मंगलवार, 30 अगस्त 2016

अब रैंकिंग तय करेगी हाईवेज की गुणवत्ता!

हाइवे यूजर सेटिस्फेक्शन इंडेक्स बनाने की योजना
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
देश में राष्ट्रीय राजमार्ग पर सफर करने वालों की संतुष्टि के लिए केंद्र सरकार जल्द ही ‘हाइवे यूजर सेटिस्फेक्शन इंडेक्स’ विकसित करने की योजना बना रही है, ताकि राष्ट्रीय राजमार्गो को रैंकिंक दी जा सके।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि मंत्रालय में राष्ट्रीय राजमार्गों को रैंकिंग देने के लिए एक हाइवे यूजर सेटिस्फेक्शन इंडेक्स को विकसित करने पर काम चल रहा है। इसका मकसद देश में राष्ट्रीय राजमार्गो के आधुनिक विकास और उसके विस्तार की जारी योजनाओं की गुणवत्ता और आसान सफर की जांच परख की जा सके। इसके लिए सरकार हाइवे का उपयोग करने वालों की संतुष्टि के लिए बुनियादी ढांचे पर आगे बढ़ना चाहती है। मंत्रालय के सूत्रों की माने तो नीति आयोग के साथ हाल ही में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक बैठक में बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए ऐसा सुझाव दिया था, जिस पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने गंभीरता से विचार करते हुए इसके लिए मंत्रालय में काम को आगे बढ़ाना शुरू कर दिया है और नीति आयोग के इस फैसले पर मंत्रालय आगामी नवंबर तक एक हाइवे यूजर सेटिस्फेक्शन इंडेक्स तैयार कर लेगा। पहली रैंकिंग इस वर्ष के अंत तक पेश की जाएगी।
राज्यों में बढ़ेगी स्पर्धा
मंत्रालय के अनुसार नीति आयोग के इस फैसले को अमलीजामा पहनाने के लिए मंत्रालय में इस इंडेक्स की तैयारी के साथ ही हाईवे उपयोगकर्ताओं से फीडबैक लेने के लिए आने वाले एक सप्ताह के भीतर ही एक मोबाइल एप्लिकेशन को भी विकसित किया जाएगा। सरकार का मानना है कि नेशनल हाइवेज की रैंकिंग होने पर राज्यों के बीच अपने नेशनल हाइवेज में सुधार करने के लिए स्पर्धा बनेगी, ताकि हर राज्य अपने राज्य में राजमार्ग की बेहतर रैंकिंक रखने का प्रयास करेगा। मंत्रालय के अनुसार राष्टÑीय राजमार्गो का इस्तेमाल करने से संबंधित लोगों की संतुष्टि में सुधार आगामी ट्रांसपॉर्टेशन पॉलिसी का हिस्सा होगा। इसमे लोगों की हाइवे पर यात्रा के अनुभव और ट्रक चालकों के फ्रेट ट्रांसपॉर्टेशन अनुभव पर फोकस किया जाएगा।
इंडेक्स के दायरे में होंगे ये पैरामीटर
सूत्रों के अनुसार सरकार की इस योजना की पहली रैंकिंग इस वर्ष के अंत तक पेश की जाएगी। हाइवे रैंकिंग इंडेक्स में रोड की क्वालिटी, ई-टोलिंग की उपलब्धता, हाइवेज पर हरियाली, सड़कों पर रुकावटें, सड़क के किनारे टॉयलट, पीने के पानी की सुविधाएं और टोल प्लाजा पर लगने वाले समय जैसे पैरामीटर होंगे। इसमें सुरक्षा के पहलू का भी ध्यान रखा जाएगा, जिससे सड़क दुर्घटनाओं और मृत्यु की संख्या को कम किया जा सके।
सोशल मीडिया पर हाइवे इंडिया
सूत्रों के अनुसार नीति आयोग सड़क मंत्रालय से देश के सभी राष्ट्रीय राजमार्गो की सड़कों की गुणवत्ता और रोड एसेट मैनेजमेंट सिस्टम पर भी नजर रखने का सुझाव देते हुए एक थर्ड पार्टी एजेंसी का गठन करने को भी कहा है। वहीं पीएम मोदी के सुझाव पर इस योजना के तहत ‘हाइवे इंडिया’ नाम से एक अलग प्रकोष्ठ बनाया है, जो हाइवे एक्स्पीरियंस में सुधार करने पर ध्यान देगा। मंत्रालय द्वारा एक लोगो भी डिजाइन के तहत ‘हाइवे इंडिया’ कॉन्सेप्ट ट्विटर और फेसबुक के जरिए सोशल मीडिया पर लोकप्रिय बनाया जा रहा है। इस कॉन्सेप्ट को लेकर टोल प्लाजा पर होर्डिंग लगाने की भी योजना है।
गुणवत्ता पर सवालों का जवाब
मंत्रालय के सूत्रों की माने तो सरकार द्वारा देश में सड़कों का जाल बिछाने के लिए उसी गुणवत्ता और सुरक्षित डिजाइन पर कोई सवाल उठने से दूर रहना चाहती है। दरअसल देश में हाल के समय इस बात पर बहस चल रही है कि यदि सड़क की गुणवत्ता खराब है और सड़क सुरक्षित नहीं है तो उस पर सफर करने वालों से टोल टैक्स नहीं वसूलना चाहिए। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने भी पिछले दिनों इसी प्रकार की टिप्पणी की थी कि खराब सड़क पर कोई टोल नहीं वसूला जाना चाहिए और सरकार को इस टिप्पणी के कारण दिल्ली-जयपुर हाइवे पर टोल में की गई बढ़ोतरी को वापस लेने के लिए मजबूर होना पड़ा था।
30Aug-2016

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