शुक्रवार, 5 अगस्त 2016

जीएसटी:खत्म नहीं हुई कानून लागू करने की चुनौतियां!

राज्यों की मंजूरी पर निर्भर हुआ केंद्र सरकार का काम
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश में आर्थिक सुधारों को पंख लगाने की दिशा में भले ही वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से जुडे संविधान संशोधन विधेयक पर राज्यसभा की मुहर लग गई हो, लेकिन इसे देश में लागू करने हेतु केंद्र सरकार को अभी कई चुनौतियों से गुजरना होगा। हालांकि आगामी एक अप्रैल से देश में जीएसटी लागू करने के लक्ष्य पर सरकार ने तैयारियां शुरू कर दी हैं।
बहुचर्चित जीएसटी के संविधान संशोधन को संसद के उच्च सदन में मंजूरी मिलते ही केंद्र सरकार ने इसे आगमी एक अप्रैल से देश में जीएसटी कानून लागू करने की दिशा में आगे बढ़ना शुरू कर दिया है। आजादी के बाद पहली बार आर्थिक सुधारों पर आया यह ऐतिहासिक कानून पिछले करीब 16 साल से सियासी गलियों के अंधेरे में गुमानामी से बाहर आने की बाट जोह रहा था। वित्त मंत्रालय के अनुसार इस लक्ष्य के मद्देनजर केंद्र सरकार का हरसंभव प्रयास होगा कि संसद आगामी शीतकालीन सत्र में जीएसटी कानून का पारित करा लिया जाये। मसलन केंद्र सरकार ने जीएसटी विधेयक को संसद में लाने के लिये संसद से पारित हुए संविधान संशोधन विधेयकों की देश के कम से कम 50 फीसदी राज्यों की मंजूरी का इंतजार रहेगा, जो किसी चुनौती से कम नहीं है। वहीं जीएसटी कानून बनाने के बाद भी सभी राज्यों में इसके अमल के लिए जरूरी तंत्र स्थापित करना और उसका प्रशिक्षण देना भी सरकार की अग्निपरीक्षा माना जा रहा है। ऐसे में अधिकारियों और पूरे तंत्र के साथ-साथ कारोबारियों को कानून की पेचिदगियां के अनुरूप ढालने के लिए भी समय चाहिए। हालांकि केंद्र सरकार ने जीएसटी की तैयारी के लिये प्रशिक्षित 60 हजार कर्मचारियों को जारी काम में तेजी लाने के लिये लगा दिया है, चूंकि केंद्र को उम्मीद है कि राज्यों से संसद के शीतकालीन सत्र से पहले जीएसटी के संशोधनों को मंजूरी मिल जाएगी।
ऐसे बनेगा जीएसटी कानून
संसद की मंजूरी के साथ ही जीएसटी के इस संविधान संशोधन को 29 में से कम से कम 16 राज्यों की विधानसभाओं की मंजूरी चाहिए। इसके बाद राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के उपरांत केंद्र सरकार को केंद्र और राज्य के लिए दो अलग-अलग जीएसटी से जुड़े कानून बनाने होंगे। इसके अलावा सरकार जल्द ही गठित होने वाली जीएसटी परिषद केन्द्रीय जीएसटी, अंतर्राज्यीय जीएसटी और राज्य जीएसटी विधेयकों के प्रारूप तैयार करेगी। इस प्रक्रिया के बाद केंद्रीय जीएसटी विधेयक संसद में और राज्य जीएसटी विधेयक संबन्धित राज्यों की विधानसभाओं में पारित कराने होंगे, जिन पर राष्ट्रपति की मंजूरी मिलते ही सरकार देशभर में जीएसटी कानून को लागू कर पाएगी। इस प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए केंद्र सरकार ने हालांकि सबसे पहले सूचना प्रौद्योगिकी इंफ्रास्ट्रक्चर और लीगल फ्रेमवर्क तैयार किया है, जिसके तहत वह जल्द जीएसटी परिषद् का गठन कर सके।
प्रक्रियाओं को पूरा कराना कठिन डगर 
देश में तय किये गये वित्तीय वर्ष से जीएसटी लागू करने के लिए सरकार के सामने प्रमुख चुनौतियों में जल्द से जल्द 50 फीसदी राज्य विधानसभाओं मंजूरी हासिल करने और फिर राज्य और केंद्र के लिए अलग जीएसटी कानून पारित कराना शामिल है। यही नहीं वस्तुओं की पहचान के साथ जीएसटी की दरों को तय करने पर भी आम सहमति बनाना आसान काम नहीं है, हालांकि यह काम परिषद के जिम्मे होगा। मसलन इन प्रक्रियाओं को केंद्र सरकार को इन सभी प्रक्रियाओं को पूरा करते हुए अगले वित्तीय वर्ष यानि अप्रैल से पहले ही राज्यों में जीएसटी के लिए सिस्टम बनाने की बड़ी चुनौती माना जा रहा है। मसलन देश में जीएसटी लागू होने के लिए न केवल अभी देश की पचास फीसदी विधानसभाओं से इस संविधान संशोधन विधेयक पर मुहर लगवाने की दरकार है, बल्कि अगले छह महीने के भीतर केंद्र और राज्यों को अपना-अपना जीएसटी बिल तैयार कर उसे क्रमश: संसद और संबंधित विधानसभाओं से पारित करवाना भी आवश्यक है। जानकारों की माने तो केंद्र सरकार के लिये जीएसटी की डगर आसान नहीं है, लेकिन मुश्किल चुनौतियों में असंभव भी नहीं कही जा सकती, बेशर्ते सियासी रणनीतियां हावी न हों।
