सोमवार, 15 अगस्त 2016

नमामि गंगे मिशन: ‘जल ग्राम योजना’ पर आगे बढ़ी सरकार

जल संरक्षण में बढ़ेगी ग्राम पंचायतों की भागीदारी ओ.पी. पाल. नई दिल्ली। केंद्र सरकार की नमामि गंगे परियोजना के तहत जनभागीदारी के साथ ग्राम पंचायतों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए ‘जल ग्राम योजना’ के विस्तार करते हुए 1030 गांवों को ‘जल ग्राम’ के रूप में विकसित करने के लिये चयनित कर लिया गया है, जिनमें सुजलम कार्ड के रूप में ऐसे गांव को एक जल स्वास्थ्य कार्ड देने की योजना है। केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा सरंक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने इस साल के शुरूआत में नमामि गंगे परियोजना में जनभागीदारी को सुश्चित करने के लिए देश 674 जिलों में कुल 1348 गांवों को जल ग्राम के रूप में विकसित करने का लक्ष्य तय किया था, जिनमें डा. अम्बेडकर जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में 100 गांव अनुसुचित जाति एवं जनजाति बाहुल्य को इस दायरे में शामिल करने का निर्णय लिया था। अभी तक जल ग्राम के रूप में चुने गये 1001 गांवों का विस्तार करते हुए 1030 गांव इस दायरे में लाने के लिये चयनित कर लिये गये हैं। जल ग्राम योजना का मकसद हे कि देश में आजादी के करीब 70 वर्ष बाद भी देश में जल संरक्षण एवं प्रबंधन की कमी, पेयजल सुविधाओं के अभाव, बढ़ते प्रदूषण से निपटने के लिए गंगा एवं अन्य नदियों के किनारे बसे 1030 गांवों का विकसित करना है, जहां ह्यसुजलम कार्डह्ण के रूप में एक जल स्वास्थ्य कार्ड’ तैयार करने की भी योजना है। मंत्रालय के अनुसार 2015-16 के दौरान जल संरक्षण एवं प्रबंधन को सुदृढ़ बनाने के लिए सभी पक्षकारों को शामिल करते हुए एक व्यापक एवं एकीकृत दृष्टिकोण से ‘जल क्रांति अभियान’ को आगे बढ़ाया जा रहा है, ताकि यह एक जन आंदोलन बन सके। सरकार का मानना है कि तेजी से बढ़ती जनसंख्या तथा तेजी से विकास कर रहे राष्ट्र की बढ़ती आवश्यकताओं के साथ जलवायु परिवर्तन के संभावित प्रतिकूल प्रभाव के मद्देनजर जल की प्रति व्यक्ति उपलब्धता प्रति वर्ष कम होती जा रही है। जल क्रांति अभियान का आधार मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार इन जल ग्रामों में महिला पंचायत सदस्यों को जल मित्र बनने के लिए प्रोत्साहित करने का कार्य आगे बढ़ाया जाएगा। प्रत्येक जल ग्राम में सुजलम कार्ड के रूप में ‘एक जल स्वास्थ्य कार्ड’ तैयार किया जाएगा, जो गांव के लिए उपलब्ध पेयजल स्रोतों की गुणवत्ता के बारे में वार्षिक सूचना प्रदान करेगा। जल ग्राम योजना के तहत जल ग्राम का चयन इसके कार्यान्वयन के लिए गठित जिला स्तरीय समिति द्वारा किया जाएगा। प्रत्येक गांव को एक इंडेक्स वैल्यू प्रदान किया जाएगा, जो जल की मांग और उपलब्धता के बीच अंतर के आधार पर तैयार होगा और सबसे अधिक इंडेक्स वैल्यू वाले गांव को जल क्रांति अभियान कार्यक्रम में शामिल किया जाएगा। इसके तहत स्थानीय जल पेशेवरों को जल संबंधी मुद्दों के संबंध में जन जागरुकता फैलाने तथा जल से जुड़ी समस्याओं के निराकरण के लिए उपयुक्त प्रशिक्षण देकर उन्हें ‘जल मित्र’ बनाया जाएगा। हर जिले में होंगे दो जल ग्राम ‘जल ग्राम योजना’ के तहत देश के 674 जिलों में प्रत्येक में दो जल की कमी वाले गांवों में जल का इष्टतम उपयोग सुनिश्चित करने के लिए ‘जल ग्राम’ पहल शुरू की जा रही है। प्रत्येक जिले में जल की अत्यधिक कमी वाले इन गांवों को ‘जल ग्राम’ का नाम दिया जा रहा है। मंत्रालय के के अनुसार जल क्रांति अभियान को लेकर यह बात सामने आई है कि हर राज्य के प्रत्येक जिले में दो जल ग्रामों की पहचान का कार्य किया जा रहा है और इनमें से कुछ राज्यों में यह कार्य पूरा कर लिया गया है। जल ग्राम में आगे हरियाणा सरकारी आंकड़ों के अनुसार अभी तक जल ग्राम योजना के तहत प्रत्येक जिले में दो जल ग्रामों की पहचान करने में हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, आंध्रप्रदेश, गोवा, केरल और नगालैंड जैसे राज्य आगे रहे हैं, जबकि पश्चिम बंगाल, बिहार, महाराष्ट्र, अरुणाचल प्रदेश, असम, गुजरात जैसे राज्यों में अभी इस काम काम को पूरा नहीं किया जा सका। मंत्रालय के आंकड़ों के तहत गंगा एवं अन्य नदी के किनारे बसे 1030 गांव को ‘जल ग्राम’ के रूप में विकसित करने के लिए चययनित गांवों में जल क्रांति अभियान की दिशानिर्देशिका के तहत प्रस्तावित प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, जल निकायों की मरम्मत, नवीकरण एवं पुनरुद्धार, एकीकृत वाटर शेड मैनेजमेंट कार्यक्रम, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना, सूचना, शिक्षा एवं संचार, राष्ट्रीय जल मिशन कार्यक्रम,त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम, बांध पुनरुद्धार एवं सुधार परियोजना जैसी परियोजनाओं को कार्यान्वित किया जाना है। 100 दलित बाहुल्य गांव सुश्री भारती ने यह भी ऐलान किया था कि अनुसूचित जाति बहुल 100 गांवों का चयन, जल संरक्षण के लिए ‘जल ग्राम योजना’ के तहत किया जाएगा। जल ग्राम, जल क्रांति अभियान के तहत एक योजना है, जिसे जल संसाधन, नदी विकास व गंगा संरक्षण मंत्रालय ने शुरू किया है। इसमें हर जिले से पानी की कमी वाले दो गांवों का चयन कर, वहां जल संरक्षण के लिए समग्र विकास किया जाएगा। मंत्री ने जल संरक्षण के क्षेत्र में बाबा साहेब के योगदान का जिक्र किया जिसे की कम ही लोग जानते हैं। उन्होंने घोषणा की कि अगले वर्ष डॉ. अंबेडकर के जन्मदिवस को जल दिवस के रूप में मनाया जाएगा।

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