शनिवार, 8 मार्च 2014

सत्ता संग्राम: सरकार से चुनाव आयोग खफा

आयोग ने केंद्र सरकार से फिर ओपिनियन पोल पर रोक लगाने के लिए कहा
हरिभूमि ब्यूरो. नई दिल्ली
 चुनाव पूर्व सर्वे करने वाली संस्थाओं पर कार्यवाही के मामले में बार-बार अनुरोध के बावजूद केंद्र सरकार द्वारा कोई दिलचस्पी न लेने से निर्वाचन आयोग खफा नजर आ रहा है। चुनाव आयोग ने शुक्रवार को एक बार फिर कानून मंत्रालय से ओपिनियन पोल यानी चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों पर रोक लगाने के मुद्दे पर अंतिम निर्णय करने का अनुरोध किया है। चुनावों की घोषणा से एक दिन पहले भी चुनाव आयोग ने कांग्रेस के एक नेता की शिकायत पर केंद्र सरकार के कई संबन्धित मंत्रालयों के सचिवों और प्रेस परिषद के साथ दिल्ली पुलिस आयुक्त को भी पत्र लिखे थे। चुनाव आयोग के सूत्रों का कहना है कि लगता है कि ओपिनियन पोल पर पर रोक लगाने के मामले में सरकार की कोई दिलचस्पी नहीं रह गई है। सूत्रों की माने तो केंद्र ने इस मामले को विधि आयोग के सुपुर्द कर दिया है जो चुनाव सुधार मुद्दों पर रिपोर्ट देता रहा है।   
रविवार तक मतदाता सूची में नाम दर्ज कराएं
लोकसभा चुनाव में मतदान करने के इच्छुक लोगों के पास मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज कराने के लिए रविवार तक समय है। चुनाव आयोग ने राज्यों एवं केंद्र शासित राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों से कहा है कि नौ मार्च को मतदान केंद्रों पर विशेष शिविर लगाया जाए, ताकि इससे पहले से पंजीकृत मतदाताओं व नए मतदाताओं को मदद मिल सके। पंजीकृत मतदाता नाम व पते के ब्यौरे की जांच कर सकते हैं तो नए ‘फॉर्म-6’ भरकर पंजीकरण करवाएं। मौजूदा कानून में यह: चुनाव आयोग को मौजूदा कानून के मुताबिक केवल मतदान के 48 घंटे पहले आपिनियन पोल पर रोक लगाने की इजाजत है। जबकि आयोग का प्रस्ताव है कि चुनाव की अधिसूचना जारी होने के दिन से लेकर चुनावों के लिए अंतिम चरण का मतदान होने तक ओपिनियन पोल रोक लगे।
08March-2014

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