सबसे कम जम्मू-कश्मीर में वोट
नई नई दिल्ली।
चुनाव आयोग को इस बार लोकसभा चुनाव में की गई व्यवस्था के जरिए उम्मीद है कि मतदान का प्रतिशत निश्चत रूप से बढ़गा। पिछले यानि आम चुनाव 2009 में 58 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं ने अपने अधिकार का प्रयोग किया था। इसमें नागालैंड का सर्वाधिक तथा जम्मू-कश्मीर का सबसे कम मतदान प्रतिशत देखने को मिला था।
चुनाव आयोग ने चुनाव सुधार के लिए जितने भी जतन किये हैं उनसे वह इस उम्मीद के साथ चुनाव कराने जा रहा है कि मतदाता जागरूक होकर ज्यादा से ज्यादा मतदान में हिस्सा लेगा। इसके लिए आयोग ने बूथ स्तर तक चुनाव आयोग के प्रतिनिधियों को तैनात किया है, ताकि तत्काल मतदान केंद्र पर ही मतदाता की समस्या का हल कर दिया जाए। जहां तक वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में मतदान के रूझान का सवाल है उसमें उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात जैसे बड़े राज्यों में मतदाताओं का औसत 58.19 प्रतिशत के राष्ट्रीय औसत से कम रहा। बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में 47.78 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि बिहार में 44.46 प्रतिशत मतदान किया गया। जम्मू एवं कश्मीर में 39.68 प्रतिशत मतदान किया गया, जो सबसे कम था। गुजरात में 47.9 प्रतिशत तथा राजस्थान में 48.4 प्रतिशत मतदान किया गया। महाराष्ट्र में 50.71, झारखंड में 50.98 और मध्य प्रदेश में 51.16 प्रतिशत मतदान भी राष्ट्रीय औसत से कम माना गया है। पूर्वोत्तर राज्यों में मिजोरम(51.8 प्रतिशत) को छोड़कर मतदाताओं का औसत बहुत अच्छा रहा। सबसे अधिक मतदान नगालैंड में 89.99 प्रतिशत दर्ज किया गया। इसके बाद का स्थान त्रिपुरा(84.45 प्रतिशत) एवं सिक्किम(83.76 प्रतिशत) का रहा।पश्चिम बंगाल में भी 81.4 प्रतिशत मतदान हुआ जो अच्छा था। दक्षिणी राज्यों में भी मतदाताओं की उपस्थिति अच्छी रही। इनमें केरल में 73.36 प्रतिशत, तमिलनाडु में 73.03 प्रतिशत तथा आंध्र प्रदेश में 72.63 प्रतिशत मतदान किया गया। कर्नाटक में 58.81 प्रतिशत मतदान किया गया जो राष्ट्रीय औसत से कुछ अधिक रहा। केन्द्र शासित प्रदेशों में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में मतदान केवल 51.85 प्रतिशत किया गया जो राष्ट्रीय औसत से कम था। लक्षद्वीप में 85.9 प्रतिशत मतदान हुआ और इसका स्थान केन्द्र शासित प्रदेशों में पहला तथा समग्र रूप में दूसरा रहा था।
नई नई दिल्ली।
चुनाव आयोग को इस बार लोकसभा चुनाव में की गई व्यवस्था के जरिए उम्मीद है कि मतदान का प्रतिशत निश्चत रूप से बढ़गा। पिछले यानि आम चुनाव 2009 में 58 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं ने अपने अधिकार का प्रयोग किया था। इसमें नागालैंड का सर्वाधिक तथा जम्मू-कश्मीर का सबसे कम मतदान प्रतिशत देखने को मिला था।
चुनाव आयोग ने चुनाव सुधार के लिए जितने भी जतन किये हैं उनसे वह इस उम्मीद के साथ चुनाव कराने जा रहा है कि मतदाता जागरूक होकर ज्यादा से ज्यादा मतदान में हिस्सा लेगा। इसके लिए आयोग ने बूथ स्तर तक चुनाव आयोग के प्रतिनिधियों को तैनात किया है, ताकि तत्काल मतदान केंद्र पर ही मतदाता की समस्या का हल कर दिया जाए। जहां तक वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में मतदान के रूझान का सवाल है उसमें उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात जैसे बड़े राज्यों में मतदाताओं का औसत 58.19 प्रतिशत के राष्ट्रीय औसत से कम रहा। बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में 47.78 प्रतिशत मतदान हुआ, जबकि बिहार में 44.46 प्रतिशत मतदान किया गया। जम्मू एवं कश्मीर में 39.68 प्रतिशत मतदान किया गया, जो सबसे कम था। गुजरात में 47.9 प्रतिशत तथा राजस्थान में 48.4 प्रतिशत मतदान किया गया। महाराष्ट्र में 50.71, झारखंड में 50.98 और मध्य प्रदेश में 51.16 प्रतिशत मतदान भी राष्ट्रीय औसत से कम माना गया है। पूर्वोत्तर राज्यों में मिजोरम(51.8 प्रतिशत) को छोड़कर मतदाताओं का औसत बहुत अच्छा रहा। सबसे अधिक मतदान नगालैंड में 89.99 प्रतिशत दर्ज किया गया। इसके बाद का स्थान त्रिपुरा(84.45 प्रतिशत) एवं सिक्किम(83.76 प्रतिशत) का रहा।पश्चिम बंगाल में भी 81.4 प्रतिशत मतदान हुआ जो अच्छा था। दक्षिणी राज्यों में भी मतदाताओं की उपस्थिति अच्छी रही। इनमें केरल में 73.36 प्रतिशत, तमिलनाडु में 73.03 प्रतिशत तथा आंध्र प्रदेश में 72.63 प्रतिशत मतदान किया गया। कर्नाटक में 58.81 प्रतिशत मतदान किया गया जो राष्ट्रीय औसत से कुछ अधिक रहा। केन्द्र शासित प्रदेशों में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में मतदान केवल 51.85 प्रतिशत किया गया जो राष्ट्रीय औसत से कम था। लक्षद्वीप में 85.9 प्रतिशत मतदान हुआ और इसका स्थान केन्द्र शासित प्रदेशों में पहला तथा समग्र रूप में दूसरा रहा था।
13March-2014
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