मंगलवार, 23 अगस्त 2016

राजनीतिक पार्टियों को मिली बड़ी राहत, खत्म नहीं होगी आयकर छूट

सरकार ने खारिज किए ऐसे सुझाव
नई दिल्ली
केंद्र सरकार ने लगातार राजनीतिक दलों को मिल रही आयकर छूट को खत्म करने के सुझावों को एक तरफा खारिज करते हुए कहा कि देश में राजनीतिक गतिविधियों को प्रोत्साहित करने और लोकतंत्र के हित में आयकर छूट को खत्म नहीं किया जा सकता है।
केंद्र सरकार ने पिछले कई साल से केंद्रीय सूचना आयोग के जारी निर्देशों और चुनाव सुधार के लिए काम करने वाले कुछ गैर सरकारी संगठन लगातार राजनीतिक दलों को मिलने वाली आयकर छूट को खत्म करने और इन दलों को आरटीआई के दायरे में लाने की मांग करते आ रहे हैं। ऐसे ही आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष अग्रवाल के ऐसे सुझाव को खारिज करते हुए वित्त मंत्रालय ने कहा कि राजनीतिक संस्थान किसी भी लोकतंत्र के आधारशिला हैं। आयकर अधिनियम-1961 के 13ए, 80जीजीबी और 80जीजीसी में शामिल प्रावधान ऐसे संस्थानों को प्रोत्साहित और सशक्त बनाने की मंशा से तैयार किए गए हैं।
सीआईसी ने दिया था तर्क
देश में छह राष्ट्रीय राजनीतिक दल हैं। इनमें कांग्रेस, भाजपा, बसपा, राकांपा, भाकपा और माकपा को केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) के एक आदेश के तहत सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के दायरे में लाया गया था। सीआईसी ने इसके लिए तर्क दिया था कि राजनीतिक दलों को सब्सिडी और कर छूट के रूप में सरकार से अप्रत्यक्ष फंडिंग प्राप्त होती है।
दो साल में 1381 करोड़ की कर छूट
गौरतलब है कि सूचना के अधिकार के तहत हुए खुलासे में यह तथ्य सामने आये थे कि वर्ष 2012-13 और 2013-14 यानि दो वर्षों में देश के 13 बड़े राजनीतिक दलों की करमुक्त आय 1381 करोड़ रुपये तक पहुंची है। इसमें भाजपा और कांग्रेस की संयुक्त भागीदारी तकरीबन 80 फीसद तक है। इसका कारण साफ था कि आयकर अधिनियम-1961 की धारा 13ए के तहत राजनीतिक दलों को आय पर कर छूट का लाभ मिलता है। हालांकि 20 हजार से ज्यादा के चंदे या आय का लेखा-जोखा पार्टियों को रखना होता है।
23Aug-2016

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