शुक्रवार, 14 मार्च 2014

हर सीट पर बढ़े हैं 25 प्रतिशत प्रत्याशी

राजनीतिक दलों की संख्या डेढ़ हजार पार
ओ.पी. पाल

लोकतंत्र में राजनीति का दायरा जिस कदर बढ़ता जा रहा है कि मौजूदा लोकसभा चुनाव के लिए डेढ़ हजार से भी ज्यादा राजनीतिक दल सामने आ चुके हैं। उसी तरह संसदीय चुनाव में प्रथम चुनाव के मुकाबले पिछले लोकसभा चुनाव तक हर सीट पर औसतन 25 प्रतिशत उम्मीदवारों की संख्या बढ़ी है।
दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश में चुनाव महासंग्राम में राजनीतिक दलों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। जहां तक राजनीतिक दलों की संख्या का सवाल है उसमें होने जा रहे लोकसभा के परिदृश्य में छह राष्टÑीय और 47 क्षेत्रीय दलों समेत कुल 1616 राजनीतिक दल सामने हैं, इनमें 1563 दल गैर पंजीकृत हैं। जबकि वर्ष 2004 के चुनाव में दलों की यह संख्या 764 थी, जबकि वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में यह संख्या बढ़कर 1060 हो गई थी, जिनमें राष्ट्रीय दलों की संख्या सात और क्षेत्रीय दलों की संख्या 39 थी। हालांकि राष्ट्रीय दलों समेत वर्ष 2004 में केवल 215 और वर्ष 2009 के चुनाव में ३६३ दलों ने ही चुनावी महासमर में हिस्सेदारी की थी।
निर्वाचन आयोग के आंकड़ों पर नजर दौड़ाये तो हरेक लोकसभा सीट पर प्रत्याशियों की संख्या में लगातार इजाफा होता जा रहा है। वर्ष 1952 के प्रथम लोकसभा चुनाव के लिए 489 सीटों के लिए 1874 उम्मीदवार मैदान में थे, जो औसतन 4.67 प्रति सीट रहे। वर्ष 1957 में 494 सीटों पर 1519 उम्मीदवारों की संख्या घटकर प्रति सीट औसतन 3.77 रह गई। यहां तक कि वर्ष 1977 के छठे संसदीय चुनाव तक प्रत्येक लोकसभा सीट के लिए औसतन 3 से 5 प्रत्याशी ही चुनाव मैदान में होते थे। लोकसभा सीटों पर वर्ष 1971 के चुनाव से प्रत्याशियों का आंकड़ा बढ़ने लगा और वर्ष 1980 लोकसभा की 542 सीटों पर चुनाव कराया गया, जिसमें प्रत्याशियों की यह औसत संख्या प्रति सीट 8.75 रही। इसके बाद प्रत्याशियों की संख्या प्रति सीट बढ़ती चली गई और वर्ष 1996 के चुनाव में 543 लोकसभा सीटों के लिए 13,952 उम्मीदवारों ने अपनी किस्मत आजमाई यानि यह औसत 25.69 प्रत्याशी प्रति सीट तक पहुंच गया।
जमानत राशि ने लगाई लगाम
चुनाव आयोग ने बढ़ती प्रत्याशियों की संख्या पर अंकुश लगाने की दिशा में नामांकन के लिए जमानत राशि 500 रुपए से बढ़कार 10 हजार की, तो उसका असर वर्ष 1998 के लोकसभा चुनाव में दिखा और यह संख्या घटकर औसतन 8.75 तक आ गई। लेकिन इसका असर ज्यादा दिनों तक नहीं रहा और वर्ष २००४ के चुनाव में 543 संसदीय सीटों के लिए 5435 ने चुनाव लड़ा, यह संख्या औसतन प्रति सीट दस प्रत्याशी थी। पिछले यानि वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में 8070 प्रत्याशी आमने-सामने थे, जिनका प्रति सीट औसत 14.86 प्रत्याशी हो गया।
एक सीट से निर्वाचित हुए दो व तीन सांसद
वर्ष 1957 के लोकसभा चुनाव में मतदाताओं ने एक सीट से दो और तीन सांसदों को चुनकर संसद भेजा था। चुनाव आयोग के आंकड़ों से पता चलता है कि पश्चिम बंगाल एक संसदीय सीट ऐसी थी, जहां से तीन सांसद निर्वाचित हुए। जिन सीटो से दो-दो सांसद चुने गये थे उन सीटों पर देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और फिरोज गांधी भी चुनाव जीते थे। ऐसी दोहरी संसदीय सीट में सर्वाधिक 17 संसदीय क्षेत्र उत्तर प्रदेश में थे। इसके बाद मद्रास में 13, मुंबई में 8, मध्यप्रदेश और पश्चिम बंगाल में 6-6, हैदराबाद में चार, पंजाब में 3, असम, बिहार, मध्य भारत, मैसूर, राजस्थान, विंध्य प्रदेश में 2-2 और पटियाला, दिल्ली, कोचिन, हिमाचल प्रदेश में 1-1 संसदीय क्षेत्र दोहरी सीटों में शुमार थे।
14March-2014

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