बुधवार, 31 अगस्त 2016

परिवहन व्यवस्था दुरस्त करने की कवायद तेज!

वाहन निर्माण में गुणवत्ता से नहीं होगा समझौता
अब रैंकिंग तय करेगी हाईवेज की गुणवत्ता!
ओ.पी. पाल. नई दिल्ली।
केंद्र सरकार देश की परिवहन व्यवस्था को बेहतर और सुरक्षित बनाने की कवायद में जुटी हुई है। इसमें पर्यावरण संरक्षण की दिशा में अगले साल एक अप्रैल से वाहनों के उत्सर्जन में प्रदूषक तत्वों की मात्रा से जुडे र्इंधन मानक बीएस-4 लागू करना चाहती है। इसलिए वाहन निर्माताओं से कहा गया है कि वाहन की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय जल्दी ही गाड़ियों के उत्सर्जन में प्रदूषक तत्वों की मात्रा से संबंधित बीएस-4 मानक के लिए अधिसूचना जारी करने की तैयारी में है। सड़कों पर दौड़ते वाहनों से बढ़ते प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी सरकार को दलील देते हुए केंद्र सरकार से 2021 तक बीएस-6 मानक लागू करने के प्रयास करने की बात कह चुका है। इसी मकसद से केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने मंगलवार को भारतीय वाहन कलपुर्जा विनिमार्ता संघ (एक्मा) की वार्षिक बैठक में बोलते हुए सरकार की मंशा को जाहिर किया। गडकरी ने ‘मेक इन इंडिया’ और ‘मेड इन इंडिया’ अभियान को मोदी सरकार की प्राथमिकता बताते हुए कहा कि वे ऐसे ही मानकों के आधार पर गुणवत्ता को केंद्रित करते हुए वाहनों का निर्माण करें। उन्होंने कहा कि इन अभियान के जरिए देश में फिलहाल 4.5 लाख करोड़े के वाहन उद्योग को अगले दस साल में 20 लाख करोड़ रुपये पर पहुंचाने का लक्ष्य है। गडकरी ने कहा कि वाहन कारोबार में भारत दुनिया में अव्वल बनने की क्षमता है, जो वाहन उद्योग में हुई 8 प्रतिशत की वृद्धि इसका संकेत है, जिसका निर्यात 70 हजार करोड़ रुपये का रहा है।
निर्यात के साथ बढ़ेगा रोजगार
केंद्रीय मंत्री गडकरी ने वाहन विनिमार्ताओं से शोध एवं नवोन्मेषण पर जोर देने तथा गुणवत्ता के साथ समझौता नहीं करने का आव्हान किया। उन्होंने कहा कि सरकार का लक्ष्य ऐसी आर्थिक नीतियां बनाने की है, जिनमें रोजगार बढ़ाने की क्षमता हो। रोजगार संभावना बढ़ाने के लिए हमें निर्यात बढ़ाना होगा। गडकरी ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत में पंजीकृत पेंटट की संख्या अमेरिका और चीन से काफी कम है, जिससे पता चलता है कि उद्योग शोध और नवोन्मेषण के मामले में पीछे है। इसलिए वाहन निर्माण की गुणवत्ता और क्षमता को बढ़ाने के लए नवोन्मेषण और शोध महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। गौरतलब है कि इस समय केवल देश के उत्तरी राज्यों और बाकी क्षेत्रों के तीन दर्जन से ज्यादा शहरों में ही बीएस-4 ईंधन की आपूर्ति हो रही है, जबकि बाकी देश में बीएस-3 ग्रेड μयूल दिया जा रहा है। सरकार के लक्ष्य में एक अप्रैल 2017 से पूरे देश में बीएस-4 ग्रेड μयूल मुहैया कराने का है।
बीएस-6 मानक का लक्ष्य
मंत्रालय के अनुसार सरकार ने गाड़ियों के प्रदूषण की रोकथाम के लिए एक अप्रैल 2020 से बीएस-5 (भारत मानक) के बजाय सीधे बीएस-छह लागू करने का लक्ष्य तय किया है। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी की अध्यक्षता में पहले ही केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, भारी उद्योग मंत्री अनंत गीते और पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के साथ हो चुकी बैठक में ऐसा फैसला किया जा चुका है। हालांकि वाहन निमार्ता कंपनियों के संगठन सियाम ने एक अप्रैल 2020 से बीएस-6 मानक लागू करने वाले सरकार के इस फैसले को अव्यवहारिक करार दिया है। इस संगठन का कहना है कि तकनीक वाहन निमार्ता कंपनियां नहीं, बल्कि यह सॉल्यूशन टेक्नोलॉजी प्रदाताओं द्वारा तैयार किया जाता है। वाहन निर्माता चाहते हैं कि सरकार को पहले वर्ष 2019 से बीएस-5 मानक लागू करने के फैसले पर पुनर्विचार करना चाहिए।31Aug-2016

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