सियासत के फेर में मुश्किलें
आर्थिक विशेषज्ञ मान रहे हैं, कि जिस प्रकार सालो तक यह कानून सियासत के चक्रव्यूह में फंसा रहा है उसकी आंच इसकी अगली प्रक्रियाओं में भी बाधक बन सकती हैं। इसलिये केंद्र की केंद्र की राजग सरकार का प्रयास होगा कि जिन राज्यों में भाजपा अथवा सहयोगी दलों की सरकार है, वहां इस काम को जल्द से जल्द करा लिया जाए। इससे विपक्षी दल शासित राज्यों पर भी दबाव बनेगा। फिलहाल 11 राज्यों में भाजपा की अपनी सरकार है। इसके अलावा के जिन विपक्षी दलों जीएसटी को समर्थन दिया है उनकी राज्य सरकारों से तेजी लाने के लिये सरकार ने बातचीत शुरू कर दी है। दरअसल उत्तर प्रदेश, पंजाब और उत्तराखंड में अगले साल के चुनावों के लिए बढ़ती सियासत सरकार के लक्ष्य को बिगाड़ सकती है, जहां चुनावों से पहले संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी न मिली तो फिर ऐसे राज्यों में विधानसभा चुनाव के बाद ही इस प्रक्रिया को अंजाम दिया जा सकेगा। इसलिये केंद्र की चिंता इस बात की है कि यदि ऐसा हुआ तो एक अप्रैल से जीएसटी कानून लागू करने के लक्ष्य अधर में रह जाएगा।
जीएसटी लागू से क्या होगा फायदा?
गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स केंद्र और राज्यों के 20 से ज्यादा अप्रत्यक्ष करों की जगह लेगा। इसके लागू होने पर एक्साइज, सर्विस टैक्स,एडिशनल कस्टम ड्यूटी, वैट, सेल्स टैक्स, मनोरंजन कर, लक्जरी टैक्स और आॅक्ट्रॉय एंड एंट्री टैक्स जैसे कई टैक्स खत्म हो जाएंगे। पूरे देश में एक समान टैक्स लागू होने से कीमतों का अंतर घटेगा। हालांकि पैट्रोल, डीजल, शराब और तंबाकू पर लगने वाले टैक्स में कोई बदलाव नहीं होगा और ये जीएसटी कानून के दायरे में नहीं होंगे। सरकार और उद्योग जगत दोनों का ही मानना है कि जीएसटी लागू होने से पूरे देश में कारोबार करना आसान होगा, जिससे जीडीपी में कम से कम दो फीसदी की बढ़ौतरी हो सकती है।
संविधान में करने पडे बड़े बदलाव
मोदी सरकार को लोकसभा में पहले से ही पारित जीएसटी को राज्यसभा में पारित कराने के लिए विपक्षी दलों से बनी सहमति के बाद जीएसटी से जुड़ इस संविधान (122वें संशोध) विधेयक में कुछ बड़े बदलाव करने के लिए मजबूर होना पड़ा है। इन बदलाव में प्रमुख रूप से हुए बदलाव इस प्रकार हैं।
-एक फीसदी अतिरिक्त कर हटाने का प्रस्ताव होगा। मूल विधेयक में मैन्युफैक्चरिंग राज्यों को फायदा पहुंचाने के मकसद से 3 सालों तक राज्यों के बीच होने वाले व्यापार पर एक फीसदी की दर से एक प्रतिशत अतिरिक्त टैक्स लगाने का प्रस्ताव को हटाया गया है।
-सरकार ने जीएसटी के मूल प्रावधान में पहले 3 साल तक 100 फीसदी, चौथे साल में 75 फीसदी और पांचवे साल में 50 फीसदी भरपाई के प्रस्ताव के बजाय अब राज्यों को किसी भी तरह के नुकसान की सूरत में पांच सालों तक शतप्रतिशत मुआवजा देने का निर्णय किया है।
-विवाद सुलझाने की नई व्यवस्था बनेगी जिसमें राज्यों की आवाज बुलंद होगी। जीएसटी के मूल मसौदे में विवाद सुलझाने की मतदान पर आधारित व्यवस्था में अब दो तिहाई मत राज्यों और एक तिहाई केंद्र के पास होगा।
-विधेयक में एक नए प्रस्ताव के जरिए जीएसटी दर का ऐसा मूल सिद्धांत लाया जाएगा, जो राज्यों के साथ-साथ आम लोगों को नुकसान नहीं होने का भरोसा देगा।
05Aug-2016

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