पी.पाल
लोकसभा चुनाव में बहुत कुछ पहली बार देखने को मिलेगा, जिस पर महंगाई की मार भी पड़ना तय है। इसलिए इस बार चुनावी खर्च एक नया रिकार्ड खर्च कर सकता है। लोकसभा चुनाव में बढ़ाए गये खर्च के हिसाब से 543 सीटों के चुनाव पर इस बार 50 हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा चुनाव खर्च होने का अनुमान लगाया जा रहा है।
निर्वाचन आयोग भी मान चुका है कि किसी भी चुनाव में निर्धारित चुनावी खर्च से ज्यादा धन बहा जाता है, हालांकि चुनाव आयोग ऐसे खर्चो पर शिकंजा कसने की जुगत में लगा है। देश में बढ़ती महंगाई की चपेट में आम लोग और तीज-त्योहार ही नहीं बल्कि इस बार लोकतंत्र का महापर्व यानी लोकसभा चुनाव पर भी इसकी चोट साफ दिखाई देने वाली है। चुनाव का ऐलान होते ही अब पूरा देश चुनावी रंग में रंगने लगा है तो चुनावों में महंगाई का असर साफ देखने को मिलेगा। फिर भी अनुमान है कि इन आम चुनाव में खर्च 50 हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा रकम का आंकड़ा रिकार्ड बन सकता है। इस बार राजनीतिक दलों की मांग पर केंद्र सरकार ने चुनाव आयोग की सिफारिश पर वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव की के मुकाबले एक प्रत्याशी के चुनाव खर्च में करीब 180 प्रतिशत राशि का इजाफा कर दिया है। उस दौरान एक प्रत्याशी के लिए 25 लाख खर्च करने की सीमा थी, लेकिन इस बार इसे बढ़ाकर 70 लाख कर दिया गया है। चुनाव आयोग की तय सीमा के अनुसार पिछले लोकसभा चुनाव में 543 संसदीय सीटों के लिए चुनाव खर्च का अनुमान लोकसभा चुनाव की जंग में कूदने वाले प्रत्याशियों की संख्या पर निर्भर करेगा। वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव पर चुनाव आयोग के दर्ज रिकार्ड के अनुसार दस हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का अनुमान लगाया गया है। इतना ही यानि दस हजार करोड़ रुपये की रकम वर्ष 2012 में अकेले उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव पर आने का अनुमान लगाया गया है, जिसे अमेरिका में राष्टÑपति के लिए हुए चुनाव के खर्च के बराबर माना गया है। जबकि पिछले साल नवंबर-दिसंबर में होने वाले दिल्ली सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में भी लगभग 20 हजार करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। इस बार चुनाव खर्च की सीमा करीब 180 प्रतिशत बढ़ाने से लगभग एक प्रत्याशी के चुनाव खर्च की सीमा तीन गुणा से ज्यादा हो जाती है। राजनीतिकारों का मानना है कि इस बढ़ती महंगाई में इस हिसाब से पिछले चुनावों के खर्च में करीब पांच गुणा खर्च होने का अनुमान लगाया जा सकता है। चुनाव में आने वाले खर्च पर अनुसंधान करने वाली संस्था सेंटर फॉर मीडिया के प्रवक्ता की माने तो इस बार जो माहौल नजर आ रहा है उससे चुनावी खर्च के पिछले सभी रिकार्ड ध्वस्त होने वाले हैं।
पिछली दस लोकसभा चुनाव में खर्च का ब्यौरा
2009 - 10,000 करोड़
2004 - 4,500 करोड़
1999 - 3,200 करोड़
1995 - 2,100 करोड़
1991 - 650 करोड़
1989 - 359 करोड़
1984 - 154 करोड़
1980 - 81 करोड़
1978 - 54 करोड़
1971 - 23 करोड़
07Mar-2014

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